एक बार उसने सोचा क्यों न गांव में घूमकर देखा जाए। दिन में तो गांव में भीड़ काफी रहती थी, इसीलिए उसने सुबह जल्दी ही गांव का चक्कर लगाकर वापस अपने जंगल आने का मन बनाया।
झुटपुटे में जेब्रा जंगल से निकला और गांव में दाखिल हो गया। उसे गांव की गलियां और वहां का बाजार देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ। उसने सोचा कि गांव कितना अच्छा है। यहां कितनी शांति है। जेब्रा को घूमते-घूमते समय का ध्यान नहीं रहा और सुबह हो गई। थोड़ी ही देर में शांति चहल-पहल में बदल गई। लोगों ने जब जेब्रा को देखा तो सोचा यह तो बड़ा ही आकर्षक जानवर है, क्यों न इसे पकड़ा जाए। जेब्रा के सफेद कोट ने उन्हें भी प्रभावित किया था। लोग जेब्रा को पकड़ने के लिए उसके पीछे जाल लेकर दौड़े।
जेब्रा भागा। उसे अपने से बड़ों की दी सीख याद आई कि गांव की तरफ मत जाना वरना गांव वाले तुम्हें पकड़ लेंगे। जेब्रा घबराया। अब आगे-आगे जेब्रा और पीछे-पीछे गांव वाले भाग रहे थे। तभी जेब्रा को एक विचार आया। उसने देखा गांव में एक जगह काले पेंट का डिब्बा रखा था।