विद्यादायिनी मां सरस्वती की आराधना के सरल मंत्र

वसंत पंचमी पर करें मां सरस्वती के मंत्र जप

Webdunia
ND

वसंत पंचमी का उत्सव ज्ञान की देवी 'मां सरस्वती' के जन्म दिवस के रूप संपूर्ण भारत में मनाया जाता है। इसी दृष्टि से वसंत का मौसम सभी के लिए बहुत मायने रखता है। क्योंकि इस दिन शुभ्रवसना, वीणावादिनी, मंद-मंद मुस्कुराती हंस पर विराजमान मां सरस्वती मानव जीवन में अज्ञान रूप जड़ता को दूर कर ज्ञान के प्रकाश से आलौकित करती हैं।

* ' ॐ शारदा माता ईश्वरी मैं नित सुमरितोय हाथ जोड़ अर्जी करूं विद्या वर दे मोय।'

- जो लोग सरस्वती के कठिन मंत्र का जप नहीं कर सक‍ते उनके लिए प्रस्तुत है मां सरस्वती का सरल मंत्र। वसंत पंचमी के दिन से इस मंत्र जप का आरंभ करने और आजीवन इस मंत्र का पाठ करने से विद्या और बुद्धि में वृद्धि होती है।

- मां सरस्वती का सुप्रसिद्ध मंदिर मैहर में स्थित है। मैहर की शारदा माता को प्रसन्न करने का मंत्र इस प्रकार है।

* ' शारदा शारदाभौम्वदना। वदनाम्बुजे।
सर्वदा सर्वदास्माकमं सन्निधिमं सन्निधिमं क्रिया तू।'

- शरद काल में उत्पन्न कमल के समान मुखवाली और सब मनोरथों को देने वाली मां शारदा समस्त समृद्धियों के साथ मेरे मुख में सदा निवास करें।

ND
* सरस्वती का बीज मंत्र 'क्लीं' है। जिसे शास्त्रों में क्लीं कारी कामरूपिण्यै यानी 'क्लीं' काम रूप में पूजनीय है। इसलिए वाणी मनुष्य की समस्त कामनाओं की पूर्ति करने वाली हो जाती है।

* सरस्वती गायत्री मंत्र : ' ॐ वागदैव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्‌।'

प्रथम दिन 5 माला का जाप करने से साक्षात मां सरस्वती प्रसन्न हो जाती हैं तथा साधक को ज्ञान-विद्या का लाभ प्राप्त होना शुरू हो जाता है। नित्य कर्म करने पर साधक ज्ञान-विद्या प्राप्त करने के क्षेत्र में निरंतर बढ़ता जाता है। इसके अलावा विद्यार्थियों को ध्यान करने के लिए त्राटक अवश्य करना चाहिए। 10 मिनट रोज त्राटक करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है तथा साधक को एक बार पढ़ने पर कंठस्थ हो जाता है।

* 'ऎं हीं श्रीं वाग्वादनी सरस्वती देवी मम जिव्हायां। सर्व विद्यां देही दापय-दापय स्वाह।'

* ' सरस्वत्यै नमो नित्यं भद्रकाल्यै नमो नम:।
वेद वेदान्त वेदांग विद्यास्थानेभ्य एव च।।
सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने।
विद्यारूपे विशालाक्षी विद्यां देहि नमोस्तुते।।'

* एकादशाक्षर सरस्वती मंत्र : ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः ।

* ' वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि। मंगलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणी विनायकौ॥'
अर्थातः अक्षर, शब्द, अर्थ और छंद का ज्ञान देने वाली भगवती सरस्वती तथा मंगलकर्ता विनायक की मैं वंदना करता हूं।
- श्रीरामचरितमानस

वसंत पंचमी के दिन शिव पूजन का भी विशेष महत्व है। इस दिन भगवान भोले की पार्थिव प्रतिमा स्थापित कर विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, पंचामृत और गंगाजल से अभिषेक किया जाता है।

Show comments

ज़रूर पढ़ें

सावन मास के सोमवार को शिवलिंग के रुद्राभिषेक से मिलते हैं ये 5 लाभ

दूसरे सोमवार के दिन कामिका एकादशी का संयोग, व्रत का मिलेगा दोगुना फल, इस तरह से करें उपवास

सावन मास के सोमवार को करें शिवजी का 10 प्रकार से अभिषेक, मिलेंगे 10 लाभ

हरियाली अमावस्या पर करें नांदीमुख श्राद्ध, क्या होता है, कैसे करते हैं, क्या होगा फायदा, जानिए

शिवलिंग की पूजा करते समय लड़कियों और महिलाओं को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

सभी देखें

नवीनतम

क्या खंडित शिवलिंग की पूजा करना सही है?

इस तारीख के आसपास एशिया में आ सकता है बड़ा भूकंप, रहें संभलकर

Aaj Ka Rashifal: आज ग्रह दे रहे हैं अच्छा संकेत, पढ़ें 12 राशियों के लिए 18 जुलाई का दैनिक राशिफल

18 जुलाई 2025 : आपका जन्मदिन

18 जुलाई 2025, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त