सभ्यता का हाल पेड़ों के तने में

Webdunia
सोमवार, 17 जनवरी 2011 (13:22 IST)
पेड़ों के तने पर बने रिंग या वलयों पर हुए एक विस्तृत शोध से पता चलता है कि पुरानी सभ्यताओं के उत्थान और पतन का संबंध जलवायु में हुए अचानक होने वाले परिवर्तनों से हो सकता है।

BBC
इस दल ने शोध के लिए पिछले 25 सौ सालों की करीब नौ हजार लकड़ियों की कलाकृतियों का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि गर्मियों के जो मौसम गर्म के अलावा बारिश वाले रहे उन दिनों समाज में समृद्धि आई और जिन दिनों जलवायु में अस्थिरता रही उन दिनों राजनीतिक हलचलें तेज रहीं। शोध के नतीजे 'जनरल साइंस' की वेबसाइट पर प्रकाशित किए गए हैं।

इस शोध के सहलेखक उल्फ बंटजेन ने इस बेबसाइट से कहा, 'अगर हम पिछले 25 सौ सालों के इतिहास पर नजर डालें तो ऐसे उदाहरण हैं जब जलवायु परिवर्तन ने मानव इतिहास को प्रभावित किया है।' बंटजेन स्विस फेडरल रिसर्च इंस्टिट्यूट में मौसम परिवर्तन से जुड़े वैज्ञानिक हैं।

छाल का इतिहास : इस शोध के लिए दल ने एक ऐसी प्रणाली का उपयोग किया जिससे कि खुदाई के दौरान मिली चीजों के समय काल का पता चल सकता है।

प्रकाशित शोध पत्र में कहा गया है, 'पुरातत्वविदों ने मध्य यूरोप के ओक या बलूत के पेड़ों के तनों पर बने वलयों की एक अनुक्रमणिका तैयार की जो लगभग 12 हजार साल के इतिहास की जानकारी देती थी। फिर इसके आधार पर उन्होंने कलाकृतियों, पुराने घरों और फर्नीचरों के समय काल के बारे में अध्ययन किया।'

पुरातत्वविदों ने जो सूची तैयार की है उसके अनुसार वर्तमान में मौजूद और पुराने समय के ओक पेड़ों के वलयों के अध्ययन से यह पता चल सकता था कि गर्मियों के दौरान और सूखे के दौरान उनकी प्रवृत्ति कैसी होती है। शोध टीम ने अध्ययन किया कि पिछली दो सदियों में मौसम ने पेड़ों के तनों के वलयों के विकास में कैसी भूमिका निभाई।

उन्होंने पाया कि जब अच्छा मौसम होता है, जिसमें पानी और पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं, पेड़ों में बनने वाले वलयों की चौड़ाई बहुत अधिक होती है। लेकिन जब मौसम अनुकूल नहीं होता तो वलय की चौड़ाई तुलनात्मक रूप से कम होती है।

इसके बाद वैज्ञानिकों ने कलाकृतियों में मौजूद छालों के अध्ययन के आधार पर पुराने मौसमों के बारे में एक अनुमान लगाया। जब उन्होंने 25 सौ सालों के मौसम की सूची तैयार कर ली तो फिर उन्होंने उन वर्षों में समाज में समृद्धि के बारे में अनुमान लगाना शुरू किया। उदाहरण के तौर पर रोमन साम्राज्य में।

टीम का कहना है कि जिस समय गर्मियों में तापमान ठीक था और बारिश हो रही थी रोमन साम्राज्य और मध्ययुगीन काल में समृद्धि थी। लेकिन 250 से 600 ईस्वी सदी का समय, जब मौसम में तेजी से परिवर्तन हो रहा था उसी समय रोमन साम्राज्य का पतन हुआ और विस्थापन की प्रक्रिया तेज हुई।

शोध में कहा गया है तीसरी सदी में सूखे मौसम के संकेत मिलते हैं और यही समय पश्चिमी रोमन साम्राज्य के लिए संकट का समय माना जाता है। इसी समय गॉल के कई प्रांतों में हमले हुए, राजनीतिक हलचल रही और आर्थिक अस्थिरता रही।

डॉक्टर बंटजेन का कहना है कि उन्हें इन आँकड़ों की जानकारी थी लेकिन उन्होंने इसका नए तरह से अध्ययन किया और इसका संबंध जलवायु से जोड़कर देखा।

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