अली ने सिखाई थी तेज रफ्तार

18 जून को मुश्ताक अली की चौथी पुण्यतिथि पर विशेष

Webdunia
बुधवार, 17 जून 2009 (17:21 IST)
परदेसी सरजमीं पर भारत की ओर से पहला टेस्ट शतक जड़कर क्रिकेट इतिहास में अमर हुए कैप्टन सैयद मुश्ताक अली की बल्लेबाजी मौजूदा ट्वेंटी- 20 क्रिकेट के तूफानी तेवर लिए थी। वह टेस्ट मैचों में गेंदबाजों की धुनाई करते थे इसी अदा के चलते दर्शक उन पर जान छिड़कते थे।

' फटाफट क्रिकेट' के पुरोधा माने जाने वाले अली ने अपने करियर का आगाज हालाँकि बाएँ हाथ के धीमी गति के गेंदबाज के रूप में किया, लेकिन बाद में उनकी पहचान दाएँ हाथ के विस्फोटक सलामी बल्लेबाज की बन गई। वह क्रिकेट इतिहास में आज भी इसी अवतार में दर्ज हैं। अली का जन्म 17 दिसंबर 1914 को इंदौर के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ।

उन्होंने 5 जनवरी 1934 को कोलकाता के ईडन गार्डन पर इंग्लैंड के खिलाफ अपने टेस्ट जीवन का आगाज किया। मगर उनके करियर में सबसे अहम मोड़ वर्ष 1936 में आया जब भारत मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड पर इंग्लैंड से भिड़ा। इस मैच में अली ने मशहूर बल्लेबाज विजय मर्चेंट के साथ भारतीय पारी का आगाज किया।

दोनों बल्लेबाजों ने फिरंगी गेंदबाजों की बेरहमी से धुनाई करते हुए करीब 140 मिनट में 203 रन जोड़े। इनमें से 112 रन अकेले अली के बल्ले से निकले थे और यह टेस्ट क्रिकेट में उनका सर्वाधिक स्कोर भी है।

तब भारत गुलाम था और अली ने पहली बार इंग्लैंड के खिलाफ उसकी धरती पर शतक जड़कर हर भारतीय का सिर फख्र से ऊँचा कर दिया था। यह विदेशी सरजमीं पर भारतीय टीम के किसी बल्लेबाज का पहला टेस्ट शतक भी था।

आमतौर पर रनों की धीमी रफ्तार के लिए मशहूर टेस्ट क्रिकेट में तेज रफ्तार क्रिकेट का मजा दिलाने में अली को महारथ हासिल थी। वह अक्सर गले पर करीने से रूमाल बाँधकर खेलते थे और उन्हें बोरियत भरी बल्लेबाजी से चिढ़ थी।

पैनी नजर और उम्दा फुटवर्क ने उन्हें एक महान बल्लेबाज बनाया। उनकी बल्लेबाजी में आक्रामकता और सौम्यता का अनोखा मेल था। उन्होंने 11 टेस्ट मैचों की 20 पारियों में 32.21 के औसत से कुल 612 रन बनाए। इनमें दो शतक और तीन अर्धशतक शामिल हैं। अली ने वर्ष 1952 में अपने करियर का 11वाँ और आखिरी टेस्ट इंग्लैंड के खिलाफ ही खेला।

चेन्नई में खेला गया यह मुकाबला भारतीय क्रिकेट में कभी भुलाया नहीं जा सकता। इसमें टीम इंडिया ने इंग्लैंड को रौंदा था और यह फिरंगियों पर हिंदुस्तानियों की पहली टेस्ट फतह थी।

कहते हैं कि एक बार जब भारतीय टीम में अली को शामिल नहीं किया गया तो कोलकाता के ऐतिहासिक ईडन गार्डन पर दर्शकों ने नो मुश्ताक अली नो क्रिकेट का गगनभेदी नारा लगाना शुरू कर दिया। चयनकर्ताओं को आखिरकार दर्शकों की भावनाओं के आगे झुकना ही पड़ा।

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