अन्ना और उनके साथी

Webdunia
बुधवार, 17 अगस्त 2011 (19:29 IST)
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आम आदमी को भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से जोड़ने वाले 73 साल के अन्ना हजारे का मूल नाम किसन बापट बाबूराव हजारे है। वे आजाद भारत के उन चंद नेताओं में से एक हैं, जो हमेशा सफेद खादी और सिर पर गाँधी टोपी पहनते हैं। उनका जन्म 15 जून 1938 को महाराष्ट्र के भिंगारी गाँव के एक किसान बाबूराव हजारे के यहाँ हुआ। माँ का नाम था लक्ष्मीबाई हजारे। अण्णा के छः भाई हैं। उनका बचपन बहुत गरीबी में बीता।

सौर ऊर्जा और गोबर गैस से बिजली की सप्लाई की गई। 1990 में 'पद्मश्री' और 1992 में 'पद्मभूषण' से सम्मानित अण्णा की राष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार विरोधी के तौर पर पहचान 90 के दशक में बनी, जब उन्होंने 1991 में 'भ्रष्टाचार विरोधी जनआंदोलन' की शुरुआत की। महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा की सरकार के कुछ मंत्रियों को हटाए जाने की माँग को लेकर भूख हड़ताल की।

ये मंत्री थे- शशिकांत सुतर, महादेव शिवांकर और बबन घोलाप। दो मंत्रियों सुतर और शिवांकर को हटाना ही पड़ा। 2003 में अण्णा ने कांग्रेस और एनसीपी सरकार के चार मंत्रियों सुरेश दादा जैन, नवाब मलिक, विजय कुमार गावित और पद्मसिंह पाटिल के खिलाफ मुहिम छेड़ी और भूख हड़ताल पर बैठ गए।

सरकार को झुकना पड़ा और एक जाँच आयोग का गठन किया गया। इसी आंदोलन ने राष्ट्रीय आंदोलन का रूप लिया और 2005 में संसद ने सूचना का अधिकार कानून पारित किया। अब अण्णा हजारे जनलोकपाल बिल के मुद्दे पर केंद्र सरकार से दो-दो हाथ कर रहे हैं।

अन्ना की टीम के सदस्य हैं :-

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अरविंद केजरीवाल : आईआईटी से मैकेनिकल इंजीनियर अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार के खिलाफ और सूचना के अधिकार मामले में आम आदमी की मदद करने वाले 'परिवर्तन' संगठन के प्रमुख हैं। केजरीवाल को वर्ष 2006 के रैमन मैग्सेसे अवॉर्ड के लिए भी चुना गया था। उन्हें 'उभरते नेतृत्व वर्ग' में पुरस्कार के लिए चुना गया था। अवॉर्ड कमेटी का मानना था कि भारत में सूचना के अधिकार आंदोलन में केजरीवाल की प्रमुख भूमिका रही है।

अरविंद केजरीवाल 1992 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में आए। वे सेल्स टैक्स विभाग में एडिशनल कमिशनर रहे हैं। उन्होंने अपने मकसद पर काम करने के लिए सरकारी नौकरी से दो वर्ष की छुट्टी ली। बाद में वे अण्णा हजारे के आंदोलन से जुड़ गए और नौकरी छोड़ दी।

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किरण बेदी : अमृतसर के एक छोटे से परिवार में जन्मीं किरण बेदी के पिता बेटियों को ईश्वर का वरदान मानते थे। प्रकाश लाल और प्रेमलता पेशावरिया की चार बेटियों में से किरण दूसरी बेटी हैं। किरण का जन्म 9 जून 1949 को अमृतसर (पंजाब) में हुआ। अमृतसर से अंग्रेजी साहित्य ऑनर्स में स्नातक तथा राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि हासिल की।

भारतीय पुलिस में अपनी सेवाओं के दौरान भी उन्होंने पढ़ाई नहीं छोड़ी। सामाजिक विज्ञान में 'नशाखोरी तथा घरेलू हिंसा' विषय पर शोध करके पीएचडी की डिग्री हासिल की। भारतीय पुलिस सेवा में पहली महिला अधिकारी बनीं किरण बेदी, पुलिस महानिदेशक (ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट) के पद पर पहुँचने वाली एकमात्र भारतीय महिला रही हैं।

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शांति भूषण और प्रशांत भूषण : शांति भूषण का जन्म 11 नवंबर 1925 को हुआ। वे देश के पूर्व विधिमंत्री रहे हैं और पेशे से वकील हैं। वे मोरारजी देसाई सरकार में मंत्री थे। वे देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करने वालों में अग्रणी हैं। बेटे प्रशांत भूषण और पिता शांति भूषण ने भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर किए हैं। प्रशांत भूषण न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के खिलाफ दो दशक से लड़ाई लड़ रहे हैं।

आम आदमी को न्याय मिले इसके लिए वे न्यायपालिका की आँख की किरकिरी भी बने। वे सिविल सोसायटी में भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रतीक बन चुके हैं। प्रशांत भूषण और उनका परिवार भी इस काम में पीछे नहीं है। लोकपाल बिल के लिए बनी संयुक्त प्रारूप समिति में प्रशांत भूषण और शांति भूषण दोनों शामिल हैं और अण्णा हजारे के सबसे नजदीकी साथियों में माने जाते हैं।

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मनीष सिसौदिया : पेशे से पत्रकार रहे मनीष सिसौदिया ने मेरठ यूनिवर्सिटी से बीएससी की और पत्रकारिता करने लगे। लंबे समय तक इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता से जुड़े रहने के बाद एक स्वयंसेवी संस्था 'कबीर' की स्थापना की। इसके साथ ही 'परिवर्तन' से भी जुड़े और अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर सूचना के अधिकार के लिए काम किया। धीरे-धीरे अण्णा हजारे के जनलोकपाल बिल आंदोलन से जुड़ते गए और अण्णा के नजदीकी सहयोगी बन गए।

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