इन दिनों हमारे देश में राजनीतिक उठापटक का माहौल जारी है। परमाणु करार से लेकर महँगाई जैसे मुद्दे पर जहाँ केन्द्र सरकार की प्रतिष्ठा दाव पर लग गई वहीं कई राज्य सरकारें भी अस्थिरता के दौर से गुजर रही हैं। यह हाल भारत का ही नहीं है, दुनिया भर के राजनीतिक अखाड़ों में कोई न कोई उठापटक चल रही है।
ऐसे में राजनीतिक विश्लेषक और राजनीतिक पत्रकारों का दायित्व बढ़ा है। साथ ही इस क्षेत्र के जानकारों के लिए करियर निर्माण के प्रतिष्ठापूर्ण अवसर भी निर्मित हुए हैं। राजनीति के इस दौर में राजनीति विज्ञान आज का सबसे हॉट विषय बन गया है ।
क्या है राजनीतिक विज्ञान? राजनीतिक विज्ञान को इस तरह से परिभाषित किया जा सकता है कि यह ऐसा विषय है, जिसके अंतर्गत सिद्धांतों, उद्देश्यों तथा विधियों के रूप में राजनीति तथा सरकारी का अध्ययन किया जाता है। किसी भी सरकारी प्रणाली का पहला कर्तव्य शांति स्थापित करना होता है। यह मुश्किल भूमिका केवल पुलिस तथा राजनेताओं को ही नहीं निभाना होती है, बल्कि प्रशासक भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राजनीति एक ऐसी व्यवस्था है, जो अकेले खड़ा नहीं होती, यह बड़े समाज का अटूट हिस्सा है, जो समाज के बड़े हिस्से से प्रभावित होती है तथा उसकी सेवा में संलग्न रहती है।
इन दिनों हमारे देश में राजनीतिक उठापटक का माहौल जारी है। परमाणु करार से लेकर महँगाई जैसे मुद्दे पर जहाँ केन्द्र सरकार की प्रतिष्ठा दाव पर लग गई वहीं कई राज्य सरकारें भी अस्थिरता के दौर से गुजर रही हैं।
कौशल राजनीति के लिए नेतृत्व गुण, अंतर पारस्परिक संबंध, संप्रेषण कौशल, न्यायप्रियता, निर्णय लेने की क्षमता तथा तनाव झेलने की आदत का होना परम आवश्यक माना गया है।
कार्यप्रणाल ी राजनीति को सही परिप्रेक्ष्य में समझने के लिए यह अनिवार्य है कि इसके कार्यगत पहलुओं को अध्ययन किया जाए। यह विभिन्न पाठ्यक्रमों के विकास तथा परस्पर विन्यास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। किसी भी विषय की पढ़ाई करने वाला छात्र राजनीतिक विज्ञान को अपना सकता है। इसके लिए देश से संबंधित मसलों की गहन खोज परख तथा जाँच पड़ताल करने की आवश्यकता होती है।
राजनीतिक विज्ञान कर्मचारी को विभिन्न सरकारी अभिकरणों की वित्तीय गतिविधियों पर नियंत्रण करने का अवसर प्राप्त होता है। बजट तथा बजट प्रक्रिया के निर्धारण, उसकी विशेषताओं, उद्देश्यों तथा बजट के विभिन्न सिद्धांतों तथा बजट लागू करने में राजनीतिक विज्ञान का अपना महत्व होता है। यह कर्मचारी को संस्थान की अवधारणा तथा संगठन में मानव व्यवहार के आकलन में भी मदद करता है।
अभिम त राजनीति विज्ञान के बारे में एक सुस्थापित अभिमत यह है कि राजनीति विज्ञान आईएएस तथा आईपीएस अधिकारियों के लिए सबसे ज्यादा फायदेजनक रहेगा, क्योंकि इन्हें अपने कर्तव्यों के निष्पादन में अधिकांश समय राजनेताओं तथा राजनीति से ही सम्पर्क में रहना पड़ता है। हमारे यहाँ की राजनीतिक व्यवस्था कुछ ऐसी है कि यहाँ क्लर्कों को सांसदों, विधायकों तथा मंत्रियों के पीए और सेक्रेटरियों के रूप में नियुक्त करने की प्रवृत्ति बरसों से चली आ रही है, जबकि राजनीतिक विज्ञान के छात्र उनके राजनीतिक ज्ञान के आधार पर उन्हें सहायता प्रदान करने में आदर्श साबित होंगे।
