कुरआन में है परोपकार की शिक्षा

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कुरआन में परोपकार की शिक्षा बार-बार आई है। जकात देने को अनिवार्य किया गया है जिसके द्वारा गरीबों की स्थिति को सुधारने का प्रयास किया गया है। कुरआन ईश्वरीय पुस्तक है कोई अनुमानित बात नहीं है।

हजरत मोहम्मद (स.) ने अपने जीवन में कभी झूठ नहीं बोला। शहर के लोग जब यात्रा पर जाते हैं तो अपने माल-असबाब आपके पास अमानत के रूप में रख जाते हैं। और वापस आते हैं तो उसी स्थिति में या उससे बेहतर स्थिति में अपनी अमानत वापस पाते हैं। ऐसा अमानतदार व्यक्ति कोई साधारण व्यक्ति नहीं हो सकता, अल्लाह का पैगम्बर ही हो सकता है। सभी धर्म एक हैं केवल रास्ते अलग-अलग हैं। ईश्वर सबके लिए है, हजरत मोहम्मद सबके लिए हैं। कुरआन सबके लिए है। मरने के बाद जीवन का अंत नहीं होता, बल्कि एक बड़ा और अनंत जीवन प्रारंभ होता है।

यदि किसी ने हजारों कत्ल किए हो तो उसे इस जीवन में केवल एक बार फाँसी दी जा सकती है। किसी ने बहुत पुण्य के कार्य किए हो तो उसका पुरस्कार यहाँ नहीं मिल सकता। इन सबका बदला परलौकिक जीवन में मिलेगा।

जीवन एक परीक्षा है। इस परीक्षा का प्रतिफल परलोक में मिलेगा। हमारी आवश्यकताओं के अनुसार ही यह जीवन विधान यानी कुरआन अल्लाह ने हमें दिया है।

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