आइए जानें शब्दकोश को

सुप्रसिद्ध भाषाविद् अरविंद कुमार

Webdunia
कई बार ऐसा होता कि किताबों में जो शब्द हम पढ़ते हैं उन में से कई का मतलब हमारी समझ में नहीं आता। तब तो हम किसी से उस शब्द का अर्थ पूछेंगे, या फिर किसी शब्दकोश की सहायता लेंगे।

FILE


शब्दकोश एक ख ास तरह की किताब होता है। अंगरेजी में इसे डिक्शनरी कहते हैं। शब्दकोश में शब्दों को एक के बाद अकारादि क्रम से लिखा गया होता है, जैसे : अंक, अंकगणित, अंकुर, अंकुश…, या - अंग, अंगद, अंगारा… या - आग, आगत, आगम…, या - कक्ष, कक्षा, कगार…, खग, खगोल, खचखच…

हर शब्द के बाद बताया जाता है कि वह शब्द संज्ञा है या सर्वनाम या क्रिया आदि। इस जानकारी के बाद उस का अर्थ लिखा जाता है। बड़े कोशों में शब्द का अर्थ समझाने के लिए उस की परिभाषा भी होती है। कई बार यह भी बताया जाता है कि वह शब्द कैसे बना। हमारी अपनी भाषा का शब्द है या किसी और भाषा से आया है।

हर किताब को पढ़ते समय हर अनजान शब्द के अर्थ समझना बहुत जरूरी होता है। तभी किताब पढ़ने से हमें पूरा ज्ञान मिल जाएगा। मान लीजिए मां शब्द है। यह तो हम अच्छी तरह जानते हैं कि मां, क्या होती है. अम्मा, अम्मा, मम्मी, माई, माता लिखे हैं तो भी कोई मुश्किल नहीं होती। ये शब्द हम बचपन से ही जानते हैं। लेकिन कहीं जननी लिखा होगा तो हम में से कुछ को उस के मायने पता नहीं होते। तब हम जननी शब्द किसी कोश में खोजेंगे। वहां लिखा होगा- जन्म देने वाली, मां, माता।

बारिश के लिए कई शब्द हम बचपन से ही जान जाते हैं, जैसे- वर्षा, बरखा, बरसात, बूंदाबांदी…

इसी प्रकार वर्षा ऋतु के अनेक शब्द हमें पता होते हैं, जैसे- चौमासा, बरसात। लेकिन पावस और वृष्टि जैसे शब्द शायद हमें नए लगें। इन का अर्थ भी बारिश या वर्षा ऋतु है -यह कोश ही बताता है।

चौमासा तो ठीक है, लेकिन चातुर्मास आ गया तो मुश्किल बढ़ जाती है। तब हमें कोश देखना चाहिए। पहले जब साधु संत देश भर में घूमा करते थे, तो बारिश के मौसम में कच्चे रास्ते चलने लायक नहीं रहते थे। इसलिए वे लोग किसी उपयुक्त स्थान पार चार महीनों का पड़ाव करते थे। शब्दकोश हमें बताएगा कि बरसात में पड़ाव की इस प्रथा को ही चातुर्मास कहते हैं।

हर भाषा में कई बार एक ही शब्द के कई मायने होते हैं। तब भी संकट हो जाता है। हिंदी का एक शुरूआती शब्द अंक ही लीजिए। इस के क्या क्या मायने हो सकते हैं यह हमें शब्दकोश से ही पता चलता है। जैसे- संख्या, गोदी, चिह्न, नाटक का एक भाग।

इसीलिए कहा गया है कि हर घर में, हर विद्यार्थी के पास शब्दकोश अवश्य होना चाहिए। इसके बिना भाषा को समझना असंभव हो जाता है। भाषा और शब्दों पर अधिकार ही हमें अपनी बात सही तरह कहने की शक्ति देता है। संस्कृत के महान वैयाकरणिक महर्षि पतंजलि का कहना है-सही तरह समझे और इस्तेमाल किए गए शब्द इच्छाओं की पूर्ति का साधन हैं। यही कारण है कि जब से आदमी ने भाषा में काम करना सीखा, तभी से वह जान गया था कि अपनी बात प्रभावशाली ढंग कहने के लिए हर किसी को भाषा की और उस के शब्दों की जानकारी बेहद ज़रूरी है। तभी वह सही शब्दों का इस्तेमाल कर सकता है। लोगों की मदद के लिए ही शब्दकोश बनाए गए।

वेबदुनिया पर पढ़ें

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

क्या आप भी शुभांशु शुक्ला की तरह एस्ट्रोनॉट बनना चाहते हैं, जानिए अंतरिक्ष में जाने के लिए किस डिग्री और योग्यता की है जरूरत

हार्ट अटैक से एक महीने पहले बॉडी देती है ये 7 सिग्नल, कहीं आप तो नहीं कर रहे अनदेखा?

बाजार में कितने रुपए का मिलता है ब्लैक वॉटर? क्या हर व्यक्ति पी सकता है ये पानी?

बालों और त्वचा के लिए अमृत है आंवला, जानिए सेवन का सही तरीका

सफेद चीनी छोड़ने के 6 जबरदस्त फायदे, सेहत से जुड़ी हर परेशानी हो सकती है दूर

सभी देखें

नवीनतम

क्या संविधान से हटाए जा सकते हैं ‘धर्मनिरपेक्षता’ और ‘समाजवाद’ जैसे शब्द? क्या हैं संविधान संशोधन के नियम

सिरदर्द से तुरंत राहत पाने के लिए पीएं ये 10 नैचुरल और स्ट्रेस बस्टर ड्रिंक्स

'आ' से अपनी बेटी के लिए चुनिए सुन्दर नाम, अर्थ जानकर हर कोई करेगा तारीफ

आषाढ़ अष्टाह्निका विधान क्या है, क्यों मनाया जाता है जैन धर्म में यह पर्व

आरओ के पानी से भी बेहतर घर पर अल्कलाइन वाटर कैसे बनाएं?