Biodata Maker

अपने जाले में क्यों नहीं फँसती मकड़ी?

Webdunia
मकड़ी पेट में विशेष प्रकार की ग्रंथियों से निकलने वाले द्रव से जाला बनता है। मकड़ी के शरीर के पिछले हिस्से में स्पिनेरेट नाम का अंग होता है जिसकी मदद से इस द्रव को पेट से बाहर निकालती है। हवा के संपर्क में आने पर पेट से बाहर निकाला जाने वाला द्रव सूखकर तंतु जैसा बन जाता है। इस तरह के तंतुओं से ही मकड़ी का जाला बनता है। मकड़ी के जाले में दो तरह के तंतु होते हैं। एक सूखा जिससे जाले की फ्रेम बनती है और दूसरा जिनसे बीच की रेखाएँ बनती हैं उसे स्पोक्स कहते हैं।

स्पोक्स चिपचिपा होता है। जाले में चिपचिपे तंतुओं में ही चिपककर शिकार फँस जाता है और छूट नहीं पाता है। जब शिकार फँस जाता है तो मकड़ी सूखे धागों पर चलती हुई शिकार तक पहुँचती है और इसलिए वह जाले में नहीं उलझती। वैसे मकड़ी के शरीर पर तेल की एक विशेष परत भी चढ़ी होती है जिससे उसके जाले में फँसने का सवाल ही नहीं उठता।
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

डायबिटीज के मरीजों में अक्सर पाई जाती है इन 5 विटामिन्स की कमी, जानिए क्यों है खतरनाक

Toilet Vastu Remedies: शौचालय में यदि है वास्तु दोष तो करें ये 9 उपाय

Negative thinking: इन 10 नकारात्मक विचारों से होते हैं 10 भयंकर रोग

Winter Health: सर्दियों में रहना है हेल्दी तो अपने खाने में शामिल करें ये 17 चीजें और पाएं अनेक सेहत फायदे

Kids Winter Care: सर्दी में कैसे रखें छोटे बच्चों का खयाल, जानें विंटर हेल्थ टिप्स

सभी देखें

नवीनतम

एसआईआर पर बंगाल का दृश्य डरावना

World Energy Conservation Day: विश्व ऊर्जा संरक्षण दिवस क्यों मनाया जाता है, जानें इतिहास, महत्व और उद्देश्य

Christmas Essay: क्रिसमस की धूम, पढ़ें बड़े दिन पर रोचक हिन्दी निबंध

कविता: ओशो का अवतरण, अंतरात्मा का पर्व

International Mountain Day: अरावली पर्वत श्रृंखला का वजूद खतरे में