पालकों की परेशानी हो सकती है कम - निजी स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए बन रहा है नया कानून, जिला प्रशासन की अपनी तैयारी

Webdunia
गुरुवार, 9 जून 2011 (14:31 IST)
निजी स्कूलों की मनमानी का शिकार हो रहे पालकों और विद्यार्थियों को जल्द ही राहत मिल सकती है। जहाँ एक ओर मानव संसाधन विकास मंत्रालय स्कूलों पर लगाम लगाने के लिए केंद्रीय कानून ला रहा है वहीं स्थानीय प्रशासन भी स्कूलों की ठगी को लेकर सख्ती दिखा सकता है। सीबीएसई स्कूलों का समूह 'सहोदय' भी इस बार पालकों की समस्याओं को हल करने की कोशिश में नई व्यवस्थाएँ लागू कर सकता है।
फीस और सुविधाओं में असमानता
निजी स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकतर विद्यार्थियों के पालक बच्चों की फीस को लेकर असंतुष्ट होते हैं। पालकों का कहना है कि जितनी फीस वसूली जाती है उतनी सुविधाएँ नहीं होतीं। अंग्रेजी माध्यम और सीबीएसई स्कूलों में शिक्षा के उच्च स्तर के नाम पर मोटी फीस वसूली जाती है। इसी के साथ बस फीस, लंच और ब्रेकफास्ट फीस के नाम पर भी काफी पैसा लिया जाता है। ये सुविधाएँ इतनी महँगी नहीं होती जितना पैसा लिया जा रहा है। यही नहीं खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों के नाम पर भी खासा पैसा लिया जा रहा है। जो किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है।
बच्चे पैदल फिर भी बस फीस
कई स्कूलों में स्कूल फीस के साथ ही बस फीस अनिवार्य रूप से ली जा रही है। भले ही बच्चे बस से आएँ अथवा नहीं आएँ, पालकों से बस फीस वसूली जा रही है। इस मुद्दे को लेकर पालकों ने स्कूल प्रबंधन से बात की तो कमेटी के नियमों का हवाला देते हुए स्कूल प्रबंधन ने खुद की मजबूरी बताया। इसके अलावा यूनिफॉर्म, जूते और किताबें खरीदने संबंधी अनिवार्यताएँ भी कई स्कूलों में पालकों पर थौपी जा रही है। इनसे परेशान पालक कई बार स्कूल प्रबंधन और शिक्षा विभाग में शिकायत करते हैं, लेकिन नियमों की सख्ती नहीं होने के कारण किसी तरह का समाधान नहीं हो पाता।
कोई अतिरिक्त दबाव नहीं
पालकों के असंतोष को लेकर स्कूल प्राचार्यों का पक्ष कुछ अलग है। नाम नहीं छापने के अनुरोध पर कुछ प्राचार्यों ने बताया कि अधिकतर पालक फीस को लेकर नाराजगी जाहिर करते हैं। हर नए शिक्षा सत्र में बढ़ी फीस को लेकर पालक असहमत नजर आते हैं। लेकिन वास्तविकता यह है कि स्कूल के संचालन और सुविधाओं को जुटाने में काफी खर्च होता है। स्कूल संस्था मुनाफा कमाने के लिए किसी तरह का अतिरिक्त दबाव पालकों पर नहीं बनाती बल्कि यह महँगाई की दर को ध्यान में रखकर ही किया जाता है।
कुछ शिकायतें, कुछ माँगें
पालकों में असंतोष होने के कई कारण सामने आए हैं। शिकायतों के साथ पालकों के सुझाव और माँगें भी हैं-
- सुविधाओं के नाम पर मोटी फीस ली जाती है
- बस में तय मानकों से ज्यादा बच्चों को बिठाया जाता है
- बच्चों की सुविधा के बजाय चालकों की सुविधा को ध्यान में रखकर स्टॉप तय किए जाते हैं
- फीस के मुताबिक भोजन और सुविधाओं का स्तर सुधारा जाना चाहिए
- खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रशिक्षण अलग से होना चाहिए
- जूते, किताबें, यूनिफॉर्म आदि की खरीदी को लेकर बंदिशें नहीं होना चाहिए।


शिकायत करें, कार्रवाई होगी
हर बार कुछ पालक निजी स्कूलों की शिकायत करते हैं और उनके हितों का ध्यान रखकर कार्रवाई भी की जाती है। इस बार भी निजी स्कूलों की नीति से पालकों को परेशानी होती है तो वे जिला शिक्षा अधिकारी अथवा प्रशासन से शिकायत कर सकते हैं। हम निश्चित तौर पर कार्रवाई करेंगे।
- एसबी सिंह
संयुक्त संचालक, लोक शिक्षण इंदौर संभाग

हम पालकों की सुविधा का ख्याल रखेंगे
पालकों को कोई भी दिक्कत होती है तो स्कूलों के प्राचार्य शिकायत पर पूरा ध्यान देते हैं। सहोदय समूह में फिलहाल इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है कि अनियमितता रखने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई हो। लेकिन पालकों के हितों को ध्यान में रखकर इस बार पर विचार किया जा सकता है।
- धर्मेंद्र गोयल
सचिव, सहोदय समूह

Show comments

जरूर पढ़ें

बांग्लादेश में कई हिंदू मंदिरों पर हुआ हमला, भारत ने जताई चिंता, सरकार से की यह मांग

क्या महाराष्ट्र में सरप्राइज देगी BJP, एकनाथ शिंदे डिप्टी CM बनने को तैयार

अडाणी की 11 कंपनियों में से 5 के शेयरों में तूफानी तेजी, 8 दिन में बदल गए हालात, 15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी

हेमंत सोरेन ने झारखंड के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, INDIA की 10 पार्टियों के नेता मौजूद रहे

Honda Activa e की इंट्री, Ola, Ather, TVS और Bajaj की उड़ी नींद, फीचर्स से मचा देगी धमाल

सभी देखें

नवीनतम

LIVE: प्रशांत विहार में धमाके के बाद रोहिणी के स्कूल को बम की धमकी

संभल मस्जिद सर्वे को लेकर सुप्रीम कोर्ट का अहम निर्देश, निचली अदालत न ले कोई एक्शन

जयराम रमेश ने बताया, पीएम मोदी की पकौड़ा नॉमिक्स में जनता के लिए क्या है?

क्या सुनियोजित साजिश थी संभल हिंसा, 3 सदस्यीय न्यायिक आयोग करेगा जांच

महाराष्ट्र में कब होगा नई सरकार का गठन, मुख्यमंत्री चेहरे और मंत्रिमंडल के फॉर्मूले पर फंस गया पेंच?