आधुनिक संविधान के तुलनात्मक अध्ययन में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, स्विटजरलैण्ड तथा एशिया के कुछ हिस्सों को ही शामिल किया गया है। संविधान के बारे में इस तरह के अध्ययन से इनमें प्रक्रियाओं के बारे में स्पष्ट जानकारी मिलती है, जो कि छात्रों को न केवल देश में, बल्कि विदेशों में मददगार सिद्ध होगी। इसी तरह एलिमेंट, इंस्ट्रूमेंटल रिवीजन से भी छात्र अत्यधिक लाभान्वित होंगे।
संभावनाएँ दुर्भाग्य से भारतीय राजनीति की यह कमी रही है कि यहाँ अँगूठा टेक आदमी तो पार्षद से लेकर मंत्री बन सकता है, लेकिन राजनीति विज्ञान के छात्रों के लिए प्रचुर अवसर नहीं हैं, लेकिन यह एक सुस्थापित तथ्य है कि यूनाइटेड नेशंस ऑर्गनाइजेशन में केवल राजनीति विज्ञान के छात्र को ही बर्थ मिल सकती है। राजनीति विज्ञान से जुड़े स्रोतों से पता चलता है कि राजनीति विज्ञान न केवल समाज शास्त्र से जुड़ा हुआ है, बल्कि यह विधि, लोक प्रशासन तथा जन सम्पर्क से भी उतनी ही शिद्दत से जुड़ा हुआ है।
इसीलिए पारीवारिक संगठन का सामाजिक प्रबंधन, श्रम मानकों, श्रम अध्ययन, श्रम प्रबंधन तथा राजनीतिक संपे्रषण जैसे विषय देश-विदेश में प्रचलित हैं। इसलिए इस विषय का चयन करने वाले छात्रों के लिए संभावनाएँ तब और बढ़ जाती हैं, जब वह स्वयंसेवी संगठनों में प्रवेश करते हैं। राजनीति विज्ञान के स्नातक मीडिया में बतौर राजनीतिक पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक या रिसर्चर के रूप में भी अपना करियर बना सकते हैं।
राजनीति में अवसर बनाम अवसरों की राजनीति जिस तरह से हमारे यहाँ अवसरों की राजनीति का बोलबाला है, उसी तरह राजनीति विज्ञान के छात्रों के लिए भी राजनीति से लेकर समाज सेवा और मीडिया में अवसरों की कोई कमी नहीं है। आइए, एक नजर डालें कि किस तरह के अवसर राजनीति विज्ञान के छात्रों का राजतिलक करने के लिए उपलब्ध हैं :
मंत्री से लेकर संत्री तक यदि आपकी राजनीति और राजनीति विज्ञान पर अच्छी पकड़ है तो आप न केवल राजनीति के अखाड़े में उतर सकते हैं, बल्कि सफल होकर मंत्री तक बन सकते हैं। मंत्रिगण सत्तारूढ दलों के सदस्य होते हैं। उनका अपना विशिष्ट विभाग होता है और उन्हें नाम के साथ ढेर सारे अधिकार भी मिलते हैं। एक तरह से वह आधुनिक संसार के अघोषित राजा-महाराजा ही होते हैं। राजनीति विज्ञान को भारतीय सिविल सेवा तथा आईपीएस में भी अच्छा स्कोरिंग विषय माना गया है। लिहाजा इसे पढ़कर आप मंत्री भले न बन पाएँ, लेकिन संतरी यानी कि पुलिस अधिकारी अवश्य बन सकते हैं।
