आर्यभट्‍ट कौन थे?

Webdunia
भारत के प्रथम कृत्रिम उपग्रह का नाम आर्यभट्‍ट रखा गया था। यह नाम हमारे देश के एक प्रसिद्ध खगोलशास्त्री और गणितज्ञ के नाम पर रखा गया था। 360 किलो का यह उपग्रह अप्रैल 1975 में छोड़ा गया था।

  आर्यभट्‍ट ने पाई का काफी सही मान 3.1416 निकाला। उन्होंने त्रिकोणमिति में व्यूत्क्रम साइन फंक्शन के विषय में बताया। उन्होंने यह भी दिखाया कि खगोलीय पिंडों का आभासी घूर्णन पृथ्‍वी के अक्षीय पूर्णन के कारण होता है।      
आर्यभट्‍ट का जन्म सन् 476 में भारत के कुसुमपुरा (पाटलिपुत्र) नामक स्थान में हुआ था। आर्यभट्‍ट प्राचीन भारत के प्रसिद्ध खगोलशास्त्री और गणितज्ञ थे। उनके कार्य आज भी विद्वानों को प्रेरणा देते हैं। वह उन पहले व्यक्तियों में से थे जिन्होंने बीजगणित (एलजेबरा) का प्रयोग किया।

उन्होंने 'आर्यभटिया' नामक गणित की पुस्तक को कविता के रूप में लिखा। यह उस समय की बहुचर्चित पुस्तक है। इस पुस्तक का अधिकतम कार्य खगोलशास्त्र और गोलीय त्रिकोणमिति से संबंध रखता है। इस पुस्तक में अंकगणित, बीजगणित और त्रिकोणमिति के 33 नियम भी दिए गए हैं।

आर्यभट्‍ट ने पाई का काफी सही मान 3.1416 निकाला। उन्होंने त्रिकोणमिति में व्यूत्क्रम साइन फंक्शन के विषय में बताया। उन्होंने यह भी दिखाया कि खगोलीय पिंडों का आभासी घूर्णन पृथ्‍वी के अक्षीय घूर्णन के कारण होता है।

आर्यभट्‍ट ने गणित और खगोलशास्त्र में और भी बहुत से कार्य किए। ये महाराजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के दरबार के माने हुए विद्वानों में से एक थे। इस महान पुरुष की मृत्यु ईसवी सन् 500 में हुई।

साभार : स्नेह

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

मैंगो फालूदा आइसक्रीम रेसिपी: घर पर बनाएं स्वादिष्ट आम फालूदा

युद्ध या आतंकवाद, सबसे ज्यादा घातक कौन?

4:3 डाइट: हफ्ते में सिर्फ 3 दिन डाइटिंग करके घटाएं वजन, जानिए कैसे करता है ये वेट लॉस प्लान कमाल

गर्मियों में घर पर बनाएं ठंडी और कूल वाटरमेलन आइसक्रीम, जानिए आसान रेसिपी

खीरे के साथ मिलाकर लगाएं ये चीजें, मिलेगा बेदाग निखार, हर कोई करेगा तारीफ

सभी देखें

नवीनतम

ये हैं 'त' अक्षर से आपके बेटे के लिए आकर्षक नाम, अर्थ भी हैं खास

अष्टांग योग: आंतरिक शांति और समग्र स्वास्थ्य की कुंजी, जानिए महत्व

बच्चों की मनोरंजक कविता: ऊधम का घोड़ा

कच्चा या बॉयल्ड बीटरूट, आपकी सेहत के लिए कौन सा है ज्यादा सेहतमंद?

पर्यावरणीय नैतिकता और आपदा पर आधारित लघु कथा : अंतिम बीज