Festival Posters

कब तक ढोएँ इतिहासों के किस्से

- सरोज कुमार

Webdunia
इसने मस्जिद तोड़ी,
उसने मंदिर तोड़े,
सबने खाए,
इतिहासों में सौ-सौ कोड़े।

घृणा, शत्रुता, हिंसा,
पागलपन की करनी,
खून सनी बहती आई,
काली वैतरणी।

गया जमाना गुजर,
नया नदियों में पानी,
अपराधों की,
भारी कीमत पड़ी चुकानी।

कब तक ढोएँ,
इतिहासों के काले किस्से?
क्या उजला इतिहास नहीं,
हम सबके हिस्से?

निकलें इस बस्ती को,
सुख-सपनों से भरने,
प्यार, मोहब्बत की
शम्मा से रोशन करने।

नई इबारत लिखें,
सलूकों की हिल-मिलकर,
जीवन है उपहार,
जिएँ फूलों-सा खिलकर।
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

एक आकाशीय गोला, जो संस्कृत मंत्र सुनते ही जाग जाता है

इंटरमिटेंट फास्टिंग से क्यों बढ़ सकता है हार्ट डिजीज का रिस्क? जानिए क्या कहती है रिसर्च

Negative thinking: इन 10 नकारात्मक विचारों से होते हैं 10 भयंकर रोग

Benefits of sugar free diet: 15 दिनों तक चीनी न खाने से शरीर पर पड़ता है यह असर, जानिए चौंकाने वाले फायदे

Vastu for Toilet: वास्तु के अनुसार यदि नहीं है शौचालय तो राहु होगा सक्रिय

सभी देखें

नवीनतम

Guru Ghasidas Quotes: गुरु घासीदासजी की वो 5 प्रमुख शिक्षाएं, जिनका आज भी है महत्व

बाल गीत : आज मनाना क्रिसमस डे

World Meditation Day: ध्यान साधना क्या है, कैसे करें शुरू? जानें महत्व

Guru Ghasidas: सतनाम धर्म के प्रचारक गुरु घासीदास: जानें जीवन परिचय और मुख्य बिंदु

इदारा महफिल ए खुशरंग की ओर से डॉ. अभिज्ञात को हरिवंश राय 'बच्चन' अवार्ड, 12 विभूतियां सम्मानित