Dharma Sangrah

बेहोश होने के क्या कारण हैं?

Webdunia
- डॉ. विनोद गुप्त ा

मनुष्य की समस्त शारीरिक और मानसिक गतिविधियाँ उसकी चैतन्यता के कारण होती हैं। यदि व्यक्ति अचेत हो जाए तो उसकी सारी गतिविधियाँ ठप हो जाती हैं। मनुष्य की चैतन्यता के तार उसके दिमाग से जुड़े होते हैं। जब उसका मस्तिष्क निष्क्रिय हो जाता है तो व्यक्ति बेहोश हो जाता है। आखिर यह स्थिति क्यों बनती है और क्या है इसका उपचार, आइए देखते हैं-

मनोवैज्ञानिक कार ण
मनुष्य में किसी चीज का डर भी बेहोशी का कारण हो सकता है, जैसे अपने सामने कोई भयानक दुर्घटना होते देखना उसकी बेहोशी का कारण बन सकता है। कई बार किसी डरावनी चीज को देखकर भी व्यक्ति बेहोशी की स्थिति में पहुँच जाता है। किसी दुखद समाचार या सदमे की वजह से भी बेहोशी हो सकती है। ऐसा प्रायः तब होता है, जब किसी प्रियजन की आकस्मिक मौत हो जाए है। यदि यह दुर्घटना नजरों के सामने हुई हो तो व्यक्ति अपने होश खो देता है। ये सभी मनोवैज्ञानिक कारण हैं।

शारीरिक कार ण
चिकित्सा शास्त्र की दृष्टि से व्यक्ति के बेहोश होने के कारण कुछ भिन्न हैं। इसके अनुसार जब किसी वजह से शरीर में निर्जलीकरण की स्थिति हो जाए, जिसे डिहाइड्रेशन कहते हैं तो व्यक्ति बेहोश हो सकता है। इसमें उल्टी-दस्त होना या लू लगना भी शामिल है। जब शरीर में पानी और खनिज लवणों का क्षरण गंभीर रूप से हो जाता है तो व्यक्ति बेहोशी की हालत में आ जाता है। साथ ही शुद्ध वायु का न मिलना भी बेहोशी का एक कारण हो सकता है, क्योंकि इससे व्यक्ति का दम घुट सकता है। ऐसा प्रायः बंद कमरे में रहने की वजह से होता है, जहाँ खिड़कियाँ, रोशनदान, दरवाजे सभी पूरी तरह से बंद हों। फिर अत्यधिक थकान की वजह से भी व्यक्ति बेहोश हो सकता है।

भोजन मनुष्य की मूल आवश्यकता है। इससे शरीर क्रियाशील रहता है। लेकिन जो लोग लंबे व्रत उपवास करते हैं या समय पर भोजन नहीं लेते, वे भी बेहोशी का शिकार बन सकते हैं। मधुमेह के रोगी यदि अधिक समय तक भूखे रहें तो उनकी रक्त शर्करा का स्तर काफी गिर जाता है और वे बेहोश हो सकते हैं।

तेज धूप में अधिक देर तक खड़े रहने से भी व्यक्ति बेहोश हो सकता है। यह बेहोशी स्कूली बच्चों में अधिक देखी गई है, जबकि किसी रैली या नेता के भाषण की वजह से उन्हें तेज धूप में घंटों खड़ा रहना पड़ता है, वहीं सिर पर लगी चोट बेहोशी का एक बड़ा कारण है। इसके अलावा जब किसी भी वजह से मस्तिष्क में रक्त पहुँचने में बाधा आ जाती है तो वह काम करना बंद देता है, जिससे व्यक्ति चेतना खो देता है। मस्तिष्क के अंदर रक्त का अभाव होना ही बेहोशी का मूल कारण है।

कुछ लोग हिस्टीरिया की बीमारी से ग्रस्त रहते हैं। कभी भी उन्हें दौरा पड़ जाता है जिससे वे अपना होश खो बैठते हैं। मिरगी के दौरे की वजह से भी व्यक्ति कुछ समय तक बेहोशी की स्थिति में पहुँच जाता है। हालाँकि यह बेहोशी अल्पकाल की होती है। कई बार ब्रेन ट्यूमर की वजह से भी व्यक्ति को बेहोशी का सामना करना पड़ता है। दिमाग में आई सूजन भी बेहोशी का कारण बन सकती है। इसके अलावा मस्तिष्क में आई किसी तरह की अन्य विकृति भी इसका कारण बन सकती है। जब किसी व्यक्ति का रक्तचाप तेजी से गिर जाए और वह खतरनाक स्तर पर आ जाए तो भी व्यक्ति बेहोश हो जाता है।

