हाईस्कूल नतीजों की गाज 10 जिलों पर!

Webdunia
सोमवार, 25 मई 2009 (11:00 IST)
हाईस्कूल परीक्षा के शर्मनाक नतीजों की पहली गाज करीब दस जिलों के अफसरों पर गिरना लगभग तय हो गया है। इसमें कुछ संभागीय संयुक्त संचालक और जिला शिक्षा अधिकारी शामिल हैं। इनके अलावा करीब सौ प्राचार्य भी कार्रवाई की कतार में हैं।

इस कार्रवाई पर रविवार को शिक्षामंत्री अर्चना चिटनीस की गोपनीय बैठक में सहमति बनी है। हालाँकि इस पर अंतिम फैसला मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को रिपोर्ट देने और अनुमोदन लेने के बाद हो सकेगा।

सूत्रों के मुताबिक रविवार को शिक्षामंत्री के निवास पर पूरे दिन चुनिंदा अफसरों की अनौपचारिक गोपनीय बैठकें चलती रही। बैठक में मुख्यमंत्री को नतीजों पर सौंपी जाने वाली राज्यस्तरीय रिपोर्ट तैयार की गई। इसके लिए सबसे खराब परीक्षा परिणाम वाले जिलों की रिपोर्ट्‌स को खंगाला गया। इसमें सीधी, उमरिया, रीवा सहित ऐसे जिले शामिल रहे, जिनका परीक्षा परिणाम 33 फीसदी से कम रहा।

आला अफसरों के साथ विचार-विमर्श के बाद रीवा, सागर और ग्वालियर संभाग के संयुक्त संचालकों पर कार्रवाई करने पर भी विचार हुआ। कुल 10 ऐसे जिले चुने गए हैं, जहाँ परिणाम सबसे कम रहा। इसमें 25 फीसदी से कम परिणाम वाले जिले शामिल हैं। इन सभी जिलों की रिपोर्ट्‌स की समीक्षा के बाद कार्रवाई करने पर सहमति बन गई है।

ये हैं कार्रवाई की चपेट में :
श्योपुर 24.90
मुरैना 24.42
रायसेन 24.31
दमोह 24.05
सतना 22.18
शिवपुरी 21.48
छतरपुर 21.71
सीहोर 21.51
उमरिया 21.02
सीधी 18.20
आँकड़े प्रश के रूप में दसवीं के नियमित परिणाम के हैं।-नईदुनिया

Show comments

जरूर पढ़ें

महाराष्ट्र में अनिल देशमुख की गाड़ी पर पथराव, सिर पर लगी चोट

पीएम मोदी के बाद गृहमं‍त्री अमित शाह ने की द साबरमती रिपोर्ट की तारीफ, बोले- सच्चाई को दबाया नहीं जा सकता

क्‍या किसान दे रहे सेटेलाइट को चकमा, प्रदूषण पर क्‍या कहते हैं नासा के आंकड़े?

अमेरिका में पकड़ा गया गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का भाई अनमोल

अमेरिका में पढ़ रहे सबसे ज्‍यादा भारतीय छात्र, रिकॉर्ड स्‍तर पर पहुंची संख्‍या

सभी देखें

नवीनतम

कितना अहम है मोदी-शाह के लिए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024, भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष भी इसी पर निर्भर

देश के 7 राज्यों में कोहरे का अटैक, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट

महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटों पर वोटिंग कल, मुख्यमंत्री चेहरे पर फिर फंसेगा पेंच?

यूक्रेन: बर्बादी के साए में युद्ध के 1,000 दिन, ‘यह समय शान्ति का है’

दिल्ली की सियासत गर्म, क्या कृत्रिम बारिश से निकलेगा दिल्ली प्रदूषण का हल?