सुनील मनोहर गावस्‍कर

Webdunia
अजय बर्वे

भारतीय क्रि‍केट की पहचान बदलने वाले अगर किसी खिलाड़ी के बारे में बात की जाए तो उसमें सुनील गावस्‍कर का नाम जरूर आता है। 5 फुट 5 इंच कद वाले इस खिलाड़ी के प्रशंसक पूरे विश्‍व में हैं।

10 जुलाई 1949 को महाराष्‍ट्र के मुंबई शहर में जन्‍मे सुनील गावस्‍कर ने क्रिकेट की उन बुलंदियों को छुआ है, जहाँ तक पहुँचना सामान्य खिलाड़ी के बस की बात नहीं है। सुनील गावस्‍कर को उनके चाहने वाले सनी के नाम से ही पुकारना पसंद करते हैं। सनी विश्‍व क्रिकेट के इतिहास में एक महान सलामी बल्लेबाज के रूप में जाने जाते हैं।

कहावत है‍ कि पूत के पाँव पालने में ही नजर आ जाते हैं। ठीक उसी तरह सनी ने भी अपनी प्रतिभा स्‍कूल में होने वाले क्रिकेट मैचों में ही दिखा दी थी। उनका नाम 1966 में इंडियाज बेस्‍ट स्‍कूलबॉय क्रिकेटर ऑफ द ईयर के लिए नामित किया गया था, जब उन्‍होंने लंदन की स्‍कूल टीम के विरुद्ध 246 नाबाद, 222 रन और 85 रनों की पारियाँ खेलीं।

सनी ने घरेलू क्रिकेट में पदार्पण 1966-67 में वजीर सुल्‍तान एकादश की ओर से खेलते हुए किया। रणजी मैचों में सनी ने पदार्पण मुंबई की ओर से 1968-69 में कर्नाटक के विरुद्ध किया। गावस्‍कर ने अपना पहला अंतरराष्‍ट्रीय मैच पोर्ट ऑफ स्‍पेन में वे‍स्‍टइंडीज के खिलाफ 1970-71 में खेला साथ ही पहला एकदिवसीय मैच इंग्‍लैंड के विरुद्ध 1973 में लीड्ज के मैदान पर खेला था।

गावस्‍कर को उनकी तकनीक के लिए जाना जाता है, खास तौर पर जब वे तेज गेंदबाजों के विरुद्ध खेलते थे। उस समय की सबसे खतरनाक तेज गेंदबाजो से भरी वेस्‍टइंडीज टीम के खिलाफ उन्‍होंने 65.43 के औसत से रन बनाए हैं। गावस्‍कर एक ऐसे खिलाड़ी रहे, जिन्‍होंने टेस्‍ट मैचों में धमाकेदार पदार्पण किया था। उन्‍होंने वेस्‍टइंडीज के विरुद्ध अपनी पहली टेस्‍ट सिरीज में 774 रन ठोंक दिए थे और उनके इन्‍हीं रनों के कारण भारतीय टीम ने पहली बार कैरेबियन द्वीप पर टेस्‍ट सिरीज में जीत दर्ज की थी। उसके बाद तो गावस्‍कर भारतीय टीम का अभिन्न अंग बन गए। जब उन्‍होंने क्रिकेट से 1987 में संन्‍यास लिया, तब तक उनके नाम इतने रिकॉर्ड बन गए थे जो किसी भी बल्‍लेबाज के नाम नहीं थे।

इनमें से उनका टेस्‍ट मैचों में सर्वाधिक 10122 रन बनाने के रिकॉर्ड के अलावा सर्वाधिक शतक मारने का रिकॉर्ड भी शामिल था। 1983 में गावस्‍कर ने डॉन ब्रेडमैन के टेस्‍ट मैचों में सर्वाधिक 29 शतकों का रिकॉर्ड तोड़ा और उसके बाद उन्‍होंने 34 शतकों का नया रिकॉर्ड बनाया और विश्‍व के ऐसे पहले बल्‍लेबाज बने जिसने टेस्‍ट मैंचों में इतने शतक मारे, य‍ह तब तक एक रिकॉर्ड ही रहा, जब तक सचिन तेंडुलकर ने दिसंबर 2005 में श्रीलंका के खिलाफ इसे तोड़ ‍नहीं दिया।