बेहोशी की स्थिति से कैसे बचे ं
यदि आपको लगता है कि आप बेहोश होने वाले हैं तो खड़े रहने की बजाय तुरंत जमीन पर लेट जाएँ। अपने सिर को नीचा करके टाँगों को थोड़ा ऊपर उठाएँ। इससे मस्तिष्क की ओर रक्त प्रवाह बढ़ जाएगा तथा बेहोशी रुक जाएगी। यदि फिर भी बेहोशी आ गई तो जमीन पर लेटे रहने से आप चोट लगने से बच जाएँग े।

बेहोशी का प्राथमिक उपचा र
यदि कोई व्यक्ति बेहोश हो गया है तो सबसे पहले उसके कपड़े ढीले कर दें ताकि उसके फेफड़ों को ऑक्सीजन लेने की पर्याप्त जगह मिल सके। उसे साँस लेने में परेशानी हो रही हो तो उसे सीधा लिटाकर उसके दोनों ओर घुटने रखकर झुक जाएँ। रोगी की नाभि पर अपना एक हाथ रखें तथा अपना दूसरा हाथ उसके हाथ पर रखें। हथेली के निचले भाग से व्यक्ति की नाभि के ऊपर की ओर तीन से पाँच बार जोर लगाएँ। यदि इससे भी कोई लाभ न हो तो रोगी को करवट दिलाकर उसके कंधों के बीच कई बार हल्के से हाथ मारें। यदि कोई व्यक्ति लू की चपेट में आकर बेहोश हो गया है तो उसे तुरंत ठंडे स्थान पर ले जाएँ तथा संभव हो तो कूलर या एसी चला दें तथा अतिरिक्त कपड़े उतार दें। उसकी साँस गति एवं नब्ज जाँचें। जरूरी हो तो कृत्रिम साँस दें।

यदि बिजली का करंट लगने से व्यक्ति बेहोश हो गया है तो होश में लाने का प्रयास करें। उसे तुरंत कृत्रिम साँस देने का प्रयास करें। यदि कोई व्यक्ति अचानक बेहोश हो गया है तो उसके चेहरे पर ठंडे पानी के छींटें मारें और उसे हिलाएँ।

नीम बेहोश ी
अल्पकालीन बेहोशी को सामान्य बेहोशी कहा जाता है, जो कुछ मिनटों या घंटों में ठीक हो जाती है तथा व्यक्ति की चेतना लौट आती है, लेकिन कई बार किसी दुर्घटना, दिमागी चोट या ब्रेन हेमरेज की वजह से व्यक्ति नीम बेहोशी, जिसे कोमा कहते हैं, में चला जाता है। यह स्थिति कुछ दिनों से लेकर कई वर्षों तक की हो सकती है। कई बार इसी स्थिति में उसकी मृत्यु भी हो जाती है।

उपचा र
बेहोशी चाहे किसी भी कारण से आई हो, उसे गंभीरता से लेना चाहिए तथा तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति बार-बार बेहोश होता है तो फिर उसका एमआरआई तथा सीटी स्केन भी किया जाता है। बेहतर होगा कि बेहोशी की शिकायत होने पर किसी न्यूरोलॉजिस्ट से उपचार कराएँ। कुछ रोगियों का उपचार दवाओं से संभव है, जिसमें उन्हें नियमित रूप से और लंबे समय तक दवाएँ लेना पड़ती हैं। कुछ प्रकरणों में सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है।

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

Toilet Vastu Remedies: शौचालय में यदि है वास्तु दोष तो करें ये 9 उपाय

डायबिटीज के मरीजों में अक्सर पाई जाती है इन 5 विटामिन्स की कमी, जानिए क्यों है खतरनाक

एक दिन में कितने बादाम खाना चाहिए?

Vastu for Toilet: वास्तु के अनुसार यदि नहीं है शौचालय तो राहु होगा सक्रिय

Winter Health: सर्दियों में रहना है हेल्दी तो अपने खाने में शामिल करें ये 17 चीजें और पाएं अनेक सेहत फायदे

सभी देखें

नवीनतम

Maharaja Chhatrasal: बुंदेलखंड के महान योद्धा, महाराजा छत्रसाल, जानें उनसे जुड़ी 10 अनसुनी बातें

Armed Forces Flag Day 2025: सेना झंडा दिवस क्यों मनाया जाता है, जानें इतिहास, महत्व और उद्देश्य

Ambedkar philosophy: दार्शनिक और प्रसिद्ध समाज सुधारक डॉ. बी.आर. अंबेडकर के 10 प्रेरक विचार

Dr. Ambedkar Punyatithi: डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि, जानें उनके जीवन के 10 उल्लेखनीय कार्य

अयोध्या में राम मंदिर, संपूर्ण देश के लिए स्थायी प्रेरणा का स्रोत