Dharma Sangrah

रुपए में बनी रहेगी कमजोरी

Webdunia
रविवार, 8 मार्च 2009 (21:55 IST)
अर्थव्यवस्था की सुस्त पड़ती रफ्तार और विदेशी संस्थानों की शेयर बाजार में बिकवाली के चलते डॉलर के मुकाबले रुपए पर दबाव बने रहने की संभावना है।

अंतर बैंकिंग विदेशी मुद्रा बाजार में पिछले सप्ताह एक डॉलर की कीमत 52.20 रुपए के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँचने के बाद कुछ ढीली पड़ी और सप्ताहांत एक प्रतिशत से अधिक अर्थात 53 पैसे बढ़कर 51.63..51.65 रुपए प्रति डॉलर पर बंद हुई।

विश्लेषकों का कहना है कि वर्तमान में जो परिस्थितियाँ नजर आ रही हैं, वे रुपए की कमजोरी की तरफ इशारा करती हैं।

बरक्ले कैपिटल का कहना है कि अगले तीन माह के दौरान एक डॉलर की कीमत 56 रुपए तक पहुँच सकती है। बरक्ले के मुताबिक अर्थव्यवस्था की सुस्त पड़ती रफ्तार और भुगतान घाटे के संतुलन को देखते हुए रुपए पर दबाव बना रहेगा। अगले वित्तीय वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की आर्थिक वृद्धि दर चार प्रतिशत तक सिमट सकती है, जिससे रुपए वास्तविक प्रभावी विनिमय दर कमजोर पड़ेगी।

गौरतलब है कि पिछले तीन वित्त वर्ष के दौरान देश की आर्थिक वृद्धि दर नौ प्रतिशत से अधिक रही थी और चालू वित्त वर्ष में सरकारी अनुमानों में यह घटकर 7.1 प्रतिशत रह जाएगी। सितम्बर-अक्टूबर 09 के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 5.3 प्रतिशत ही रह गई, जबकि इससे पहली तिमाही में यह 7.6 प्रतिशत थी।

वर्ष 2007 के दौरान विदेशी संस्थानों ने देश के शेयर बाजारों में 17 अरब 40 लाख डॉलर का रिकॉर्ड निवेश किया था और इस निवेश के बूते रुपए ने डॉलर के समक्ष 12 प्रतिशत की छलांग लगाई थी, किंतु 2008 में स्थिति बिलकुल बदल गई। विदेशी संस्थानों ने 13 अरब डॉलर से अधिक की निकासी की और रुपया 19 प्रतिशत लुढक गया। वर्ष 2009 में अब तक स्थिति में कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा है और विदेशी संस्थान लगातार निकासी में जुटे हुए हैं और दो अरब डॉलर की निकासी कर चुके हैं, जिससे रुपया पाँच प्रतिशत से अधिक गिर चुका है।

क्रेडिट सुईस के हाल के एक नोट के मुताबिक विदेशी संस्थानों का देश के शेयर बाजारों में एक समय निवेश 380 अरब डालर पर पहुँच गया था, जो अब घटकर 110 अरब डॉलर के आसपास रह गया है।

उधर, रिजर्व बैंक का कहना है कि उसकी विदेशी मुद्रा बाजार की गतिविधियों पर बारीकी से नजर है और वह अत्यधिक उतार-चढ़ाव पर अंकुश लगाएगा। बैंक की डिप्टी गवर्नर श्यामला गोपीनाथ ने मंगलवार को एक सम्मेलन में कहा कि बैंक की विनियम बाजार की उथल-पुथल पर निगाह है और जैसा कि सभी जानते हैं कि विश्व की प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर मजबूत हो रहा है।

हमारी नीति रही है कि अत्याधिक उतार-च्ढ़ाव पर अंकुश लगाया जाए। रिजर्व बैंक भी विनिमय बाजार की उथल-पुथल को रोकने के लिए लगातार सक्रिय रहा है। वर्ष 2008 के दौरान बैंक ने 11 अरब 42 करोड़ डॉलर की शुद्ध बिक्री की। इसमें से दो अरब 30 करोड़ डॉलर तो दिसम्बर माह में ही बेचे गए।

वैश्विक आर्थिक मंदी के चलते पिछले चार माह से देश के निर्यात में गिरावट का सिलसिला बना हुआ है और 200 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को हासिल कर पाना अब मुश्किल दिखाई देने लगा है। बीते वित्त वर्ष में 160 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था।

Show comments

जरूर पढ़ें

Medical Store : बिना फार्मासिस्ट मेडिकल चलाया तो 3 साल की जेल और 2 लाख का जुर्माना, जानिए क्या है नया आदेश

very shocked : 3 दिन बाद जूता कांड पर CJI बीआर गवई ने तोड़ी चुप्पी, बोले मेरे लिए भुला दिया गया अध्याय

प्रोपेगंडा मेडिसिन माफियाओं ने बढ़ाया मरीज का मर्ज, कमजोर कानून ने ड्रग माफियाओं को किया मजबूत

हरियाणा-IPS सुसाइड, CM से बोलीं IAS पत्नी- ये मर्डर, सुसाइड नोट में नाम होने के बाद भी FIR दर्ज नहीं

Transfer Gmail to Zoho Mail: Gmail छोड़ अमित शाह ने अपनाया Zoho Mail, जानिए स्विच करने का स्टेप-बाय-स्टेप प्रोसेस

सभी देखें

नवीनतम

PM मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप को लगाया फोन, गाजा पीस प्लान को लेकर दी बधाई, ट्रेड डील पर भी हुई बात

11 अक्टूबर को लॉन्च होगी ‘पीएम धन-धान्य योजना, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया किसानों का कैसे होगा फायदा

MP को मुंबई के इंटररेक्टिव सेशन में मिले 74,300 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश प्रस्ताव, CM डॉ. यादव बोले- प्रगति के क्षेत्र में महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश जोड़ीदार राज्य

मेरठ की छात्रा परी बनी एक दिन की डिप्टी एसपी, बेटियों के आत्मविश्वास की नई मिसाल

अयोध्या में घर में फटा सिलेंडर, 3 बच्चों सहित 5 की मौत