Hanuman Chalisa

विश्व रक्तदान दिवस आज(14 जून)

रक्त खरीदना आज भी मजबूरी

Webdunia
NDND
सभ्यता के विकास की दौड़ में मनुष्य भले ही कितना आगे निकल जाए, पर जरूरत पड़ने पर आज भी एक मनुष्य दूसरे को अपना रक्त देने में हिचकिचाता है। रक्तदान के प्रति जागरूकता लाने की तमाम कोशिशों के बावजूद मनुष्य को मनुष्य का खून खरीदना ही पड़ता है। इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है कि कई दुर्घटनाओं में रक्त की समय पर आपूर्ति न होने के कारण लोग असमय मौत के मुँह में चले जाते हैं।

रक्तदान के प्रति जागरूकता जिस स्तर पर लाई जाना चाहिए थी, उस स्तर पर न तो कोशिश हुई और न लोग जागरूक हुए। भारत की बात की जाए तो अब तक देश में एक भी केंद्रीयकृत रक्त बैंक की स्थापना नहीं हो सकी है जिसके माध्यम से पूरे देश में कहीं पर भी खून की जरूरत को पूरा किया जा सके। टेक्नोलॉजी में हुए विकास के बाद निजी तौर पर वेबसाइट्स के माध्यम से ब्लड बैंक व स्वैच्छिक रक्तदाताओं की सूची को बनाने का कार्य आरंभ हुआ। इसमें थोड़ी-बहुत सफलता भी मिली, लेकिन संतोषजनक हालात अभी नहीं बने।

रक्त का व्यापार न ह ो

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हर साल 14 जून को 'रक्तदान दिवस' मनाया जाता है। वर्ष 1997 में संगठन ने यह लक्ष्य रखा था कि विश्व के प्रमुख 124 देश अपने यहाँ स्वैच्छिक रक्तदान को ही बढ़ावा दें। मकसद यह था कि रक्त की जरूरत पड़ने पर उसके लिए पैसे देने की जरूरत नहीं पड़ना चाहिए। पर अब तक लगभग 49 देशों ने ही इस पर अमल किया है। तंजानिया जैसे देश में 80 प्रतिशत रक्तदाता पैसे नहीं लेते, कई देशों जिनमें भारत भी शामिल है, रक्तदाता पैसे लेता है।

ब्राजील में कानू न

ब्राजील में तो यह कानून है कि आप रक्तदान के पश्चात किसी भी प्रकार की सहायता नहीं ले सकते। ऑस्ट्रेलिया के साथ साथ कुछ अन्य देश भी हैं जहाँ पर रक्तदाता पैसे बिलकुल भी नहीं लेते।

एड्स के बाद जागरूकत ा

NDND
अस्सी के दशक के बाद रक्तदान करते समय काफी सावधानी बरती जाने लगी है। रक्तदाता भी खुद यह जानकारी लेता है कि क्या रक्तदान के दौरान सही तरीके के चिकित्सकीय उपकरण प्रयोग किए जा रहे हैं। वैसे एड्स के कारण जहाँ जागरूकता बढ़ी, वहीं आम रक्तदाता के मन में भय भी बैठा है। इससे भी रक्तदान के प्रति उत्साह में कमी आई। इसका फायदा कई ऐसे लोगों ने उठाया जिनका काम ही रक्त बेचना है।

आज भी दिल्ली, मुंबई सहित कई बड़े शहरों में ऐसे रक्तदाता मिल जाएँगे जो कि चंद रुपयों के लिए अपना रक्त बेच देते हैं। इनमें से अधिकांश का रक्त दूषित होता है या उन्होंने दो चार दिन के भीतर ही रक्त दिया रहता है। जरूरत पड़ने पर व्यक्ति इनसे रक्त तो ले लेता है, परंतु बाद में उसे इसके परिणाम भुगतने पड़ते हैं।

Show comments

क्या आपकी प्लेट में है फाइबर की कमी? अपनाइए ये 10 हेल्दी आदतें

शरीर में खून की कमी होने पर आंखों में दिखते हैं ये लक्षण, जानिए समाधान

Chest lungs infection: फेफड़ों के संक्रमण से बचने के घरेलू उपाय

क्या मधुमक्खियों के जहर से होता है वेरीकोज का इलाज, कैसे करती है ये पद्धति काम

Fat loss: शरीर से एक्स्ट्रा फैट बर्न करने के लिए अपनाएं ये देसी ड्रिंक्स, कुछ ही दिनों में दिखने लगेगा असर

कवि दिनकर सोनवलकर की यादें

Kada Prasad Recipe: घर पर कैसे बनाएं सिख समुदाय का पवित्र कड़ा प्रसाद, पढ़ें स्वादिष्ट रेसिपी

T Point House Vastu Tips: टी’ पॉइंट वाला घर लेना शुभ या अशुभ, जानें बर्बाद होंगे या आबाद

Essay on Nanak Dev: सिख धमे के संस्थापक गुरु नानक देव पर रोचक निबंध हिन्दी में

हिमालय की ऊंचाइयों पर रहती हैं दुर्लभ बिल्ली और उड़न गिलहरी