Dharma Sangrah

अश्विनी नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति का भविष्यफल...

Webdunia
वैदिक काल में राशि नहीं, नक्षत्रों के अनुसार भविष्य कथन किया जाता था। आकाश मंडल में तारों के समूह को नक्षत्र कहते हैं। ये समूह धरती से देखने पर कहीं अश्व, कहीं शकट, सर्प आदि के आकार के नजर जाते हैं।

जिस प्रकार लोक-व्यवहार में एक स्थान से दूसरे स्थान की दूरी मील, कोस या किलोमीटर में नापी जाती है, उसी प्रकार आकाश मंडल की दूरी नक्षत्रों से ज्ञात की जाती है।

वैज्ञानिकों ने हमारे आकाश मंडल को 88 नक्षत्र मंडलों में बांटा है, तो वैदिक ऋषियों ने 28 नक्षत्र मंडलों में। आसमान के 12 भागों (राशियों) में बंटवारा कर देने के बाद भी ऋषि-मुनियों ने इसके और सूक्ष्‍म अध्‍ययन के लिए इसे 27 भागों में बांटा जिससे 13 डिग्री 20 मिनट का एक-एक नक्षत्र निकला।

0 से लेकर 360 डिग्री तक सारे नक्षत्रों का नामकरण इस प्रकार किया गया है- अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, अश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती। 28वां नक्षत्र अभिजीत है।

आकाश में चन्द्रमा पृथ्वी के चारों ओर अपनी कक्षा पर चलता हुआ 27.3 दिन में पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरी करता है। एक राशि में 2.25 नक्षत्र होता है इसीलिए एक नक्षत्र को 4 चरणों में बांटा गया है और एक राशि को 9 चरण प्राप्त हुए हैं। 12 राशियों को 108 चरणों में विभक्त कर दिया गया, यही 'नवांश' कहलाए तथा 108 की संख्या के शुभत्व का आधार भी यही 'नक्षण-चरण' विभाजन माना जाता है।

अश्विनी नक्षत्र आकाश मंडल में प्रथम नक्षत्र है। यह 3-3 तारों का समूह है, जो आकाश मंडल में जनवरी के प्रारंभ में सूर्यास्त के बाद सिर पर दिखाई देता है। वैदिक काल में दो अश्विनी कुमार थे जिनके नाम पर ही इन तारा समूह का नामकरण किया गया है। 'अश्विनी' का अर्थ 'अश्व जैसा' होता है। धरती पर इस तारे का असर पड़ता है। आंवले के वृक्ष को इसका प्रतीक माना जाता है।

अगले पन्ने पर जानिए अश्विनी नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति का भविष्यफल...


FILE


अश्विनी नक्षत्र : यदि आपका जन्म अश्विनी नक्षत्र में हुआ है तो आपकी राशि मेष व जन्म नक्षत्र स्वामी केतु होगा। राशि स्वामी मंगल व केतु का प्रभाव आपके जीवन पर अधिक दिखाई देगा। अवकहड़ा चक्र के अनुसार जातक का वर्ण क्षत्रिय, वश्य चतुष्पद, योनि अश्व, महावैर योनि महिष, गण देव तथा नाड़ी आदि हैं।

*प्रतीक चिन्ह : घोड़ा
*रंग : रक्त लाल
*भाग्यशाली अक्षर : सी और एल
*वृक्ष : आंवला।
*राशि स्वामी : मंगल।
*देवता : केतु, अश्विनी कुमार।

*शारीरिक गठन : सुंदर स्वरूप, स्थूल व मजबूत शरीर। आकर्षक रुपरंग के साथ बड़ी आँखें, चौड़े ललाट वाले होते हैं।
*भौतिक सुख : धनवान तथा भाग्यवान होता है। यह संपूर्ण प्रकार की संपत्तियों को प्राप्त करने वाला, स्त्री और आभूषण तथा पुत्रादि से संतोष प्राप्त करता है।

अगले पन्ने पर जानिए क्या है इसका सकारात्मक पक्ष...



* सकारात्मक पक्ष : बुद्धिमान, नम्र, सत्यवादी, सेवाभावी, कार्यों में कुशल, सर्वजन प्रिय, ईश्वर भक्त, स्वतंत्र चिंतक, ज्योतिष, वैद्य, शास्त्रों में रुचि रखने वाले लोग इस नक्षत्र के होते हैं। लेकिन इस नक्षत्र में जन्मे जातक हठी होते हैं। 30 की उम्र के बाद से अच्छे दिन। 55 के बाद सामान्य।

अगले पन्ने पर जानिए क्या है इसका नकारात्मक पक्ष...



* नकारात्मक पक्ष : यदि अश्विनी नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति का मंगल या केतु खराब है तो जायदाद संबंधी मामलों से चिंताग्रस्त, क्रोधी, बड़े भाई न हों या भाई रोगग्रस्त हों, महत्वाकांक्षी विचार का हो जाता है। केतु जिन ग्रहों के साथ हो और मंगल की स्थिति जैसी भी हो, वे वैसा परिणाम देते हैं। इनका परिणाम जीवन में मिलता ही है, लेकिन इनकी दशा अंतरदशा में अधिक मिलता है।

प्रस्तुति : शतायु


वेबदुनिया पर पढ़ें

Show comments

ज़रूर पढ़ें

Margashirsha Month: मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष प्रारंभ: इन 7 खास कार्यों से चमकेगी आपकी किस्मत

Pradosh Vrat December 2025: दिसंबर माह में पड़ेंगे दो प्रदोष व्रत, जानें महत्वपूर्ण तिथियां और महत्व

Mokshada Ekadashi: मोक्षदा एकादशी: मोह का नाश, मुक्ति का मार्ग और गीता का ज्ञान

Budh in tula rashi: बुध का तुला राशि में वक्री गोचर: 3 राशियों को मिलेगी विशेष सौगात

गीता जयंती पर गीता ज्ञान प्रतियोगिता के बारे में जानें और जीते लाखों के इनाम

सभी देखें

नवीनतम

23 November Birthday: आपको 23 नवंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 23 नवंबर, 2025: रविवार का पंचांग और शुभ समय

November 2025 Weekly Horoscope: साप्ताहिक राशिफल 24-30 नवंबर, इस सप्ताह किन राशियों को मिलेगी बड़ी सफलता, जानें अपना भाग्य

विवाह पंचमी 2025: क्यों है यह दिन शादी के लिए खास? जानें शुभ मुहूर्त और श्रीराम-जानकी की कृपा पाने के उपाय

Mulank 5: मूलांक 5 के लिए कैसा रहेगा साल 2026 का भविष्य?