आर्किटेक्चर में गढ़ें अपना करियर

जयंतीलाल भंडारी

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ऊंची-ऊंची गगनचुंबी इमारतों, मल्टीप्लेक्सों, कलात्मक एवं भव्य मंदिरों, मालों आदि को देखकर सचमुच आश्चर्य होता है कि आखिर इस निर्माण कार्य को किस प्रकार से अंजाम दिया गया होगा। दरअसल यह कमाल है एक आर्किटेक्ट का, जिसकी योजनाओं और रणनीति पर अमल कर इस तरह के निर्माण कार्य संपन्न किए जाते हैं।

इस हुनर को आर्किटेक्चर के नाम से जाना जाता है या यूं कहें कि आर्किटेक्चर रचनात्मक कौशल का प्रयोग कर डिजाइनिंग तथा भवन निर्माण की कला का नाम है। सामाजिक, तकनीकी और पर्यावरणीय स्थितियों को ध्यान में रखते हुए इमारतों के निर्माण तथा कला-विज्ञान का मिला-जुला रूप ही आर्किटेक्चर कहलाता है।

गौरतलब है कि भवन निर्माण के संबंध में लोगों की व्यावहारिक तथा अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आर्किटेक्ट की सेवाएं लेने का चलन आज का नहीं अपितु सदियों पुराना है। एक आर्किटेक्ट केवल भवनों का खाका ही तैयार नहीं करता है, बल्कि कीमत का निर्धारण कर भवन निर्माण में अपने उम्दा कौशल का प्रदर्शन भी करता है।

यह वास्तु व शिल्प का मिला-जुला रूप होता है। मूल अर्थों में आर्किटेक्ट का काम किसी आइडिया को मूर्त रूप देना और कंक्रीट के रूप में जमीन पर उतारना है। एक आर्किटेक्ट को विविध कार्य करने पड़ते हैं। उसे निर्माण स्थल का विस्तृत खाका तैयार करना होता है। वास्तविक जीवंत तस्वीर बनाने के लिए अधिक जटिल परियोजनाओं के रेखांकन और थ्री-डी मॉडल भी तैयार करने पड़ते हैं।

लाइट फिटिंग, वेन्टीलेशन की व्यवस्था और कभी-कभी भूतल निर्माण, चयनित निर्माण सामग्री, साज-सामान तथा आंतरिक सजावट की योजना के चित्र अलग से तैयार करने पड़ते हैं।

आर्किटेक्ट को यह भी खास ध्यान रखना पड़ता है कि उसकी योजना में अग्निशमन नियमों, भवन निर्माण संबंधी कानूनों और अन्य आवश्यक बातों का उल्लंघन न हो। इसके बाद आर्किटेक्ट को विशेषताओं, फ्लोरिंग, फिनिशिंग और निर्माण सामग्री की अनुमानित मात्रा तथा परियोजना की अनुमानित लागत का विवरण तैयार करना पड़ता है।

इसके लिए अभियांत्रिकीय सिद्धांतों की समझ, निर्माण विधियों, सामग्री तथा पर्यावरण की तकनीकों के नवीनतम विकास संबंधी नियमों की जानकारी का होना भी नितांत आवश्यक है। किसी आर्किटेक्ट की काबिलियत इस बात पर निर्भर करती है कि वह जगह और साधनों के बेहतर इस्तेमाल में कितना कुशल है।

अगर आप किसी संरचना में स्तंभों को पूर्णता प्रदान कर सकने में सक्षम हैं, अगर संरचना को जीवंत बनाने में आपको महारत हासिल है और अगर आप संरचना की खिड़कियों और दरवाजों के माध्यम से अपनी कहानी बयां कर सकते हैं तो आर्किटेक्ट के रूप में करिअर की असीम ऊंचाइयां हाथ फैलाए आपका इंतजार कर रही हैं।

