आर.डी. बर्मन : युवाओं के चहेते संगीतकार

4 जनवरी : आरडी बर्मन की पुण्यतिथि

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राहुल देव बर्मन हिंदी सिनेमा के उन प्रतिभाशाली संगीतकारों में से थे, जिन्होंने भारतीय और पश्चिमी संगीत का बेहतरीन मिश्रण किया और करीब डेढ़ दशक के दौरान विभिन्न भाषाओं की 300 से अधिक फिल्मों में संगीत दिया।

आरडी के गानों में व्यापक विविधता थी और नई ताजगी से भरपूर उन गानों को आज भी एक बड़ा वर्ग खूब पसंद करता है। राहुल देव बर्मन एक बड़े संगीतकार थे जिन्होंने शास्त्रीय और गंभीर संगीत का आधुनिक पॉप और रॉक के साथ सम्मिश्रण किया तथा कर्णप्रिय धुनें बनाईं।

आरडी बर्मन की संगीत में विविधता थी जिसे युवाओं ने विशेष तौर पर पसंद किया। युवाओं और नई पीढ़ी को जोड़ पाना मुश्किल कार्य होता है और आरडी बर्मन इसमें सफल रहे।

उनकी आरंभिक फिल्मों का संगीत ही युवाओं को भा गया और पाश्चात्य धुनों को पसंद करने वालों के लिए नए विकल्प सामने आ गए। बाद के दिनों में उन्होंने भारतीय और पश्चिमी संगीत का मिश्रण कर एक से बढकर एक गीतों को स्वरबद्ध किया।

आरडी बर्मन ने राग आधारित कई गीत भी तैयार किए। उन्होंने किशोर कुमार, मोहम्मद रफी, आशा भोंसले और लता मंगेशकर आदि कलाकारों के साथ मिलकर दर्जनों दर्जन हिट गीत दिए जिसे आज भी लोग पसंद करते हैं।

1970 के दशक में वह हिंदी सिनेमा के प्रमुख संगीतकार थे। इस दशक में उन्होंने कटी पतंग, आपकी कसम, दि ट्रेन, अमर प्रेम, हरे रामा हरे कृष्णा, शोले जैसी दर्जनों फिल्मों में संगीत दिया। एक ओर उनकी अधिकतर फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कामयाब रहीं वहीं उनके संगीत को भी काफी पसंद किया गया।

मशहूर संगीतकार सचिनदेव बर्मन के पुत्र राहुल को संगीत विरासत में मिली थी और वे कम उम्र में ही अपने पिता के सहायक बन गए थे। स्वतंत्र रूप से संगीत देने के साथ साथ वह पिता के सहायक के तौर पर भी काम करते रहे।

महमूद की फिल्म छोटे नवाब बतौर संगीतकार उनकी पहली फिल्म थी। लेकिन उन्हें असली पहचान तीसरी मंजिल और पड़ोसन से मिली। उन्होंने नासिर हुसैन, रमेश सिप्पी जैसे फिल्मकारों के साथ लंबे समय तक काम किया।

सिप्पी के साथ उन्होंने सीता और गीता, शोले, शान जैसी फिल्मों में संगीत दिया। नासिर हुसैन के साथ उनका लंबा साथ रहा और उन्होंने तीसरी मंजिल, कारवाँ, हम किसी से कम नहीं, यादों की बारात जैसी कई फिल्मों के गानों को यादगार बना दिया।

आरडी बर्मन के विविधतापूर्ण गानों में एक ओर जहाँ शास्त्रीय संगीत पर आधारित रैना बीती जाए, मेरा कुछ सामान जैसे गाने है वहीं महबूबा महबूबा, पिया तू अब तो आजा जैसे गाने भी हैं।

1970 के दशक की उनकी लोकप्रियता 1980 के दशक में भी कायम रही और इस दौरान भी उन्होंने कई चर्चित फिल्मों में संगीत दिया। लेकिन दशक के आखिरी कुछ वर्ष अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहे और उनकी कई फिल्में नाकाम रहीं।

1942. ए लव स्टोरी उनके निधन के बाद प्रदर्शित हुई। इस फिल्म के गानों में नई ताजगी थी और उन्हें खूब पसंद किया गया। उनका चार जनवरी 1994 को निधन हो गया। उनके निधन के बाद रिमिक्स गानों का दौर शुरू हुआ। दिलचस्प है कि रीमिक्स किए गए अधिकतर गाने आरडी बर्मन के ही स्वरबद्ध हैं।(भाषा)

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