आम : ग्रीष्म का अमृत फल

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हमारे देश में आम एक प्रचलित और स्वादिष्ट फल है। भारत वर्ष के सभी स्थानों में इसकी उत्पत्ति होती है। छोटे से छोटे और बड़े से बड़े बगीचों में इसके वृक्ष लगाए जाते हैं।

आम्र वृक्ष के प्रायः समस्त अंग काम में आते हैं। औषधि प्रयोग में विशेषकर इसकी गुठली ली जाती है। आम का कच्चा फल स्वाद में खट्टा और पक्का फल मीठा होता है। यह प्रमेहनाशक, रूधिर विकार दूर करने वाला तथा फोड़े-फुंसियों का नाश करने वाला है।

पका आम मीठा, वीर्य बढ़ाने वाला, चिकना, पौष्टिक, वायुनाशक, रोचक, रंग उज्ज्वल करने वाला, शीतल, पित्त नाशी, भूख बढ़ाने वाला तथा कफ बढ़ाने वाला होता है।

पोषक तत्व : इसकी प्रकृति गर्म व तर होती है। खाने से पहले आम को पानी में या फ्रिज में रखना चाहिए, इससे इसकी गरमी निकल जाती है। पके आम में प्रोटीन, वसा, खनिज पदार्थ, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा, विटामिन ए, सी तथा बी होता है।

आम में सैल्यूलोज तथा मेटोस शर्करा भी पाई जाती है। आम का रस बहुत गुणकारी, मीठा व बलवर्द्धक होता है। दूध में आम रस डालकर पीने से इसके गुणों में वृद्धि होती है। तीन माह तक लगातार शाम को आम रस पीने से मर्दाना ताकत में वृद्धि होती है। रतौंधी रोग में चूसने वाला आम लाभकारी होता है।

आम का गोंद भी खाने के काम में लिया जाता है, आम की मंजरी कफ, पित्त, प्रमेह व अतिसार को नष्ट करती है, इससे रक्त विकार भी दूर होता है। कच्चे आम के सीधे सेवन से बचना चाहिए, इससे कब्ज, मंदाग्नि हो सकती है। पका आम भी भूखे पेट नहीं खाना चाहिए, इससे पेट की गड़बड़ी की संभावना रहती है।

दांत दर्द होने पर पत्तों को उबालकर काड़ा बना लें, इससे कुल्ला करें, आराम होगा। आम की गुठलियों का चूर्ण गर्म पानी के साथ चौथाई चम्मच देने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। आम गुठली को पानी में पीसकर नाभि पर गाढ़ा लेप करने से सब प्रकार के दस्त बन्द हो जाते हैं।

पेचिश, बच्चों का मिट्टी खाना, दांतों की मजबूती, यक्षमा, मस्तिष्क की कमजोरी, खून की कमी, हैजा, दस्त, बवासीर, तिल्ली, सौन्दर्य वर्धक, सूखी खांसी, पायरिया, अण्डवृद्धि, हाथ-पैरों में जलन, मधुमेह, सूखा रोग, पथरी, नपुंसकता, वीर्य वृद्धि व वृक्क की दुर्बलता आदि में आम बहुत गुण करता है।

कच्चा आम भूनकर या पानी में उबालकर 'पना' बनाया जाता है, जो गरमी में लू से बचाव करता है। भूने हुए कच्चे आम के गूदा को पैरों के तलवों पर लगाने से भी लू से राहत मिलती है।

* कच्चे आम के गुण : कच्चे आम को कैरी कहते हैं। यह कसैली खट्टी, रुचिकारी भी है। कच्चे आम रूक्ष और त्रिदोषकारक होते हैं।

* अमचूर के गुण : कच्चे आम के ऊपर का छिलका उतारकर उसको सूखा लेते हैं। इसी को अमचूर कहते हैं। यह स्वाद में खट्टा और रुचिकारक है। गुणों में दस्तावर और कफ वातजित है। इसको दाल या तरकारी में डालते हैं तथा गहने और बर्तन भी इससे साफ करते हैं।

* पका हुआ आम : कुछ मीठा, स्वादिष्ट, पौष्टिक, चिकना, बलदायक, वातनाशक, हृदय को बलदायक होता है। शरीर की कांति को बढ़ाने वाला, शीतल, क्षुधावर्धक तथा पित्त को साम्यावस्था में लाने वाला है।

* आम रस : आम का रस निचुड़ा हुआ- बलकारी, वायुनाशक, दस्तावर, हृदय को तृप्त करने वाला और कफवर्धक है। सूर्य किरणों से सूखाकर तैयार किया हुआ रस हल्का होता है। यह पित्तनाशक होता है तथा प्यास और जी मचलाने की शिकायत दूर करता है। यह सूखकर पापड़ी के समान हो जाता है। यह रुधिर विकारनाशक, देर से पचने वाला मधुर और शीतल होता है।

* आमपाक : दो किलो कच्चे आमों को छीलकर कतर लें। फिर दो किलो जल में पकाएं। जब आधा पानी रह जाए तब ठंडा कर धो लें। फलालेन के कपड़े में रख टपका लें। फिर इस अर्क के समान शकर मिला पक्की चाशनी कर लें। इसे खाने से मन प्रसन्ना रहता है। इसे अंगरेजी में 'मैंगो जैली' कहते हैं।

* दुग्ध के साथ आम : इसका सेवन अत्यंत लाभदायक है। यह स्वादिष्ट और रुचिवर्धक होने के साथ-साथ वातपित्त कफनाशक, बलवर्धक, पौष्टिक और देह के वर्ण को निखारने वाला है।

* आम की गुठली : आम की गुठली के गूदे में बहुत से पौषक तत्व सम्मिलित हैं। आयुर्वेद शास्त्र में इसका खूब उपयोग किया गया है।

कुछ सामान्य रोगों का आम से इलाज इस प्रकार किया जा सकता है-

गले के रोग : आम के पत्तों को जलाकर गले के अंदर धूनी देने से गले के अनेक रोग दूर होते हैं। जी मिचलाना, पेट की जलन : आम की मिंगी के 5 ग्राम चूर्ण को दही के साथ मिलाकर सेवन करने से जी मिचलाना और पेट की जलन दूर होती है।

बिच्छू, ततैया, मकड़ी का विष : अमचूर को पानी में पीसकर विषैले स्थान पर लगाएं। इससे विष और फफोले में शीघ्र आराम होता है।
फुंसियां : आम की छाल पानी में घिसकर लगाएं।

आम्रासव : मीठे आम का रस 10 किलोगुठली निकाले छुहारे 1 किलोसूखे अंजीर 1 किलोमुन्नाका 1 किलोपके केले का गूदा 1 किलोफालसे 1 किलोखांड 2 किलो इन सब चीजों को मिलाकर मिट्टी के बड़े और मजबूत चिकने बर्तन में डाल मुंह बंद करके अनाज के ढेर में दबा दें। 21 दिन बाद निकालकर अर्क खींच ले और बोतलों का मुंह बंद करके पानी के कुंड में रख दें। 7 दिन बाद निकालकर काम में लें (खुराक 5 तोले अर्थात 50 ग्राम)। दोनों समय खाने से पहले लें। यह अद्भुत चीज है। कुछ समय तक लगातार सेवन करने से नवजीवन आ जाएगा।
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