तेरी मेरी कहानी : फिल्म समीक्षा

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बैनर : इरोज इंटरनेशनल मीडिया लिमिटेड, कुणाल कोहली प्रोडक्शन् स
निर्माता : कुणाल कोहली, सुनील ए. लुल्ला, विक्की बाहरी
निर्देशक : कुणाल कोहली
संगीत : साजिद-वाजिद
कलाकार : शाहिद कपूर, प्रियंका चोपड़ा, प्राची देसाई, नेहा शर्मा
रेटिंग : 2.5 /5

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शाहिद कपूर और प्रियंका चोपड़ा की फिल्म तेरी मेरी कहानी में तीन अलग-अलग दौर 1910, 1960, 2012 की तीन प्रेम कहानियां हैं। इन कहानियों से यह बताने की कोशिश की गई है कि जिससे हम बेइंतहा मोहब्बत करते हैं क्या किस्मत उसे हर जन्म में हमारा प्रेमी बनाती है?

1960 का वर्ष है। प्रेमी हैं गोविंद और रुखसार। मुंबई में रहते हैं और एक-दूसरे को बेहद चाहते हैं। इसके बाद कहानी आती है वर्तमान में। 2012 का वर्ष है और अब कहानी शिफ्ट हो गई है लंदन में। प्रेमियों के नाम बदलकर राधा और कृष हो गए हैं। अब कहानी जाती है लगभग सौ वर्ष पहले। 1910 का समय है। नाम बदलकर भले ही आराधना और जावेद हो गए हों, लेकिन उनके बीच प्यार वैसा ही है।

इन तीनों कहानियों में क्लाइमैक्स नहीं दिया गया है, बल्कि तीनों कहानियों का क्लाइमैक्स एक साथ फिल्म के अंत में दिखाया गया है, जिससे दर्शकों में यह जानने की उत्सुकता बनी रहती है कि आगे क्या हुआ। तीनों कहानी में 1960 वाली कहानी को सबसे अच्छी कहा जा सकता है, जबकि 2012 के दौर वाली कहानी को हाईटैक दिखाने के चक्कर में उसका मूल भाव ही खो गया है। फेसबुक ज़माने की यह कहानी बेहद कमज़ोर है। 1910 की कहानी औसत कही जा सकती है।

फिल्म की कहानी वहीं बॉलीवुड की परंपरागत प्रेम कहानियों जैसी ही है, लेकिन बेहतरीन स्क्रीन प्ले और सशक्त निर्देशन इसे खास बनाते हैं। निर्देशक कुणाल कोहली पर यश चोपड़ा का प्रभाव साफ दिखाई देता है। प्रेम कहानियां फिल्माने में कुणाल को बहुत मज़ा आता है और तेरी मेरी कहानी उन्होंने यश चोपड़ा के अंदाज़ में फिल्माई है। फिल्म में कई सीन आपको यशजी के रोमांटिक डारेक्शन की याद दिलाते हैं।

तेरी मेरी कहानी में शाहिद कपूर ने अपने करियर का बेहतरीन अभिनय किया है। शाहिद के सीन में दर्शक डूब जाता है। शाहिद ने बेहतरीन काम किया है और पर्दे पर प्रियंका के साथ उनकी कैमेस्ट्री लाजवाब है। प्रियंका चोपड़ा को आखिर क्यों बॉलीवुड की टॉप हिरोइन में शामिल किया जाता है, यह उन्होंने फिर साबित कर दिया। चुलबुले अंदाज़ से लेकर धीर गंभीर प्रेमिका के किरदार को जीतीं प्रियंका को पर्दे पर देखना अच्छा लगता है।

लेकिन फिल्म के असली हीरो संगीतकार साजिद-वाजिद हैं। तीन अलग दौर की कहानियों के लिए उन्होंने बेहतरीन ‍धुनें तैयार की हैं। जब फिल्म में गाने आते हैं तो ये अखरते नहीं बल्कि नायक-नायिका के प्रेम का और कहानी का अहम हिस्सा मालूम पड़ते हैं।

फिल्म में कुछ कमज़ोर बातें भी हैं, जैसे 2012 की कहानी में आधुनिक गैजेट्‍स वाली बातें फिट नहीं होतीं। 1960 वाला दौर ठीक से नहीं दिखाया गया। बनावटीपन झलकता है। इसके अलावा 1910 के दौर में शाहिद कपूर पर जेल में फिल्माया गया गाना बचकाना है।

अगर आप रुटिन बॉलीवुड लव स्टोरी पसंद करते हैं तो इस फिल्म को ज़रूर देखें। तेरी मेरी कहानी सामान्य प्रेम कहानी है, लेकिन बेहतरीन फिल्मांकन और कलाकारों के जीवंत अभिनय के कारण दर्शकों को पसंद आएगी ।

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