सकारात्मक भूमिका निभाता है शाकाहार

(एक अक्टूबर : विश्व शाकाहार दिवस पर विशेष)

Webdunia
मंगलवार, 30 सितम्बर 2008 (15:33 IST)
विशेषज्ञों का मानना है कि माँसाहार का बढ़ता प्रचलन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर जलवायु परिवर्तन और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है। इससे बचाव और पर्यावरण संतुलन के लिए विशेषज्ञ शाकाहार को अपनाने का सुझाव देते हैं।

जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रहे संगठन ग्रीनपीस के नीति सलाहकार श्रीनिवास के अनुसार शाकाहार अपनाने से अप्रत्यक्ष तौर पर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दिया जा सकता है।

श्रीनिवास ने बताया कि जब जलवायु परिवर्तन की बात होती है तो हम जीवनशैली बदलने की बात करते हैं, क्योंकि इसका प्रभाव पर्यावरण पर पड़ता है। जीवनशैली में भोजन भी शामिल होता है।

उनके मुताबिक माँसाहार के अधिक प्रचलन के कारण कहीं न कहीं वातावरण में कार्बन डाई आक्साइड जैसी गैसों का उत्सर्जन बढ़ रहा है। इसलिए माँसाहार जलवायु परिवर्तन में भूमिका निभा रहे हैं।

श्रीनिवास ने कहा कि इसलिए शाकाहार को बढ़ावा देकर केवल स्वास्थ्य कारणों से ही नही ं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से भी हम लाभान्वित होंगे।

राजधानी में राकलैंड अस्पताल की मुख्य डायटीशियन सुनीता कहती हैं कि माँसाहार के लिए जब पशुओं को काटा जाता है तो उनमें कुछ हार्मोनल बदलाव होते हैं। ये हार्मोनल प्रभाव माँसाहार का सेवन करने वालों के शरीर में भी पहुँच जाते हैं।

ग्लोबल वार्मिंग की ओर इशारा करते हुए सुनीता ने कहा कि एक पहलू यह भी है कि शाकाहार या हरी सब्जियों तथा फलों के लिए अधिक कृषि उत्पादन होगा तो वातावरण में आक्सीजन अधिक मात्रा में उत्सर्जित होगी।

केवल शाकाहार का सेवन करने के लिए और माँसाहार नहीं लेने के लिए सुनीता तर्क देती हैं कि माँसाहारी लोग अपने भोजन के रूप में जिन पशुओं के माँस का सेवन करते हैं वे पशु भी घास आदि खाकर शाकाहार से ही अपना भोजन लेते हैं। यानी पशु जिस भोजन को सीधे तौर पर लेते हैं माँसाहारी लोग उसे अप्रत्यक्ष तरीके से लेते हैं।

सुनीता के अनुसार इसलिए क्यों न हम सभी अपना सीधा आहार शाकाहार के रूप में ही लें। शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी सुनीता शाकाहार पर जोर देती हैं और कहती हैं कि माँसाहार की तुलना में शाकाहार में प्रोटीन, विटामिन, खनिज, लवण आदि सभी का बेहतर संतुलन होता है।

उन्होंने कहा कि वैसे भी मनुष्य जाति के दाँत प्राकृतिक तौर पर शाकाहार के लिए ही बने होते हैं। माँसाहार का सेवन करने वाले पशुओं की बनावट प्राकृतिक तौर पर अलग ही होती है।

Show comments

जरूर पढ़ें

Tourist Guide के सुराग से ऐसे हुआ Sonam की साजिश का पर्दाफाश

लॉस एंजिल्स धू-धूकर जल रहा, भारत-पाक सीजफायर का दावा करने वाले डोनाल्ड ट्रंप नहीं संभाल पा रहे खुद का देश, क्यों सड़कों पर आगजनी कर रहे हैं लोग

Covid-19 के नए वैरिएंट XFG का कहर, 163 मामले, जानिए कितना खतरनाक, 6000 के पार पहुंची संक्रमितों की संख्या

शादी से खुश था राजा, उदास थी सोनम, रस्‍मों की तस्‍वीरें बता रहीं लव अफेयर का फसाना

क्या राज कुशवाह है सोनम रघुवंशी का ब्वॉयफ्रेंड, क्या है राजा रघुवंशी की हत्या का मोटिव?

सभी देखें

नवीनतम

120 पुलिसवालों ने ऐसे दिया 'ऑपरेशन हनीमून' को अंजाम, पति की कातिल सोनम रघुवंशी को ऐसे घेरा

शिलांग के SP ने बताई राजा रघुवंशी केस सुलझाने की पूरी कहानी, कहा- मेघालय को बदनाम किया

मध्यप्रदेश में अब 17 जून तक होंगे ट्रांसफर, शुरू होगी मुख्यमंत्री मजरा-टोला सड़क योजना

राहत सामग्री ले जा रहा जहाज जब्त, इजराइल ने ग्रेटा थनबर्ग को स्वीडन रवाना किया

Rajasthan में बड़ा हादसा, टोंक की बनास नदी में डूबे 11 युवक, 8 की मौत, 3 की तलाश जारी