Festival Posters

संत तुलसीदास जयंती

श्रावण शुक्ला सप्तमी तुलसी धर्‌यो शरीर

Webdunia
- आचार्य गोविन्द बल्लभ जोशी
IFM

भारत वर्ष की संस्कृति ऋषि और कृषि प्रधान रही है। समग्र प्राणियों में ईश्वर के दर्शन करने तथा भाव से संबंध बनाए रखने के कारण ही हमारा विश्व बंधुत्व का संदेश भी रहा है। देश धर्म और समाज जब-जब नाना प्रकार की परेशानियों में रहा तब-तब संत महापुरुषों ने अपने कर्तृत्व द्वारा उससे राहत दिलाई एवं नई दिशा दी।

गोस्वामी तुलसीदास ने रामभक्ति के द्वारा न केवल अपना ही जीवन कृतार्थ किया वरन्‌ समूची मानव जाति को श्रीराम के आदर्शों से जोड़ दिया। आज समूचे विश्व में श्रीराम का चरित्र उन लोगों के लिए आय बन चुका है जो समाज में मर्यादित जीवन का शंखनाद करना चाहते हैं।

संवद् 1554 को श्रावण शुक्ल पक्ष की सप्तमी को अवतरित गोस्वामी तुलसीदास ने सगुण भक्ति की रामभक्ति धारा को ऐसा प्रवाहित किया कि आज गोस्वामी जी राम भक्ति के पर्याय बन गए। गोस्वामी तुलसीदास की ही देन है जो आज भारत के कोने-कोने में रामलीलाओं का मंचन होता है। कई संत राम कथा के माध्यम से समाज को जागृत करने में सतत्‌ लगे हुए हैं। भगवान वाल्मीकि की अनूठी रचना 'रामायण' को आधार मानकर गोस्वामी तुलसीदास ने लोक भाषा में राम कथा की मंदाकिनी इस प्रकार प्रवाहित की कि आज मानव जाति उस ज्ञान मंदाकिनी में गोते लगाकर धन्य हो रही है।

तुलसीदास का मत है कि इंसान का जैसा संग साथ होगा उसका आचरण व्यवहार तथा व्यक्तित्व भी वैसा ही होगा क्योंकि संगत का असर देर सवेर अप्रत्यक्ष-प्रत्यक्ष, चेतन व अवचेतन मन एवं जीवन पर अवश्य पड़ता है। इसलिए हमें सोच-समझकर अपने मित्र बनाने चाहिए। सत्संग की महिमा अगोचर नहीं है अर्थात्‌ यह सर्वविदित है कि सत्संग के प्रभाव से कौआ कोयल बन जाता है तथा बगुला हंस। सत्संग का प्रभाव व्यापक है, इसकी महिमा किसी से छिपी नहीं है।

' बिनु सतसंग बिबेक न होई।
राम कृपा बिनु सुलभ न सोई।'

ND
तुलसीदास का कथन है कि सत्संग संतों का संग किए बिना ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती और सत्संग तभी मिलता है जब ईश्वर की कृपा होती है। यह तो आनंद व कल्याण का मुख्य हेतु है। साधन तो मात्र पुष्प की भांति है। संसार रूपी वृक्ष में यदि फल हैं तो वह सत्संग है। अन्य सभी साधन पुष्प की भांति निरर्थक हैं। फल से ही उदर पूर्ति संभव है न कि पुष्प से।

उपजहिं एक संग जग माहीं।
जलज जोंक जिमि गुन बिलगाहीं।
सुधा सुरा सम साधु असाधू।
जनक एक जग जलधि अगाधू ।

संत और असंत दोनों ही इस संसार में एक साथ जन्म लेते हैं लेकिन कमल व जोंक की भांति दोनों के गुण भिन्न होते हैं। कमल व जोंक जल में ही उत्पन्न होते हैं लेकिन कमल का दर्शन परम सुखकारी होता है जबकि जोंक देह से चिपक जाए तो रक्त को सोखती है। उसी प्रकार संत इस संसार से उबारने वाले होते हैं और असंत कुमार्ग पर धकेलने वाले। संत जहां अमृत की धारा हैं तो असंत मदिरा की शाला हैं। जबकि दोनों ही संसार रूपी इस समुद्र में उत्पन्न होते हैं।

जड़ चेतन गुन दोषमय बिस्व कीन्ह करतार।
संत हंस गुन गहहिं पथ परिहरि बारि बिकार ।

सृष्टि रचयिता विधाता ने इस जड़ चेतन की समूह रूपी सृष्टि का निर्माण गुण व दोषों से किया है। लेकिन संतरूपी हंस दोष जल का परित्याग कर गुणरूपी दुग्ध का ही पान किया करते हैं।

तुलसीदास ने अपने काव्य में बीस से अधिक रागों का प्रयोग किया है, जैसे आसावरी, जैती, बिलावल, केदारा, सोरठ, धनाश्री, कान्हरा, कल्याण, ललित, विभास, नट, तोड़ी, सारंग, सूहो, मलार, गौरी, मारू, भैरव, भैरवी, चंचरी, बसंत, रामकली, दंडक आदि। परंतु केदार, आसावरी, सोरठ कान्हरा, धनाश्री, बिलावल और जैती के प्रति उनकी विशेष रुचि रही है।

सूक्ष्म दृष्टि से देखने पर यह पता चलता है कि तुलसी ने प्रत्येक भाव के उपयुक्त राग में अपने पदों की रक्षा की है। उन्होंने बड़ी सफलता से विभिन्न रागों के माध्यम से अपने भावों को व्यक्त किया है। मारू, बिलावत, कान्हरा, धनाश्री में वीर भाव के पदों की रचना हुई हैं। श्रृंगार के पद विभास, सूहो विलास और तोड़ी से सृजित हैं। उपदेश संबंधी पदों की रचना भैरव, धनाश्री और भैरवी में की गई है। ललित, नट और सारंग में समर्पण संबंधी पद हैं।

संगीत के क्षेत्र में रसकल्पना काव्य के क्षेत्र में भिन्न होती है। काव्य का एक पद एक ही भाव की सृष्टि करता है किंतु संगीत के एक राग करुणा, उल्लास, निर्वेद आदि अनेक भावों की सृष्टि करने में सफल हो सकता है।

तुलसीदास ने भी एक ही राग का प्रयोग अनेक स्थलों पर अनेक भावों को स्पष्ट करने के लिए किया है।

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Gita Jayanti Wishes: गीता जयंती पर अपनों को भेजें ये 5 प्रेरणरदायी शुभकामना संदेश

Shani Margi 2025: 28 नवंबर 2025 को शनि चलेंगे मार्गी चाल, 3 राशियों को कर देंगे मालामाल

Vivah Panchami 2025: विवाह पंचमी कब है, क्यों नहीं करते हैं इस दिन विवाह?

Sun Transit In Scorpio: सूर्य का वृश्‍चिक राशि में गोचर, 12 राशियों का राशिफल और भविष्‍यफल

बुध का तुला राशि में गोचर, 12 राशियों का राशिफल, किसे मिलेगा लाभ किसको होगा नुकसान

सभी देखें

धर्म संसार

24 November Birthday: आपको 24 नवंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 24 नवंबर, 2025: सोमवार का पंचांग और शुभ समय

Aaj Ka Rashifal: आज का दैनिक राशिफल: मेष से मीन तक 12 राशियों का राशिफल (23 नवंबर, 2025)

23 November Birthday: आपको 23 नवंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 23 नवंबर, 2025: रविवार का पंचांग और शुभ समय