कैसा हो दूल्हा? लड़कियां ऐसा जीवनसाथी चाहती हैं जिस पर उसे गर्व हो, न कि शर्म। लड़कियां लड़कों में रंग-रूप न देखकर उसके वैयक्तिक गुणों को देखती हैं जिससे आपसी समन्वय, तालमेल में दिक्कत न हो। लड़का देखने के पहले लड़की के परिजन लड़के वाले के खानदान, आमदनी, लड़के के रंगरूप, व्यवहार, बोलचाल के ढंग आदि को जरूर देखकर तुलना करते हैं कि लड़की से लड़के का तालमेल बैठेगा या नहीं।
सिर्फ अमीर घर देखकर लड़की का विवाह कर दिया जाना कतई उचित नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि कई अमीर घराने में भी लड़कियों को दहेज को लेकर सताने की बातें सामने आई हैं। लड़कियां कंजूस, मक्खीचूस तथा तंगदिल लड़कों को कतई पसंद नहीं करती हैं तथा आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी होना हर लड़की को पसंद आता है।
खुले विचारों वाले नवयुवकों को युवतियां पसंद करती हैं। कमाऊ युवक ही युवतियों को भाते हैं। पत्नी की कमाई पर अपना खर्चा चलाने वाले युवक युवतियों को पसंद नहीं।
लड़कियां उन लड़कों को सर्वाधिक पसंद करती हैं, जो नारी तथा उसकी अस्मिता का सम्मान करना जानते हैं। हंसने-हंसाने वाले नवयुवकों को ही लड़कियां ज्यादा पसंद करती हैं। आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी, उत्तम भाव, आंखें आदि नवयुवकों के व्यक्तित्व को आकर्षक बनाते हैं, जो लड़कियों को लुभाते हैं।
लड़कियां ऐसे लड़कों को भी पसंद करती हैं, जो अवगुणी न हो तथा किसी प्रकार के नशे की गिरफ्त में न हो तथा पत्नी को दासी के रूप में नहीं, बल्कि दोस्त के रूप में देखता हो।
कैसी हो दुल्हन? लड़के अपनी जीवनसंगिनी के रूप में सुंदर, सुशील तथा आकर्षक देहयष्टि वाली लड़की चाहते हैं। अधिकतर नौजवान आज के अंतरिक्ष-युग में भी परंपरावादी लड़कियों को ही पसंद करते हैं। लड़के खुद भले ही लाख आधुनिक ढंग से रहते हों, पर वे अपनी गृह स्वामिनी परंपरागत भारतीय गरिमानुसार ही चाहते हैं।
अधिकतर लड़के जीवनसंगिनी के रूप में समाज की ही लड़की को पसंद करते हैं, क्योंकि समाज की लड़की होने से उनमें एक प्रकार का सुरक्षा-बोध होता है। दो परिवारों का मिलन तो होता ही है, पीढ़ी-दर- पीढ़ी रिश्ते भी मजबूत होते जाते हैं।
लड़का भले ही लाख आधुनिक हो, पर उसके मन के कोने में यह भाव भी रहा करता है कि मेरी होने वाली जीवनसंगिनी मुझसे कुछ कम उम्र की हो, छोटी हो व मुझसे थोड़ी दबकर भी रहे।
बदलते समय के हिसाब से तो ऐसा हो पाना कठिन है, क्योंकि लड़कियों में भी जागृति आ गई है। वे अब पुरुषों के पैरों की जूती नहीं, बल्कि बराबरी की हकदार हैं। लड़के अधिकतर ऐसी जीवनसंगिनी चाहते हैं, जो पति के साथ ही उसके माता-पिता की भी सेवा कर सके।
वैसे संयुक्त परिवार तो अब लगभग नहीं के बराबर ही देखने को मिल रहे हैं। एकल परिवारों की बढ़ती संख्या के कारण अब सारे घरेलू काम नवदंपति को करने पड़ते हैं। ऐसे में एकल परिवार की महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
ऐसे में नवयुवक-युवतियों को चाहिए कि वे एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हुए अपना जीवन-यापन करें व छोटी-मोटी बातों को नजरअंदाज कर अपना पारिवारिक जीवन सुखी व संपन्न बनाएं।