क्या होता है गण, जानिए अपना भविष्य

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ज्योतिष के सही-सही आकलन के लिए जरूरी है कि जातक का गण भी पता हो। यह जानना बेहद आवश्यक है कि व्यक्ति ने कौन से गण में जन्म लिया है ।

गण तीन प्रकार के होते हैं-
1. देवगण, 2. मनुष्य गण, 3. राक्षस गण।

सुंदरों दान शीलश्च मतिमान् सरल: सदा। अल्पभोगी महाप्राज्ञो तरो देवगणे भवेत्।।

इस श्लोक में कहा गया है कि देवगण में उत्पन्न पुरुष दानी, बुद्धिमान, सरल हृदय, अल्पाहारी व विचारों में श्रेष्ठ होता है।


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मानी धनी विशालाक्षो लक्ष्यवेधी धनुर्धर:।
गौर: पोरजन ग्राही जायते मानवे गणे।

इसमें ऐसा कहा गया है कि मनुष्य गण में उत्पन्न पुरुष मानी, धनवान, विशाल नेत्र वाला, धनुर्विद्या का जानकार, ठीक निशाने बेध करने वाला, गौर वर्ण, नगरवासियों को वश में करने वाला होता है।

उन्मादी भीषणाकार: सर्वदा कलहप्रिय:।
पुरुषो दुस्सहं बूते प्रमे ही राक्षसे गण।

इस श्लोक में राक्षस गण में उत्पन्न बालक उन्मादयुक्त, भयंकर स्वरूप, झगड़ालु, प्रमेह रोग से पीड़ि‍त और कटु वचन बोलने वाला होता है, ऐसा बताया गया है।

इस प्रकार गण देखकर अपना संक्षिप्त भविष्यफल जान सकते हैं। अपवाद संभव है ।

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