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... तो 16 अगस्त से आमरण अनशन

बड़ी लड़ाई के लिए खुद को मजबूत करें-अण्णा

Webdunia
बुधवार, 8 जून 2011 (20:55 IST)
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गांधीवादी अण्णा हजारे ने रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के समर्थकों पर हुई पुलिस कार्रवाई के विरोध में बुधवार को यहां राजघाट पर अपने एक दिवसीय अनशन के समापन पर जनता का आह्वान किया कि वह आगे की लड़ाई के लिए अपने को मजबूत करे। उन्होंने कहा कि संसद के मानसून सत्र में लोकपाल विधेयक पारित नहीं होने की स्थिति में 16 अगस्त से जंतर-मंतर पर पहले से भी बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा।

हजारे ने अपना अनशन राजघाट पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद सुबह 10.20 बजे शुरू किया था और शाम 6.20 बजे उन्होंने अनशन समाप्त करने की घोषणा की।

चिदंबरम की आलोचना : अनशन के समापन पर उन्होंने गृहमंत्री पी. चिदंबरम के उस बयान की कड़ी आलोचना की जिसमें कहा गया है मीडिया का एक वर्ग भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन की ‘प्रतिस्पर्धी लोकलुभावन कवरेज’ कर रहा है, जिससे संसदीय लोकतंत्र का अवमूल्यन हो रहा है।

... तो हमें जेल में डाल दो : हजारे ने बयान पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा, सरकार को अगर लगता है कि हम और हमारा आंदोलन संसदीय लोकतंत्र के लिए खतरा है तो उसे हमें जेल में डाल देना चाहिए।

अण्णा के कड़े तेवर : उन्होंने कड़े तेवर अपनाते हुए कहा कि मैं अब तक गुंडों से लड़ा हूं और अब भी गुंडों से ही लड़ रहा हूं। मैं अब तक छह मंत्रियों की छुट्टी करा चुका हूं और मेरी कोशिशों के चलते 400 से अधिक भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है। उन्होंने कहा कि यह सब बताने के मायने यह हैं कि हिंसा का रास्ता अपनाए बिना ही, यह सब किया जा सकता है। अण्णा ने चेतावनी दी अगर संसद के मानसून सत्र में लोकपाल विधेयक पारित नहीं हुआ तो 16 अगस्त से जंतर-मंतर पर पहले से भी बड़ा आंदोलन करेंगे।

मंत्रियों को सिखाने की जरूरत : हजारे ने सरकार के ‘मंत्रियों को प्रशिक्षण देने’ की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि लोकशाही में जनता जनप्रतिनिधियों को चुनकर संसद में भेजती है और संसदीय लोकतंत्र में कानून भी जनता के बीच रायशुमारी करने के बाद ही बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें नहीं लगता कि हम संसदीय लोकतंत्र के लिए कोई खतरा हैं।

गौरतलब है कि रामलीला मैदान पर बाबा रामदेव और उनके समर्थकों पर पुलिस कार्रवाई के बाद से नई दिल्ली जिले में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू है। इसके चलते हजारे और उनके साथी कार्यकर्ताओं को जंतर-मंतर पर अनशन करने की अनुमति नहीं मिली और राजघाट पर विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया गया।

हम तब तक लड़ेंगे... : हजारे ने ग्रामीण स्तर पर सुधार शुरू करने के लिए ग्राम सभाओं को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हम तब तक लड़ेंगे, जब तक सत्ता पूरी तरह लोगों के हाथ में नहीं होगी। इससे पहले दिन के अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि रामलीला मैदान पर हुई कार्रवाई लोकतंत्र का गला घोंटने की घटना थी। हालांकि उनके अनशन के दौरान रामदेव के साथ हुई कार्रवाई के बजाय लोकपाल विधेयक का मुद्दा ज्यादा उठा।

रामलीला कार्रवाई की निंदा : हजारे के साथ अनशन पर मौजूद साथी कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल, शांति भूषण, प्रशांत भूषण, किरण बेदी और स्वामी अग्निवेश ने भी बीच बीच में लोकपाल से जुड़े मुद्दों पर अपनी बात कही। केजरीवाल ने रामलीला मैदान में बाबा रामदेव और उनके समर्थकों पर हुई कार्रवाई की निंदा की और मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि अगर हमने सरकार को धोखेबाज, झूठी और साजिश रचने वाली कहा तो क्या गलत कहा।

जनमत संग्रह : संयुक्त समिति में शामिल वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि अगर सरकार लोकपाल के संबंध में हमारे उठाए विषयों को अनुचित मानती है तो वह अपने विधेयक और हमारे विधेयक के मसौदों पर जनमत संग्रह करा सकती है।

मार्क्सवादी नेता को मंच से उतारा : अनशन के दौरान मार्क्‍सवादी लेनिनवादी विचारधारा से जुड़ी एक नेता को मंच से उतार दिया गया। कोलकाता से आई कविता कृष्णन ने जैसे ही लोगों को संबोधित करना शुरू किया तो वहां मौजूद लोगों ने इसका विरोध किया और उन्हें उतरना पड़ा।

गौरतलब है कि हजारे और उनके समर्थक पहले भी आंदोलन के मंच पर किसी राजनेता या राजनीतिक विचारधारा से जुड़े व्यक्ति को नहीं आने देने की बात कहते रहे हैं। (भाषा)

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