॥ स्वस्ति मंगल पाठ ॥

Webdunia
श्री वृषभो नः स्वस्ति, स्वस्ति श्रीअजितः।
श्री संभवः स्वस्ति, स्वस्ति श्रीअभिनंदनः।
श्री सुमतिः स्वस्ति, स्वस्ति श्रीपद्मप्रभः।
श्री सुपार्श्वः स्वस्ति, स्वरित श्रीचंद्रप्रभः।
श्री पुष्पदंतः स्वस्ति, स्वस्ति श्रीशीतलः।
श्रीश्रेयान्‌ स्वस्ति, स्वस्ति श्री वासुपूज्यः।
श्री विमलः स्वस्ति, स्वस्ति श्रीअनंतः।
श्री धर्मः स्वस्ति, स्वस्ति श्रीशान्तिः।
श्री कुंथुः स्वस्ति, स्वस्ति श्रीअरनाथः।
श्री मल्लिः स्वस्ति, स्वस्ति श्रीमुनिसुव्रतः।
श्रीनमिः स्वस्ति, स्वस्ति श्रीनेमिनाथः।
श्री पार्श्वः स्वस्ति, स्वस्ति श्री वर्द्धमानः।
( पुष्पांजलिं क्षिपामि)

॥ इति जिनेन्द्र स्वस्तिमंगलविधानं ॥
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

sawan somwar 2025: सावन का पहला सोमवार कब है? इस दिन क्या करें, पूजा का शुभ मुहूर्त

पंढरपुर यात्रा कब और क्यों निकाली जाती हैं, जानें इतिहास

मोहर्रम मास 2025: जानें मुहर्रम का इतिहास, धार्मिक महत्व और ताजिये का संबंध

श्रावण के साथ ही शुरू होगी कावड़ यात्रा, जानें क्या करें और क्या न करें

वर्ष 2025 में कब से प्रारंभ हो रहे हैं चातुर्मास, कब तक रहेंगे?

सभी देखें

धर्म संसार

29 जून 2025 : आपका जन्मदिन

29 जून 2025, रविवार के शुभ मुहूर्त

सावन मास के व्रत और त्योहारों की लिस्ट

Puri Rath Yatra: भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के रथ गुंडिचा मंदिर पहुंचे

sawan somwar 2025: सावन सोमवार के व्रत के दौरान 18 चीजें खा सकते हैं?