कप्तानी की कसौटी पर खरा कौन?

Webdunia
- अजय बर्वे
जब किसी खिलाड़ी को उसकी टीम का कप्‍तान बनाया जाता है तो उसमें कई बातें देखी जाती हैं और उनमे सबसे अहम बात होती है नेतृत्व क्षमता। लेकिन इसके साथ एक कप्तान में धैर्य भी होना चाहिए, जिससे वह विपरीत परिस्थितियों में भी जीतने के लिए टीम को प्रेरित कर सके।

इंडियन प्रीमियर लीग में भाग ले रही 8 टीमों में से 7 टीमों के कप्‍तान भारतीय ख‍िलाड़ी हैं। इनमें कोलकाता नाइट राइडर्स टीम के कप्‍तान सौरव गांगुली, बंगलोर रॉयल चैलेंजर्स के कप्‍तान राहुल द्रविड़, चेन्‍नई सुपर किंग्‍स के कप्‍तान महेन्‍द्रसिंह धोनी, किंग्‍स इलेवन पंजाब के कप्‍तान युवराजसिंह, डेक्‍कन चार्जर्स के कप्‍तान वीवीएस लक्ष्‍मण और दिल्‍ली डेयर‍डेविल्‍स के कप्‍तान वीरेन्‍द्र सहवाग हैं।

मुंबई इंडियंस टीम की कमान फिलहाल सचिन की अनुपस्थिति में दक्षिण अफ्रीका के शान पोलाक के हाथों में है, वहीं राजस्‍थान रॉयल्‍स की कमान ऑस्‍ट्रेलिया के महान लेग स्पिनर शेन वॉर्न के हाथों में है।

आईपीएल में भाग ले रही टीमों के कप्‍तानों की अगर बात की जाए तो इनमें से गांगुली, द्रविड़, सचिन को अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर कप्‍तानी का अनुभव रहा है, जबकि धोनी तो वर्तमान में टीम इंडिया के कप्‍तान हैं।

दूसरी तरफ युवराजसिंह और वीरेन्‍द्र सहवाग ने भारतीय टीम के उपकप्‍तान होने के लिहाज से कई बार अंतरराष्‍ट्रीय मैचों में कार्यवाहक कप्‍तान की भूमिका निभाई है, वहीं वीवीएस लक्ष्‍मण को अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर कप्‍तानी का कोई अनुभव नहीं हैं।

टूर्नामेंट में मजबूत समझी जाने वाली टीम लगातार मैच हारते हुए अंक तालिका में नीचे और फिसड्डी समझी जाने वाली टीमें तालिका में ऊपर जा रही हैं।

अब तक के मैचों के आधार पर अगर एक नजर कप्‍तानों पर डालें तो महेंद्र सिंह धोनी और वीरेंद्र सहवाग सबसे सफल कप्‍तान साबित हुए हैं।

उन्‍होंने हर मैच में एक अनुभवी कप्‍तान होने का सबूत दिया है। उन्‍होंने न सिर्फ अपने खिलाड़‍ियों का बेहतर उपयोग किया है, बल्कि मैदान पर भी उन्‍होंने ठंडे दिमाग से ही फैसले लिए हैं। पूरे मैच के दौरान वे कभी भी विचलित नजर नहीं आए।

धोनी को ट्‍वेंटी-20 विश्‍वकप में कप्‍तानी का अनुभव काफी फायदा पहुँचा रहा है। इसी का नतीजा है कि चेन्‍नई सुपर किंग्‍स आईपीएल में एक बेहद मजबूत टीम मानी जा रही है।

राजस्‍थान रॉयल्‍स टीम के कप्‍तान शेन वॉर्न की बात की जाए तो वे भी मैदान पर एक कुशाग्र कप्‍तान की तरह नजर आए। वन मैन शो वाली टीम को उन्‍होंने मल्‍टीस्‍टार टीम बना दिया। टीम के हर खिलाड़ी की खूबियों और कमियों का उपयोग करते हुए वे अपनी टीम को अंक तालिका में आरामदायक स्थान पर ले आए हैं। मैदान पर उनके फैसले सटीक रहे साथ्‍ा ही टीम में एक कोच के रूप में उन्होंने काफी फायदा पहुँचाया है। टीम में उन्‍होंने एक कप्‍तान और कोच के साथ ही एक सफल गेंदबाज की भूमिका निभाई है।

