युवी का कैंसर क्यों बने चैनलों की टीआरपी

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हमारे प्रिय क्रिकेट स्टार युवराज सिंह की बीमारी की खबर जैसे ही बाहर आई, सभी टीवी चैनल इसके जरिए अपनी टीआरपी बढ़ाने की कोशिश करने लगे। लगभग हर चैनल पर युवी को बेचने का प्रॉडक्ट बना लिया गया। इससे यह बात साबित होती है कि मीडिया के लिए जिंदा हाथी लाख का तो मरा सवा लाख का होता है। क्या युवराज की बीमारी को इस तरह खबरें बनाकर परोसना ठीक है। आज की बहस में जानिए युवा इस मुद्‌दे पर क्या कहते हैं-

जब युवराज अमेरिका में अपना इलाज करा रहे थे, उसी दौरान टीवी पर खबरें आने के बाद उनके परिवार वाले इतने परेशान हो गए कि आखिर में उन्हें युवी के फिजियोथेरेपिस्ट के जरिए इलाज के बारे में जानकारी देना पड़ी। इस बारे में शहर के युवाओं ने अपनी राय रखी। युवाओं ने इस बारे में अपनी मिश्रित प्रतिक्रिया जाहिर की है। कुछ का मानना है कि चैनल सही कर रहे हैं, जबकि कुछ ने इसे सरासर गलत बताया।

एमबीए स्टूडेंट नंदिता वाजपेयी ने कहा कि माना कि न्यूज चैनलों से हमें पल-पल की जानकारी मिलती है, लेकिन ये भी देखना होगा कि वो दिनभर में हमें कितना दर्द भी बाँटते हैं। किसे मालूम कि युवराज की सही स्थिति क्या है, जबकि हर चैनल एक नई कहानी कह रहा है। साइंस स्टूडेंट हरप्रीतसिंह भाटिया का कहना था कि इसमें टीवी चैनलों की गलती नहीं दिखाई देती। उनका तो काम ही है, हर खबर को जनता के सामने लाना। वैसे कुछ चैनलों ने इस खबर को संतुलित ढंग से पेश किया है। युवा बैंक ऑफिसर विनयकांत शुक्ला ने कहा कि इस खबर के प्रसारित होने के बाद युवी के दोस्तों और परिवार को कितना दुःख पहुँचा होगा, ये किसी ने जानने की जरूरत नहीं समझी। चैनल जिम्मेदारी का काम करते हैं तो उन्हें सोचना चाहिए था कि युवी के परिवार का मनोबल कितना गिरा होगा।

एमबीए स्टूडेंट अनिकेत मिश्र ने बताया कि सवाल ये नहीं कि युवी की
युवराज सिंह एक समय इंडियन क्रिकेट टीम के युवराज ही थे। वन डे वर्ल्ड कप जिताने में उनकी अहम भूमिका से इंकार नहीं, लेकिन उनकी बीमारी के गंभीर मुद्दे में सनसनीखेज मानसिकता दुःख देती है
खबर देश से छुपाई जाना चाहिए थी, सवाल यह है कि कितने चैनलों ने युवी की बीमारी की सही खबर प्रसारित की। इस तरह की खबरों से पूरे देश में युवराज को लेकर कई चर्चाएँ शुरू हो गई हैं। युवा क्रिकेटर नीलाभ चौकसे ने कहा कि युवराज की खबर सामान्य ढंग से पेश की जाती तो बात और थी, लेकिन इन्होंने तो दो दिन तक युवी को लेकर स्पेशल रिपोर्ट बनाई। डॉक्टरों को बुलाकर जानने का प्रयास किया गया कि युवराज का खेल में भविष्य कैसा होगा। एमबीए कर रही गीतांजलि सक्सेना ने कहा कि हर देशवासी को जानने का हक है कि युवराज की बीमारी की असलियत क्या है।

यदि चैनल उनकी बीमारी की सही खबर सामने ला रहे हैं तो इसमें बुरा क्या है। नूतन सोनवाल ने कहा- अब न्यूज चैनल वालों पर भी सरकार को नियंत्रण करना चाहिए। नहीं तो ये बेलगाम हो जाएँगे और कुछ भी दिखा सकते हैं।

युवराज की बीमारी को जिस तरह से खबरी मसाला बनाया गया, वो बिलकुल ठीक नहीं कहा जा सकता है। साइंस स्टूडेंट विवेक पाटीदार ने कहा- न्यूज चैनलों को जबसे आजादी मिली है, वे हमेशा ही ऐसी हरकतें करते आए हैं। युवराज हमारा सितारा है और उनकी बीमारी को खबर बनाने से बचना चाहिए था।

निष्कर्ष : आज की बहस से पता चला कि युवा इस मामले पर अपनी मिश्रित राय रखते हैं। वैसे अधिकांश युवाओं ने माना कि टीआरपी बढ़ाने के लिए युवराज की बीमारी का सहारा लेना बिलकुल गलत है। कुछ युवाओं ने माना कि चैनल सही काम कर रहे हैं। देश को युवी की बीमारी के बारे में जानकारी मिलना ही चाहिए।

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