गावस्‍कर ने टेस्‍ट मैचों में अपना 34वाँ शतक श्रीलंका के खिलाफ बनाया था, जिसमें उन्‍होंने 176 रन बनाए। इसके अलावा गावस्‍कर विश्‍व क्रिकेट के ऐसे अकेले बल्‍लेबाज हैं, जिन्‍होंने टेस्‍ट मैच की दोनों ही पारियों में शतक मारा हो और उन्‍होंने यह कारनामा एक या दो नहीं बल्कि तीन बार करके दिखाया है।

गावस्‍कर ने 70 और 80 के दशक में समय-समय पर भारतीय टीम के कप्‍तान की भूमिका भी निभाई, लेकिन इस रूप में वे इतने सफल नहीं रहे। इस कारण उन्‍हें कप्‍तानी छोड़ना पड़ी और उनके बाद कपिल देव भारतीय टीम के कप्‍तान बने जो 1983 में विश्‍व कप जीतने में कामयाब रहे।

सनी ने कुछ अनोखे रिकॉर्ड भी बनाए, जिनमें उनका इंग्‍लैंड के खिलाफ अपने पहले एकदिवसीय में बनाया रिकॉर्ड भी शमिल हैं। इस मैच में उन्‍होंने पूरे 60 ओवर तक बल्‍लेबाजी की और मात्र 36 रन बनाए थे। इसके अलावा उन्‍होंने समय-समय पर टीम के लिए गेंदबाजी भी की। जब भारतीय टीम सिर्फ एक पेस गेंदबाज के साथ खेलने उतरती थी, तब गावस्‍कर को गेंदबाजी करने के लिए दी जाती थी और उनका अपने करियर का एकमात्र विकेट पाकिस्‍तान के जहीर अब्‍बास का था जो उन्‍होंने 1978-79 में लिया था।

सनी स्लिप के बड़े ही शानदार क्षेत्ररक्षक थे। उनकी इस चपलता के कारण शारजाह में पाकिस्‍तान के खिलाफ उन्‍होंने स्लिप में 4 कैच लिए जिसके कारण भारतीय टीम 125 रन जैसे कम स्‍कोर पर भी जीतने में कामयाब हुई। इसके अलावा वे ऐसे पहले खिलाड़ी रहे, जिन्‍होंने टेस्‍ट क्रिकेट में 100 कैच लिए।

गावस्‍कर ने कानपुर में वेस्‍टइंडीज के विरुद्ध खेलते हुए जब अपने 8000 रन पूरे किए। तब उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने मैदान पर सम्‍मानित किया था। गावस्‍कर ने एकदिवसीय मैचों में 1973 में पदार्पण किया, लेकिन वे अपना पहला और एकमात्र शतक 1987 के विश्‍व कप में न्‍यूजीलेंड के विरुद्ध नागपुर में बना पाए।

गावस्‍कर ने क्रिकट से संन्‍यास लेने के बाद भी उसे नहीं छोड़ा और किसी न किसी रूप में क्रिकेट से जुड़े रहे। वे टीवी और रेडियो में एक ख्यात क्रिकेट कॉमेंट्रेटर के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे थे। उन्‍होंने अपने अनुभवों के आधार पर चार किताबें सनी डेज, आइडल, रन्स एन रुइंस और वनडे वंडर भी लिखीं। इनमें से सनी डे उनकी आटोबायोग्राफी है।

क्रिकेट में उनके योगदान के लिए सनी को दिसंबर 1994 में पद्म विभूषण से नवाजा गया साथ ही उन्‍हे मुंबई का शे‍र‍िफ भी बनाया गया था। इसके अलावा भारत और इंग्‍लैड के बीच होने वाली बॉर्डर-गावस्‍कर ट्रॉफी उनके सम्‍मान में ही होती है।

टेस्ट रिकॉर्ड : टेस्ट 125, पारी 214, नाबाद 16, उच्चतम स्कोर 236*, रन 10122, औसत 51.12, शतक 34, अर्द्धशतक 45, कैच 108।
एकदिवसीय रिकॉर्ड- एकदिवसीय मैच 108, पारी 102, नाबाद 14, उच्चतम स्‍कोर 103*, रन 3092, औसत 25.13, शतक 1, अर्द्धशतक 27, कैच 22।

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