संसद के गलियारों से विधानसभा की आसंदी तक आपकी राजनीतिक दिलचस्पी आपको एमपी से लेकर एमएलए और एमएलसी तक बना सकती है। आज के सांसद और विधायक राजा-महाराजा न सही, लेकिन जमींदार की तरह रुआबदार अवश्य होते हैं। संसद के गलियारों से लेकर विधानसभा की आसंदी तक यह ''कुछ'' भी कर सकते हैं। यह जरूरी नहीं कि राजनीति के छात्र भी वैसा ही आचरण करें। हमारी राजनीति में ऐसे राजनेता भी हैं, जिनका व्यवहार उन्हें जनता का लाड़ला बनाए हुए है। यह बात निश्चित है कि जब संसद अथवा विधानसभा का सत्र आहूत होता है तब उन्हीं की आवाज गूँजती है, जिनको राजनीति शास्त्र का गहन ज्ञान होता है।
पार्टी पदाधिकारी आमतौर पर देखा गया है कि देश के तमाम राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों और प्रवक्ताओं में वे नाम ही सामने आते हैं, जिन्हें राजनीति की अच्छी समझ होती है। यह काम राजनीति विज्ञान का छात्र बखूबी निभा सकता है। उनके लिए विभिन्न राजनीतिक दलों में महासचिव, उपाध्यक्ष, अध्यक्ष, पार्टी लीडर, राज्य प्रभारी से लेकर प्रवक्ता तथा पर्यवेक्षक के रूप में अवसर ही अवसर उपलब्ध हैं।
किसी भी राजनीतिक दल में उपरोक्त पद पाने के लिए पहले पार्टी की प्राथमिक सदस्यता लेना आवश्यक होता है। हमारे यहाँ यह काम बहुत आसान है। मात्र 5 रुपए से लेकर 20 रुपए की रसीद कटवाकर आप किसी भी राजनीतिक दल के सदस्य बन सकते हैं। कभी-कभी तो यह राशि भी खर्च नहीं करना पड़ती है, क्योंकि छुटभैया नेता अपना दल-बल बढ़ाने के लिए अपनी गिरह से पैसा खर्च कर सदस्य बना लेते हैं।
राजनीतिक पत्रकारिता राजनीतिक विज्ञान के छात्रों के लिए राजनीतिक पत्रकारिता का क्षेत्र भी अवसरों से भरपूर है। हमारे देश में साल भर राजनीतिक उठा-पटक चलती रहती है, जो राजनीतिक पत्रकारों को सुर्खियों के लिए लगातार मसाला उपलब्ध कराती रहती है। राजनीतिक पत्रकार आमतौर पर वर्तमान राजनीतिक स्थिति का आकलन और विश्लेषण करते हैं। वह भविष्य की उठा-पटक तथा जोड़-तोड़ का अनुमान लगाते हैं।
विभिन्न राजनीतिक मामलों पर टिप्पणी करना, चुनाव के दौरान जनमत की जानकारी लेना-देना संसदीय कार्रवाइयों तथा चुनावी हलचल पर उनकी सदैव नजर लगी रहती है। राजनीति विज्ञान के ऐसे छात्र, जिनकी अभिरुचि पत्रकारिता में है, उनके लिए प्रिंट मीडिया से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के दरवाजे हमेशा खुले हैं।
सीमित नहीं हैं अवसर राजनीति विज्ञान के करियर को भले ही उतना प्रचार नहीं मिल पाया हो, लेकिन इसका यह मतलब भी नहीं है कि इसमें युवाओं के लिए करियर निर्माण के सीमित अवसर ही उपलब्ध हैं। इस क्षेत्र में न केवल अपने देश में, बल्कि यूएनओ जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन में भी सम्मानजनक अवसर उपलब्ध हैं। आखिरकार राजनीतिक विज्ञान का करियर किसी देश की राजनीतिक व्यवस्था से जुड़ा होता है तो फिर यह चुनौतीपूर्ण और लाभकारी न हो, ऐसा तो हो ही नहीं सकता है।
मौजूदा समय में भले ही भ्रष्टाचार और असक्षमता राजनीति का पर्याय बन गया हो, लेकिन इसकी परवाह कौन करता है। यदि राजनीति में आप सफल हैं तो सारा समाज आपके आगे-पीछे भागता दिखाई देगा। फिर भी यदि आप राजनीतिक विज्ञान के छात्र हैं और देश की राजनीति को भ्रष्टाचार तथा असक्षमता के दलदल से ऊपर उठाना चाहते हैं तो देश की जनता को ऐसे ही लोगों की आवश्यकता है।