अपनी नौकरानी के खिलाफ पहले शिकायत करने वाली देवयानी ही अमेरिकी साजिश का शिकार हुई। इस साजिश का खुलासा सारी घटनाओं के क्रम को देखने पर हो जाता है कि कैसे नौकरानी के परिवार को भारत से पहले निकाला गया और उसके बाद देवयानी पर कार्रवाई हुई।
वाशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास ने आरोप लगाया है कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने देवयानी खोबरागडे की नौकरानी के बारे में भारतीय दूतावास के बार-बार अनुरोध के बावजूद न तो कोई कार्रवाई की और न ही उनके बारे में कोई जानकारी दी।
दूतावास का कहना है कि यह सब तब हुआ जब दिल्ली स्थित एक अदालत ने नौकरानी संगीता रिचर्ड के खिलाफ गैर जमानती वारंटी जारी कर रखा है। गौरतलब है कि नौकरानी के खिलाफ वारंट जारी होने के बावजूद उसे और उसके परिवार को अमेरिकी वीजा जारी कर दिया गया।
दूतावास का यह भी कहना है कि संगीता के खिलाफ कोई कार्रवाई करने की बजाय अमेरिका सरकार ने देवयानी को ही गिरफ्तार कर लिया। दूतावास के मुताबिक, उसके और भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से इस साल जून से ही संगीता के बारे में अमेरिकी विदेश मंत्रालय और नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास से जानकारी मांगी जा रही थी। लेकिन इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई।
लेकिन अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने चार सितंबर को दूतावास को एक पत्र भेजा था, जिसमें अनुरोध किया गया था कि नौकरी संबंधी शर्तो के बारे में संगीता रिचर्ड ने जो आरोप लगाए हैं, उनकी जांच की जाए।
इसकी प्रतिक्रिया में भारत ने संगीता के बारे में उन सभी मामलों में जानकारी मांगी जो कि अमेरिका में जून 2013 से ही लंबित हैं। अमेरिका विदेश मंत्रालय से पूछा गया था कि देवयानी की घरेलू सहायक और भारतीय नागरिक संगीता रिचर्ड की खोज के बारे में क्या हुआ! संगीता भारतीय पासपोर्ट पर अमेरिका पहुंची थी और वह 23 जून से लापता है। इस बात की जानकारी तत्काल न्यूयॉर्क स्थित विदेशी मिशन विभाग को दे दी गई थी।
अमेरिका विदेश विभाग से इस बात की भी जानकारी मांगी गई कि पासपोर्ट और वीजा स्टेटस में बदलाव करने और अमेरिका में कहीं भी काम करने की छूट देने संबंधी संगीता रिचर्ड की मांग के खिलाफ अमेरिका ने क्या कार्रवाई की ? क्योंकि यह अमेरिकी नियमों के प्रतिकूल है। दूतावास ने यह भी पूछा कि चूंकि संगीता का पासपोर्ट 8 जुलाई, 2013 को रद्द कर दिया गया था और वह अभी भी वहां गैर कानूनी तरीके से रह रही है, तो अमेरिका सरकार ने संगीता को वापस भेजने में किस तरह की मदद की?
