प्रतिमा समूह

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ग्वालियर दुर्ग पर बनी समस्त प्रतिमाओं में 5 समूहों में विभाजित किया जा सकता है-

1. उरवाही समूह- उरवाई समूह पर 22 जैन मूर्तियाँ हैं। इनमें से 5 मूर्तियों पर सं. 1497 (सन्‌ 1440) से सं. 1510 (सन्‌ 1453) के अभिलेख खुदे हैं। इनमें 20 नंबर की मूर्ति आदिनाथ की सबसे विशाल है। यह 57 फुट ऊँची कायोत्सर्ग चरणों के पास 9 फुट चौड़ी है। यही मूर्ति बावनगजा के नाम से प्रसिद्ध है। 22 नंबर को नेमिनाथ की मूर्ति पद्मासन 30 फुट ऊँची है। नेमिनाथ की इतनी विशाल मूर्ति अन्यत्र नहीं है।

2. दक्षिण-पश्चिम समूह- यह खेमा ताल के नीचे उरवाई द्वार के बाहर की शिला पर है। इसमें 5 मूर्तियाँ हैं। 1 नंबर में स्त्री, पुरुष तथा बालक की मूर्तियाँ हैं। 2 नंबर में एक 8 फुट लंबी लेटी हुई त्रिशला माता की मूर्ति है तथा महावीर की मूर्ति है।

3. उत्तर-पश्चिम समूह- इसमें आदिनाथ की एक महत्वपूर्ण कृति बनी है, जिस पर संवत्‌ 1527 का लेख है।

4. उत्तर-पूर्व समूह- इसमें छोटी अनेक मूर्तियाँ हैं। इन पर कोई लेख नहीं है।

5. दक्षिण-पूर्व समूह- इस समूह की मूर्तियाँ अधिक महत्वपूर्ण हैं। इनमें कला का रूप निखर उठा है। ये मूर्तियाँ फूलबाग के दरवाजे से निकलते ही लगभग आधे मील के क्षेत्र में खुदी हुई दिखाई देती हैं। इस समूह में लगभग 20 प्रतिमाएँ 20 से 30 फुट की ऊँचाई की तथा लगभग इतनी ही 8 से 15 फुट तक की ऊँचाई लिए हुए हैं। इसमें आदिनाथ, नेमिनाथ, पद्मप्रभ, संभवनाथ, कुंथनाथ और महावीर आदि की मूर्तियाँ हैं। इसमें कुछ मूर्तियों पर 1525 से 1530 संवत्‌ तक के अभिलेख खुदे हैं।

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