दिल्‍ली डेयरडेविल्‍स के कप्‍तान वीरेन्‍द्र सहवाग थोड़े अधीर हैं। वे प्रयोग करने से बचने की हर संभव कोशिश करते नजर आते हैं। मैच के दौरान लिए गए उनके फैसले अकसर सही सबित हुए हैं। खिलाड़‍ियों को हर वक्‍त चार्ज करते रहते हैं। एक ऑलराउंडर की तरह मैदान पर नजर आते हैं। टीम के लिए एक अच्‍छे कप्‍तान के साथ सफल बल्‍लेबाज भी सबित हुए हैं।

किंग्‍स इलेवन पंजाब के कप्‍तान युवराज सिंह ने भारतीय टीम में उपकप्‍तान के रूप में जो कुछ सीखा है, उसका उपयोग टूर्नामेंट में बखूबी कर रहे हैं। धैर्य की कमी उनमें साफ नजर आती है, साथ ही जल्‍द बैचेन हो जाते हैं। जोशीले होने के कारण टीम के बाकी खिलाड़‍ियों में भी जोश भरते रहते हैं। टीम को अपनी कप्‍तानी के अलावा बल्‍ले से भी जीत दिलवा चुके हैं।

कोलकाता नाइट राइडर्स के कप्‍तान सौरव गांगुली की गिनती अपने समय के सबसे सफल भारतीय कप्‍तान के रूप में होती है, लेकिन इतने सारे अंतरराष्‍ट्रीय मैचों में कप्‍तानी कर चुके गांगुली को अब क्‍यों परेशानी आ रही है। गांगुली की कप्‍तानी में कोलकाता की टीम ने शुरुआत में तो धमाकेदार खेल दिखाया, लेकिन अचानक क्‍या हुआ कि सबसे तालिका में सबसे ऊपर वाली टीम नीचे आ गई। पिछले दो मैचों में हारने की चिंता के कारण गांगुली के चेहरे पर घबराहट साफ नजर आई।

मैदान पर लिए गए फैसले भी सही साबित नहीं हुए। यहाँ तक की पिछला मैच हारने पर टीम के खिलाड़ि‍यों ने ही कप्‍तानी पर अँगुली उठा दी है। साफ है या तो गांगुली कप्‍तानी नहीं कर पा रहे हैं या फिर टीम में फूट पड़ रही है।

डेक्‍कन चार्जर्स के कप्‍तान वीवीएस लक्ष्‍मण की बात की जाए तो उन्‍हें कप्‍तानी का कोई लंबा अनुभव नहीं है और यह भी दिखाई दे रहा है। एक दमदार टीम के कप्‍तान होने के बाद भी अपनी टीम का बढ़िया उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। मैच हारने के बाद भी चेहरे पर चिंता की लकीरें ही नजर आती हैं। लक्ष्‍मण एक अच्‍छी टीम का सही फायदा नहीं उठा पा रहे हैं।

मुंबई इंडियंस टीम कप्‍तानी में काफी बदकिस्‍मत साबित हुई है। टीम के कप्‍तान अब तक एक भी मैच नहीं खेले हैं, वहीं कार्यवाहक कप्‍तान हरभजनसिंह की कप्‍तानी में टीम सारे मैच हारी। हरभजन के बाहर होने के बाद बारी शान पोलाक की जिन्‍होंने अपनी कप्‍तानी में पहला मैच ही जीत लिया। सचिन भले ही मैदान से बाहर हों, लेकिन टीम के कप्‍तान के रूप में पहले हरभजन और फिर पोलाक ने अपने अनुभव का फायदा दिया। हालांकि हरभजन उसका फायदा नहीं ले पाए, जो कि पोलाक ने लिया। पोलाक टीम के कुछ अनुभवहीन खिलाड़‍ियों का सही उपयोग करते नजर आए।

आईपीएल में राहुल द्रविड़ अब तक सबसे असफल कप्‍तान साबित हुए हैं। उनकी टीम अब तक सिर्फ एक ही मैच जीत पाई है। टीम में एक से बढ़कर एक बल्‍लेबाज और गेंदबाज हैं, लेकिन लगता है द्रविड़ उनका बेहतर उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। अब आगे की जंग और ज्‍यादा कठिन साबित होगी। द्रविड़ ट्वेंटी-20 क्रिकेट के मुताबिक फैसले लेने में सही साबित नहीं हुए हैं।

मैदान पर शांत दिखने वाले द्रविड़ को वैसे तो कप्‍तानी का अनुभव है, लेकिन फिर भी वे प्रभाव छोड़ने में नाकाम रहे हैं। जोश की कमी नहीं, लेकिन फिर भी उस जोश को बाकी खिला‍ड़‍ियों तक नहीं पहुँचा पा रहे हैं।

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