निर्माण उद्योग में उछाल आने वाले दशकों तक बरकरार रहने की संभावनाओं के मद्देनजर करियर का यह क्षेत्र काफी दिलचस्प भी है। बारहवीं में गणित, भौतिकी और रसायन विषयों की पढ़ाई के बाद आप आर्किटेक्चर में स्नातक की पढ़ाई कर सकते हैं। अगर स्कूली स्तर पर आपने इंजीनियरिंग ड्राइंग की पढ़ाई की हो तो आगे यह कोर्स काफी आसान हो जाता है। बी. आर्क कोर्स में प्रवेश हेतु प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है। आर्किटेक्चर में परा स्नातक कोर्स हेतु बी.आर्क डिग्री आवश्यक है।

बी. आर्क के अलावा विभिन्न पोलिटेक्निकों में तीन वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं। आर्किटेक्चर के डिप्लोमा पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु गणित विषय के साथ दसवीं कक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक है। देश के 135 आर्किटेक्चर कॉलेजों में बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर करने के लिए नाटा परीक्षा देना होती है।

नाटा परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए बारहवीं गणित विषय के साथ उत्तीर्ण होना आवश्यक है। नाटा में सफल होने के लिए कम से कम नाटा परीक्षा में 40 प्रतिशत अंक प्राप्त होने चाहिए इसके बाद नाटा परीक्षा और बारहवीं की परीक्षा (दोनों का समान वेटेज) में मिले अंकों के आधार पर मेरिट बनाई जाती है। आर्किटेक्ट का कार्यक्षेत्र बहुत व्यापक है।

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आर्किटेक्चरल फर्म, कंस्ट्रक्शन कंपनी, सरकारी विभागों और पुल निर्माण व रखरखाव, विभाग, शहरी व ग्रामीण विकास विभाग और नगर पालिकाओं एवं नगर निगमों में आर्किटेक्ट बहुत ही आकर्षक वेतन व सुविधाओं पर रखे जाते हैं। इसके अलावा आज देश में तीन सौ से ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्शन डेवलपमेंट कंपनियां हैं, जो कई सारे प्रोजेक्ट पर एक साथ काम करती हैं और जिनके यहां हजारों आर्किटेक्ट काम करते हैं। महानगरों में बन रहे फ्लाईओवर, आधुनिक यातायात व्यवस्था मेट्रो, नदी पर बनने वाले पुल और सब-वे के बढ़ते चलन ने आर्किटेक्ट के काम को नया विस्तार दिया है।

इसके अलावा, भवनों के रखरखाव और सरकारी गृह निर्माण योजनाओं में आर्किटेक्ट की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है, ताकि जगह के सदुपयोग के साथ आम जनता को उनके पैसे की पूरी कीमत भी मिल सके। इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र के माहिरों की केंद्र व राज्य सरकार के विभागों में भी हमेशा मांग बनी रहती है। आप चाहें तो विभिन्न निर्माण कार्यों से जुड़ी संस्थाओं और प्राधिकरणों से जुड़कर विशेषज्ञ आर्किटेक्ट का काम भी संभाल सकते हैं।

काउसिंल ऑफ आर्किटेक्चर इंडिया ने इस क्षेत्र से संबंधित विभिन्न सेवाओं के लिए वेतन और पारिश्रमिक का एक मानक निर्धारत कर रखा है। यह पारिश्रमिक अमूमन परियोजना पर आने वाले खर्च का एक निर्धारित प्रतिशत होता है। सीधे शब्दों में कहें तो इस क्षेत्र में आप प्रारंभिक दौर में भी 15 से 20 हजार रुपए मासिक कमा सकते हैं जो प्रसिद्धि मिलने के बाद बढ़ता चला जाता है।

कहां से करें कोर् स

जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, जामिया नगर, दिल्ली।
बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा, रांची
रूड़की इंजीनियरिंग कॉलेज, रूड़की
गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर, लखनऊ विवि, लखनऊ
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, खड़गपुर
स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग, चेन्नई
दयानंद सागर कॉलेज ऑफ इंजीनियंरिंग, बेंगलुरु
कॉलेज ऑफ इंजीनियंरिंग, केरल विश्वविद्यालय, तिरुअनंतपुरम

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