एडवोकेट आरके आनंद की सजा बरकरार

Webdunia
बुधवार, 29 जुलाई 2009 (12:20 IST)
उच्चतम न्यायालय ने बहुचर्चित बीएमडब्ल्यू मामले में विवादास्पद गवाह सुनील कुलकर्णी को प्रभावित करने का प्रयास करके अदालत की अवमानना करने वाले एडवोकेट आरके आनंद की सजा को बरकरार रखा है।

न्यायमूर्ति बीएन अग्रवाल, न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति आफताब आलम की पीठ ने विशेष लोक अभियोजक आईयू खान को सजा से राहत दे दी। दिल्ली उच्च न्यायालय आनंद और खान पर चार माह तक प्रेक्टिस करने पर रोक पहले ही लगा चुका है।

एक न्यूज चैनल द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन की आलोचना का हवाला देते हुए उच्चतम न्यायालय ने इस बात को रेखांकित किया कि यह मीडिया ट्रायल का मामला नहीं, बल्कि जनहित में किया गया एक स्टिंग ऑपरेशन था।

खान को बरी करते हुए उच्चतम न्यायालय ने पाया कि मामले में विशेष लोक अभियोजक के रूप में उनका आचरण उचित नहीं था। खान और एडवोकेट आनंद को बीते साल 21 अगस्त को दिल्ली उच्च न्यायालय ने कुलकर्णी नामक एक गवाह को प्रभावित करने का दोषी पाया था। एक टेलीविजन चैनल के स्टिंग ऑपरेशन से इस बात का खुलासा हुआ था।

अदालत ने खान और आनंद को न्याय प्रक्रिया में बाधा डालने का दोषी पाया था और सजा के रूप में उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय और अन्य अधीनस्थ अदालतों में प्रेक्टिस करने पर चार माह की रोक एवं दोनों पर दो-दो हजार रुपए का जुर्माना लगाया था। अदालत ने खान और आनंद को वरिष्ठ वकील के पद से भी हटा दिया था।

न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए खान के वकील एसके अग्रवाल ने कहा कि जहाँ तक मेरे मामले का सवाल है, उसके साथ न्याय हुआ, हमें अदालत के फैसले का सम्मान करना चाहिए। यह एक अच्छा निर्णय है और हम इससे खुश हैं। उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय के समक्ष जिरह के दौरान अग्रवाल ने दलील थी कि खान का मामला अलग है।

बीएमडब्ल्यू मामले में 30 मई 2007 को एक स्टिंग ऑपरेशन में खान और आनंद को अहम गवाह कुलकर्णी को प्रभावित करते दिखाया गया था। इसके एक दिन बाद उच्च न्यायालय ने स्टिंग ऑपरेशन पर स्वत: संज्ञान लिया था।

इस मामले में सेवानिवृत्त नौसेना प्रमुख एसएम नंदा के पोते संजीव नंदा को दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में दो वर्ष कारावास की सजा सुनाई थी। नंदा ने दस जनवरी वर्ष 1999 को तीन पुलिसकर्मियों समेत छह लोगों पर अपनी बीएमडब्ल्यू कार चढ़ा दी थी। इससे पहले निचली अदालत ने नंदा को पाँच वर्ष के कारावास की सजा सुनाई थी।

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