कमला बेनीवाल : प्रोफाइल

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गुजरात की वर्तमान राज्‍यपाल और त्रिपुरा की पूर्व राज्‍यपाल कमला बेनीवाल राजस्‍थान कांग्रेस की सबसे वरिष्‍ठ राजनेता हैं। वे लंबे समय तक राजस्‍थान कांग्रेस राज्‍य सरकार में कई महत्‍वपूर्ण मंत्री पद संभाल चुकी हैं।

कमला बेनीवाल का जन्‍म 12 जनवरी 1927 को राजस्‍थान के झुंझुनूं जिले के गोरिर गांव में जाट परिवार में हुआ था। कमला की प्रारंभिक शिक्षा झुंझुनूं जिले में हुई। इसके बाद उन्‍होंने जयपुर विश्‍वविद्यालय से अर्थशास्‍त्र, राजनीति शास्‍त्र तथा इतिहास में स्‍नातक की उपाधि प्राप्‍त की। कमला ने महाराजा कॉलेज, जयपुर से इतिहास में एमए की पढ़ाई पूरी की।

कमला एक तैराक, घुड़सवार, आर्ट प्रेमी और प्राकृतिक प्रेमी हैं। कमला ने बचपन में ही राजनीति के गुर सीख लिए थे। 11 वर्ष की आयु में इन्‍होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था। इसके लिए उन्‍हें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी 'ताम्रपत्र' सम्‍मान से सम्‍मानित कर चुकी हैं।

अपनी पढ़ाई खत्‍म कर कमला बेनीवाल ने कांग्रेस पार्टी ज्‍वॉइन कर ली। 1954 में 27 वर्षीय कमला विधानसभा चुनाव जीतकर राजस्‍थान सरकार में पहली महिला मंत्री बनीं। वे अशोक गहलोत की सरकार में गृह, शिक्षा और कृषि मंत्रालय सहित कई विभागों की मंत्री रहीं। वे राज्‍य की उपमुख्‍यमंत्री भी रह चुकी हैं।

इसी दौरान राजस्‍थान के विपक्षी नेताओं तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कमला सहित कई कांग्रेस मंत्रियों के ऊपर 1,000 करोड़ रुपए की जयपुर विकास प्राधिकरण की जमीन को अवैध रूप से बेचने का आरोप लगया। कमला पर आरोप था कि उन्‍होंने फर्जी दस्‍तावेजों पर सस्‍ती दरों में लोगों को जमीन दे दी।

कमला ने उस समय बताया था कि किसान सामरिक सहकारिता समिति द्वारा हमें बताया गया था कि किसान पिछले 41,000 दिनों से लगातार 16 घंटे खेतों में कार्य करते हैं। किसान सामरिक सहकारिता समिति जपयुर की एक सहकारिता संस्‍थान है जिन्‍हें कमला ने कृषि कार्यों के लिए जमीन आवंटित की थी।

इस घटना के बाद जयपुर सहकारिता विभाग के रजिस्‍ट्रार ने कड़े कदम उठाते हुए इस समिति के खिलाफ जांच बैठा दी और जांच के बाद पाया कि समिति ने सरकार को गलत रिपोर्ट सौंपकर जमीन हड़प ली है। इसके बाद यह मुद्दा राज्‍यसभा में भी उठा था जिसमें काफी शोर-शराबा हुआ था और अध्‍यक्ष ने 15 मिनट के लिए सभा स्‍थगित कर दी थी।

कमला 27 नवंबर 2009 को गुजरात की राज्‍यपाल नियुक्‍त हुईं। इससे पहले केंद्र सरकार ने उन्‍हें त्रिपुरा का राज्‍यपाल नियुक्‍त किया था। गुजरात की राज्‍यपाल बनने के बाद राज्‍य के मुख्‍यमंत्री नरेन्‍द्र मोदी से कई मसलों पर अनबन हुई जिसमें लोकायुक्‍त की नियुक्ति भी शामिल है।

अगस्‍त 2011 में सभी राज्‍यों में सरकार की निगरानी के लिए लोकायुक्‍त नियुक्‍त करने का निर्देश केंद्र सरकार द्वारा दिया गया था। इसके बाद कमला बेनीवाल ने राज्‍य के पूर्व न्‍यायाधीश आरए मेहता को राज्‍य का पहला लोकायुक्‍त नियुक्‍त कर दिया।

उस समय उन्‍होंने गुजरात लोकायुक्‍त अधिनियम 1986 की धारा 3 के तहत राज्‍य सरकार से बिना सलाह के लोकायुक्‍त की नियुक्‍ति की थी। राज्‍य सरकार को इसका गहरा झटका लगा और उन्‍होंने लोकायुक्‍त की नियुक्ति नहीं की।

कुछ समय बाद गुजरात हाई कोर्ट के आदेश के बाद लोकायुक्‍त की नियुक्ति को लेकर सरकार गंभीर हो गई और विधानसभा में लोकायुक्‍त विधेयक पास किया और राज्‍यपाल के पास भेजा जिसे राज्‍यपाल ने कई तरह की गलतियां बताकर विधेयक पर हस्‍ताक्षर करने से मना कर दिया था।

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