Hanuman Chalisa

गर्भावस्था एवं मिर्गी रोग

Webdunia
डॉ.टी.एन.दुबे
WDWD
गर्भवती महिला को पड़ने वाला मिर्गी का दौरा जच्चा और बच्चा दोनों के लिए तकलीफदायक हो सकता है। उचित देखभाल और योग्य उपचार से वह भी एक स्वस्थ शिशु को जन्म दे सकती है।

मिर्गी का दौरा एक मस्तिष्क का रोग है, जो दिमाग में असामान्य, अनियंत्रित तरंगों के उत्पन्न होने और शरीर में उनके प्रवाहित होने के कारण आता है। मिर्गी के दौरे किसी को भी आ सकते हैं, गर्भवती महिला को भी। मिर्गीग्रस्त गर्भवती भी आम महिलाओं की तरह ही गर्भ धारण कर स्वस्थ शिशु को जन्म दे सकती है। जरूरत है तो सिर्फ उचित उपचार के साथ कुछ तथ्यों को ध्यान में रखने की-

* प्रत्येक 200 गर्भवती माताओं में एक गर्भवती माता मिर्गी रोगी होती है।

* गर्भावस्था के दौरान मिर्गी-रोग दौरों में तीन प्रकार से परिवर्तन आते हैं। लगभग एक तिहाई मरीजों में दौरों में आंशिक कमी या आंशिक वृद्धि हो सकती है। अन्य एक तिहाई मरीजों में दौरों में काफी सुधार आ सकता है।

* मिर्गी रोग के दौरों में बढ़ोतरी अक्सर गर्भावस्था की अंतिम तिमाही में देखी जाती है। यह अंतर उन मरीजों में ही ज्यादा होता है, जिन्हें गंभीर मिर्गी रोग होता है।

* मिर्गी रोग की दवाओं को गर्भावस्था के दौरान इस डर से बंद कर देना कि गर्भस्थ शिशु में विकृतियाँ आ जाएँगी, घातक सिद्ध हो सकता है। मिर्गी रोग के दौरे, गर्भस्थ शिशु के लिए दवाओं के दुष्प्रभावों से ज्यादा खतरनाक होते हैं।

* विशेषज्ञ चिकित्सक की निगरानी में मिर्गी रोग नियंत्रण के लिए दी जाने वाली औषधियाँ न्यूनतम प्रभावी खुराक में ही दी जाती हैं। औषधियों की संख्या अक्सर एक या बहुत आवश्यक होने पर ही दो हो सकती है। उद्देश्य होता है कि माता के मिर्गी रोग के दौरों का पूर्ण नियंत्रण।

  मिर्गी का दौरा एक मस्तिष्क का रोग है, जो दिमाग में असामान्य, अनियंत्रित तरंगों के उत्पन्न होने और शरीर में उनके प्रवाहित होने के कारण आता है। मिर्गी के दौरे किसी को भी आ सकते हैं, गर्भवती महिला को भी....      
* गर्भवती माता के रक्त में मिर्गी रोग की औषधि का 'रक्त-स्तर' ज्ञात कर संभावित दुष्परिणाम के भय को कम किया जा सकता है। दवाओं के 'रक्त-स्तर' का प्रयोगशाला में निर्धारण दौरों के प्रभावी नियंत्रण में अत्यंत उपयोगी होता है।

आम मिर्गी रोगी की अपेक्षा गर्भवती माताओं में मिर्गी औषधि रक्त स्तर निर्धारण ज्यादा आवश्यक है, क्योंकि गर्भावस्था के कारण माता में निरंतर हो रहे शारीरिक परिवर्तनों से दवाओं का स्तर घटता-बढ़ता रहता है।

* मिर्गी रोगी गर्भवती माता का प्रसव सदैव अस्पताल में ही करवाना चाहिए। इससे माता व शिशु दोनों को बेहतर चिकित्सकीय देखभाल मिल पाती है।

* मिर्गी रोगी माता अपने शिशु को स्तनपान करा सकती है। चिकित्सक औषधि चयन में इस बात का विशेष ध्यान रखते हैं।

Show comments

Remedies for good sleep: क्या आप भी रातों को बदलते रहते हैं करवटें, जानिए अच्छी और गहरी नींद के उपाय

Chest lungs infection: फेफड़ों के संक्रमण से बचने के घरेलू उपाय

क्या मधुमक्खियों के जहर से होता है वेरीकोज का इलाज, कैसे करती है ये पद्धति काम

Heart attack symptoms: रात में किस समय सबसे ज्यादा होता है हार्ट अटैक का खतरा? जानिए कारण

Lactose Intolerance: दूध पीने के बाद क्या आपको भी होती है दिक्कत? लैक्टोज इनटॉलरेंस के हो सकते हैं लक्षण, जानिए कारण और उपचार

क्या आपकी प्लेट में है फाइबर की कमी? अपनाइए ये 10 हेल्दी आदतें

बिहार की चुनावी तस्वीर स्पष्ट हो रही है

National Unity Day: सरदार पटेल की जयंती पर राष्ट्रीय एकता दिवस की खास बातें, जानें स्टैच्यू ऑफ यूनिटी कहां है?

About Indira Gandhi:भारतीय राजनीतिज्ञ और राजनेता इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि, जानें जीवन परिचय और उल्लेखनीय कार्य

शरीर में खून की कमी होने पर आंखों में दिखते हैं ये लक्षण, जानिए समाधान