ज्योतिष सीखें, धीरे-धीरे

ज्योतिष : तथ्य एक नजर में!

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ज्योतिष में रूचि हम सबकी होती है चाहे विश्वास हो या ना हो। अगर हमें इस शास्त्र का पूर्ण ज्ञान नहीं है तो ज्योतिषी की भाषा हमें अचरज में डाल देती है। राशि, स्वामी, लग्न, दृष्टि, ग्रह और योग जैसे शब्द हमें उलझन में डाल देते हैं। आइए सीखते हैं ज्योतिष को सरल भाषा में ताकि अगली बार जब कोई आपका भविष्यफल बताए तो आप अच्छी तरह समझ पाएँ।

* ज्योतिष में बारह राशियाँ होती हैं। कुछ विशेषज्ञ इन दिनों 13वीं राशि का भी दावा कर रहे हैं। यहाँ तक कि कुछ शोधकर्ताओं ने 14वीं राशि भी खोज निकाली है।

* फिलहाल हम बारह राशियों की बात करेंगे।

* बारह राशियाँ क्रमानुसार ही आती है। मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर कुंभ, मीन।

* हर राशि का एक ग्रह होता है। वह उसका स्वामी कहलाता है। दो राशियों के एक स्वामी होते हैं। सिर्फ कर्क और सिंह राशि के स्वामी चंद्र और सूर्य हैं।

* मेष और वृश्चिक का स्वामी मंगल है।

* वृषभ और तुला का स्वामी शुक्र है।

* मिथुन और कन्या का स्वामी बुध है।

* कर्क राशि का स्वामी चंद्र है।

* सिंह राशि का स्वामी सूर्य है।

* धनु राशि और मीन राशि का स्वामी गुरु है।

* कुंभ तथा मकर का स्वामी शनि है।

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* हर ग्रह की एक राशि पृथ्‍वी का भौतिक गुण रखती है तथा दूसरा मानसिक गुण। जैसे कन्या-भौतिक गुण तथा मिथुन-मानसिक गु ण

* वृषभ भौतिक एवं तुला मानसिक

* वृश्चिक - भौतिक एवं मेष मानसिक

* धनु - भौतिक तथा मीन मानसिक

* मकर - भौतिक एवं कुंभ मानसिक

* जन्मकुंडली के 12 स्थानों में लिखे अंक राशियों के होते हैं।

* राशियाँ क्रमवार ही होती हैं। मेष से लेकर मीन तक।

* कुंडली में चंद्रमा जिस अंक के साथ लिखा होता है वही आपकी राशि होती है। अर्थात् उस अंक पर आने वाली राशि आपकी होगी। जैसे-अगर आपकी कुंडली में चंद्रमा 3 अंक के साथ लिखा है तो तीसरे नंबर की राशि यानी मिथुन आपकी राशि होगी।

* कुंडली के बीच वाले स्थान को लग्न कहते हैं और उस स्थान पर अंकित नंबर आपका लग्न है।

* जैसे अगर कुंडली के केंद्र में 2 लिखा है तो वृषभ लग्न होगा और चंद्रमा 11 अंक के साथ होगा तो राशि कुंभ होगी।

* इसी केंद्र से 12 खानों या घरों की गणना होती है। घड़ी के उल्टे क्रम से संख्या आगे बढ़ेगी।

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