दूतावास ने पूछा कि संगीता की गिरफ्तारी के बारे में क्या कदम उठाए गए, क्योंकि वह देवयानी के घर से नगद पैसे, मोबाइल फोन और कई जरूरी दस्तावेज उठाकर ले गई थी। दूतावास ने कहा है कि 8 अक्टूबर को भारतीय दूतावास ने वीजा मामले में भारतीय और अमेरिकी नियमों को बदलने संबंधी संगीता रिचर्ड की अपील पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय को अपनी लिखित प्रतिक्रिया भेजी थी। इसके अलावा दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से संगीता रिचर्ड के खिलाफ गत 20 सितंबर को दिए गए आदेश के अनुपालन में अमेरिका से मदद करने की अपील की गई थी।
दूतावास ने बताया कि संगीता रिचर्ड के पति फिलिप रिचर्ड ने देवयानी और भारत सरकार के खिलाफ एक याचिका दायर की थी, लेकिन चार दिन बाद ही उन्होंने अपनी खुद ही याचिका वापस ले ली। इसके संदर्भ में भारतीय दूतावास ने संगीता रिचर्ड को ढूंढने और उन्हें वापस भारत भेजने में मदद करने का अनुरोध किया था।
इसी साल 19 नवंबर को दक्षिण दिल्ली के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने संगीता के खिलाफ गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। छह दिसंबर को नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास को इस वारंट की जानकारी दे दी गई और उनसे अनुरोध किया गया कि संगीता को गिरफ्तार करने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया जाए।
भारतीय दूतावास का कहना है कि अमेरिका की ओर से इन सभी सवालों का अभी तक कोई जवाब नहीं दिया गया और इस बीच, 12 दिसंबर को देवयानी को गिरफ्तार कर लिया गया।
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नीचे वह घटनाक्रम दिया जा रहा है जिससे उजागर होता है कि एक षडयंत्र के तहत नौकरानी, न्यूयॉर्क के अटॉर्नी प्रीत भराड़ा और अन्य अधिकारियों ने मिलकर देववानी को गिरफ्तार कराया और वे इस सारे मामले के लिए उन्हें ही दोषी भी ठहरा रहे हैं:
घटनाक्रम : - 23 जून को देवयानी के घर से उसकी नौकरानी संगीता रिचर्ड सब्जी लेने निकली लेकिन वह वापस नहीं लौटी।
- 1 जुलाई को एक अज्ञात महिला ने देवयानी को फोन किया। उस ने देवयानी को ब्लैकमेल किया। देवयानी को कॉन्ट्रैक्ट तोडने की बात कही। कहा कि नौकरानी को प्रति दिन 19 घंटे काम की कीमत चुकाएं तो वह कोर्ट नहीं जाएगी।
- 2 जुलाई को देवयानी ने अपने दफ्तर और न्यूयॉर्क पुलिस को लिखित में फोन कॉल की जानकारी दी।
- 5 जुलाई को देवयानी ने न्यूयॉर्क पुलिस में ब्लैकमेलिंग, वसूली और शोषण की शिकायत दर्ज कराई लेकिन न्यू यॉर्क पुलिस ने देवयानी की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की। इस बीच देवयानी ने दिल्ली पुलिस में भी नौकरानी और उसके पति के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी।
- 8 जुलाई को देवयानी को इमिग्रेशन ऑफिस बुलाकर 10 हजार डॉलर जमा करने को कहा गया। देवयानी को कहा गया कि वह नौकरानी के पासपोर्ट को बदलने और वीजा में मदद करे। इसी दिन भारत ने नौकरानी का पासपोर्ट रद्द कर दिया था।
- 30 जुलाई को भारत ने अमेरिका से कहा कि न्यूयॉर्क पुलिस की कस्टडी में मौजूद नौकरानी को भारतीय दफ्तर में लाया जाए लेकिन भारत की मांग पर अमेरिका ने कोई कार्रवाई नहीं की।
- 4 सितंबर को अमेरिका ने भारतीय राजदूत को लिखा कि ये मामला बेहद गंभीर है।
- 20 सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि नौकरानी और उसका पति किसी विदेशी कोर्ट में देवयानी के खिलाफ मुकदमा नहीं कर सकते।
- 21 सितंबर को भारत ने अमेरिका से कहा कि वह इस मामले में दखल ना दे। भारत ने आरोप लगाया कि नौकरानी पैसे और अमेरिकी वीजा चाहती है। भारत ने आरोप लगाया कि नौकरानी दोनों देशों के कानून तोड रही है।
- 19 नवंबर को दिल्ली कोर्ट ने नौकरानी के खिलाफ गैर जमानती वॉरंट जारी किया।
- 6 दिसंबर को नौकरानी के खिलाफ वॉरंट अमेरिकी दूतावास को भेजा गया। भारत ने नौकरानी को गिरफ्तार कर भारत भेजने की मांग की लेकिन अमेरिका ने भारत की मांग पर कोई कार्रवाई नहीं की।
- 10 दिसंबर को नौकरानी का पति और उसके 2 बच्चे अचानक अमेरिका चले गए। बिना अमेरिकी अधिकारियों की मदद के उन्हें वीजा मिलना संभव नहीं था।
- 12 दिसंबर को अमेरिकी पुलिस ने देवयानी को ही गिरफ्तार कर लिया।
अगले पन्ने पर, भरारा ने सारा दोष देवयानी पर मढ़ा...
भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े मामले से पैदा विवाद पर अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने भले ही खेद जताया है, लेकिन अमेरिकी प्रॉसिक्यूटर प्रीत भरारा ने सारा दोष उल्टे देवयानी पर मढ़ दिया है।
उन्होंने देवयानी के साथ शिष्टाचार से पेश आने का दावा करते हुए कहा कि कोई चाहे कितना भी रसूखदार क्यों न हो, कानून तोड़ने पर उसे जवाबदेह ठहराया जाएगा। गौरतलब है कि देवयानी के खिलाफ सख्त कार्रवाई के पीछे न्यूयॉर्क में तैनात अमेरिकी अटॉर्नी प्रीत भरारा ही हैं।
भरारा ने कहा है कि देवयानी मामले की रिपोर्टिंग में सूचनाएं और फैक्ट गलत हैं। इससे भड़काने वाला माहौल पैदा हुआ है। भरारा ने कहा कि 'देवयानी के खिलाफ आरोपों पर रिपोर्टिंग में बहुत-सी सूचनाएं और तथ्य गलत हैं। इन गलतियों को दुरुस्त करना अहम है, क्योंकि वे लोगों को गुमराह कर रही हैं और बिना किसी बुनियाद के उत्तेजक माहौल पैदा कर रही हैं।'
मैनहटन के शीर्ष संघीय अभियोजक भराड़ा ने कहा कि देवयानी ने राजनयिकों के घरेलू कर्मियों को शोषण से बचाने के लिए बनाए गए अमेरिकी कानून का उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा, 'इस मामले के पीछे मंशा कानून के शासन को बुलंद करना है, पीड़ितों की रक्षा करना है और जो कोई कानून तोड़ता है उसे जवाबदेह बनाना है। चाहे समाज में उनकी जो भी हैसियत हो।'
भरारा ने कहा कि देवयानी की घरेलू सहायिका के रूप में काम कर चुकी पीड़िता के खिलाफ भारत में कानूनी प्रयास शुरू हुए थे और उसे 'चुप' कराने के लिए प्रयास किए जा रहे थे। भरारा ने देवयानी पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए कहा, 'ना सिर्फ उन्होंने कानून का उल्लंघन किया, बल्कि जैसा आगे आरोप लगाया गया है, उन्होंने पीड़िता और उसके जीवनसाथी से फर्जी दस्तावेज सत्यापित करने और अमेरिकी सरकारी अधिकारियों से झूठ बोलने की अपनी साजिश का एक हिस्सा बनाया।'
भरारा का कहना है कि किसी को आश्चर्य हो सकता है कि क्या कोई सरकार इस पर कार्रवाई नहीं करेगी अगर आव्रजकों को देश में लाने के लिए फर्जी दस्तावेज जमा किए जा रहे हैं। भरारा ने कहा, 'और यह आश्चर्य होता है कि क्यों ये कृत्य करने के आरोपी भारतीय नागरिक के साथ कथित बर्ताव पर इस कदर गुस्सा क्यों हैं, लेकिन भारतीय पीड़िता और उसके जीवनसाथी के साथ कथित बर्ताव पर बहुत कम गुस्सा है।'
अगले पन्ने पर, पहले भी नौकरानी ने लगाए हैं आरोप...