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बड़ा होता बुद्धू बक्सा

Webdunia
- राम यादव
टीवी स्क्रीन बड़ी होती जा रही है। आने वाले समय में तस्वीरें भी बेहद साफ हो जाएँगी। हाई डेफिनिशन टेलीविजन यानी HDTV कहलाने वाली यह नई डिजिटल तकनीक अपने साथ उथ ल- पुथल भी लाने जा रही है। टेलीविजन के जिस पर्दे पर हम अब तक अपनी पसंद के कार्यक्रम देखते रहे हैं, उसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात आमतौर पर 4'3 होता है। तेजी से दौड़ता वीडियो दरअसल कई लाइनों और कई हजार बिंदुओं से तैयार होता है। एक तस्वीर ही हजारों पिक्सल (चित्रबिंदु) की बनती है।

तकनीकी प्रगति के साथ पुराने टेलीविजन अब पुराने पड़ते जा रहे हैं और उसकी जगह लेने जा रहा है एक नया नाम हाई डेफिनिशन टीवी। इसे HDTV भी कहा जाता है। दरअसल इस तकनीक पर काम तो अस्सी के दशक से ही होता रहा है, लेकिन अब प्रयोगशालाओं से निकलकर ये बड़े पैमाने पर बाजार में आ ही गए हैं।

HDTV आखिर है क्या। इस तकनीक के मास्टर मिशाएल श्टाइन कहते है, 'हाई डेफिनिशन में कम से कम 720 लाइनें होती हैं और 7.77.600 पिक्सल या इससे भी अधिक 20 लाख पिक्सल (चित्रबिंदु) होते हैं। अधिक बिंदुओं का मतलब है और अधिक साफ और बारीक तस्वीर। HD टेलीविजन 16'9 वाले चौड़ी स्क्रीन पर्दे वाला है।'

क्या करें ग्राहक : बर्लिन में इस बार के इलेक्ट्रॉनिक मेले के साथ जर्मनी ने भी हाई डेफिनिशन टेलीविजन के युग में प्रवेश कर लिया है। लेकिन साथ ही यहाँ टेलीविजन प्रसारण की दुनिया में अराजकता भी पैर पसारने लगी है। इससे उपभोक्ता असमंजस में हैं। कंपनियों को चिंता सता रही है कि HDTV की छवि पर इसका खराब असर पड़ सकता है।

मिशाएल श्टाइन कहते हैं 'टेलीविजन निर्माता एक बार फिर अराजकता फैलाने में सफल रहे हैं। HD टीवी की नई तकनीक है। टेलीविजन सेट भी कई प्रकार के हैं। एक तो सिर्फ आधुनिक तकनीक की ब्लू रे डिस्क वाली फिल्मों के लिए ही है।'

टीवी के डिब्बे का लेबल देखें : इस समय हाई डेफिनिशन लायक जो टेलीविजन सेट बाजार में बिक रहे हैं, उन पर HD-Ready, Full HD या HDTV लिखा होता है। यह सब आम आदमी की समझ से परे है।

इसे समझाते हुए मिशाएल श्टाइन बताते हैं 'जिसे अच्छी क्वालिटी चाहिए, उसे देखना होगा कि टीवी सेट पर क्या लिखा है। वैसे तो हर सेट अन्य सिग्नल भी दिखा सकता है, लेकिन क्वालिटी वही नहीं रहेगी। HD-Ready का मतलब है कि यह टीवी सेट HD के लिए तैयार है, लेकिन HD प्रसारण पकड़ने के लिए उसे अलग से सेट टॉप बॉक्स या रिसीवर चाहिए। यदि सेट पर HDTV लिखा है तो मतलब है कि रिसीवर भी उसमें पहले से बना हुआ है, लेकिन तब भी ध्यान देना होगा कि वह कितनी लाइनों वाले रिजोल्यूशन के लिए बना है।'

HD-Ready लेबल वाले टीवी सेट में अपना रिसीवर नहीं होगा और हो सकता है वह केवल 720 लाइनों वाले फॉर्मेट के लिए हो। Full HD लेबल वाला सेट 1080 लाइनों वाले फॉर्मेट के लिए होगा। उसका हर चित्र 1080 गुणा 1920 पिक्सल, यानी करीब 20 लाख पिक्सल का होगा। लेकिन हो सकता है कि उसे भी अलग से रिसीवर चाहिए पर जिसमें HDTV लिखा हो, उसमें अपना रिसीवर भी होगा और वह Full HD की तरह अधिकतम पिक्सल वाला भी होगा।

डिकोडर चाहिए : पिक्सल और लाइनों का यह पचड़ा यहीं खत्म नहीं होता। जर्मनी में लाइसेंस फीस से चलने वाले सार्वजनिक प्रसारक अपने प्रसारण 720 लाइनों के 720 p कहलाने वाले नॉर्म में करेंगे। इससे अलग-अलग विज्ञापनों के सहारे कमाई करने वाले निजी चैनल 1080 लाइनों वाले अंतरराष्ट्रीय 1080 i नॉर्म को अपनाने जा रहे हैं।

टेलीविजन दर्शकों की जेब हलकी करने के लिए निजी चैनल अपने कार्यक्रमों को कोडबद्ध करेंगे, जैसा कि पत्रकार अंद्रेयास राइनहार्ड बताते हैं 'कोडबद्ध करने के लिए वे सेट टॉप बॉक्स में कॉमन इन्टफेस ( CI Plus) का उपयोग करेंगे। यानी आपको ऐसा रिसीवर चाहिए, जो इस कोड को खोल सके। इसके लिए एक ग्राहक-कार्ड की जरूरत पड़ेगी, जिसे किराए पर लेना होगा। ग्राहक-कार्ड से यह भी नियंत्रित किया जा सकता है, आप क्या चीजें रिकॉर्ड कर सकते हैं, कितने दिन या कितनी बार देखने के लिए रिकॉर्ड कर सकते हैं और कब रिकॉर्डिंग अपने आप मिट जाएगी।'

कम्प्यूटर से ही टीवी भी देखें : मिशाएल श्टाइन एक और नई तकनीक की याद दिलाते हैं। वे कहते है, ' HDMI अब एक नया कनेक्शन नॉर्म है, जो हाई डेफिनिशन क्षमता वाले टीवी सेट या मॉनीटर को किसी HD रिसीवर या सेट टॉप बॉक्स से जोड़ने के लिए बना है। भविष्य में HD रिसीवर या सेट टॉप बॉक्स होना काफी है, उसे कम्प्यूटर के मॉनीटर से जोड़कर उस पर टेलीविजन कार्यक्रम देखे जा सकते हैं।'

लिहाजा भविष्य में कम्प्यूटर, मॉनीटर, रिसीवर इत्यादि खरीदते समय इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि उन्हें एक-दूसरे से जोड़ने के लिए HDMI केबल के लायक सॉकेट भी बना है या नहीं।

भारत में तो अभी हाई डेफिनिशन टेलीविजन प्रसारण नहीं होता लेकिन HD लेबल वाले टेलीविजन सेट बिकने लगे हैं, जिन्हें खरीदने का कोई लाभ नहीं है। देखना होगा कि भारत के टेलीविजन चैनल कब और किस नॉर्म को अपनाते हैं।

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