टैक्सी में मददगार मोबाइल

Webdunia
बुधवार, 28 नवंबर 2007 (09:08 IST)
पुणे के एक कॉल सेंटर की महिला कर्मचारी के साथ एक टैक्सी ड्राइवर द्वारा बलात्कार और फिर हत्या का मामला अभी ज्यादा पुराना नहीं हुआ है।

टैक्सी ड्राइवरों द्वारा की जाने वाली ऐसी घटनाएँ आए दिन सामने आती रहती हैं। लेकिन अब घबराने की जरूरत नहीं। यदि टैक्सी में जाते वक्त कोई अनहोनी हो जाए तो टैक्सी ड्राइवर को पकड़ना आसान हो जाएगा।

चेन्नई के सॉफ्टवेयर विश्लेषक वीएम शंकरन ने ऐसा मोबाइल फोन आधारित सिस्टम विकसित किया है जो बीपीओ में काम करने वाले कर्मचारियों खासकर महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करेगा।

शंकरन कहते हैं कि भारत की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते यहाँ जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) आधारित सिस्टम लगाना मुश्किल है।

इस सिस्टम में शहर के प्रत्येक सिग्नल, कॉर्नर का नक्शा तैयार करना पड़ता है जो कठिन काम है। इसके लिए ऐसे सिस्टम की जरूरत है जो मोबाइल तकनीक पर काम करता हो और जिसका फायदा कहीं भी उठाया जा सके। इसीलिए मोबाइल फोन आधारित सिस्टम तैयार किया है।

इस सिस्टम के तहत टैक्सी में बैठने वाली लड़की या लड़के को अपने मोबाइल फोन में लॉगइन करना होगा। इसके बाद पूरा काम उसका फोन करेगा।

एक बार लॉगइन करने पर मोबाइल में लगा सॉफ्टवेयर एक केंद्रीयकृत नंबर पर एसएमएस भेज देगा। जहाँ से पाँच मिनट के बाद टैक्सी में बैठे व्यक्ति के मोबाइल पर रिटर्न एसएमएस आएगा, जिसका जवाब उन्हें देना होगा। यदि वह व्यक्ति कोई जवाब नहीं देता है तब उसके तुरंत बाद उसके मोबाइल पर ऑटोमेटिक एक कॉल जाएगा।

यदि वह व्यक्ति कॉल का भी कोई जवाब नहीं देता है तो यह सिस्टम आपदा चेतावनी जारी करेगा। तब ट्रांसपोर्ट सिस्टम टैक्सी में गए उस व्यक्ति के परिजनों और अन्य निकटतम दोस्तों के साथ संबंधित कंपनी के कर्मचारियों को सूचित करेगा।

शंकरन कहते हैं कि विपरीत परिस्थितियों में घिरे व्यक्ति के किए अपने मोबाइल से किसी हेल्पलाइन, पुलिस या ऑफिस को कॉल करना मुश्किल होता है। ऐसे में यह ऑटोमेटिक सॉफ्टवेयर बहुत मदद करता है।

वे कहते हैं कि बंगलोर और चेन्नई के एक-एक बीपीओ के कर्मचारी इस सिस्टम का उपयोग कर रहे हैं। इसके अलावा पुणे, दिल्ली, गु़ड़गाँव, नोएडा, बंगलोर और चेन्नई के कई बीपीओ इस सिस्टम को लगाने के इच्छुक हैं।

ज्यादा खर्चा नहीं : इस सॉफ्टवेयर को मोबाइल में इंस्टॉल करना भी आसान और सस्ता है। इसमें प्रति मोबाइल प्रति माह केवल 350 रुपए का खर्चा आता है।

सॉफ्टवेयर में स्पीच डिटेक्टर भी है जो अँगरेजी, हिन्दी के अलावा 10 क्षेत्रीय भाषाओं में संदेश भेज और ग्रहण कर सकता है।
( नईदुनिया)

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