Saubhagya sundari vrat 2024: सौभाग्य सुंदरी व्रत कब रखा जाएगा, जानिए महत्व और कथा

सौभाग्य सुंदरी व्रत पर पढ़ें महत्व और कहानी

WD Feature Desk
गुरुवार, 11 अप्रैल 2024 (12:37 IST)
Saubhagya Sundari Vrat 
HIGHLIGHTS
 
• सौभाग्य सुंदरी व्रत 11 अप्रैल को। 
• सौभाग्य सुंदरी व्रत शिव-पार्वती के पूजन का पर्व।
• सौभाग्य सुंदरी व्रत का महत्व जानें।

ALSO READ: Gangaur Teej 2024: गणगौर तीज के मुहूर्त, विधि, कथा, लोकगीत, रेसिपी सब एक साथ
 
Saubhagya Sundari Vrat Kya Hota Hai : हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार गणगौर के त्योहार को सौभाग्य सुंदरी व्रत भी कहते हैं। भारत भर में गणगौर तीज/ सौभाग्य सुंदरी व्रत का त्योहार को बड़े ही उमंग, उत्साह और जोश से मनाया जाता है। सौभाग्य सुंदरी का व्रत करने से विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। बता दें कि वर्ष 2024 में यह त्योहार 11 अप्रैल, दिन बृह‍स्पतिवार को मनाया जा रहा है। जिसे गौरी तीज, सौभाग्य सुंदरी पर्व और गणगौर तीज के नाम से जाना जाता है। 
 
महत्व : हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर साल होली के दूसरे दिन से ही गणगौर का त्योहार आरंभ हो जाता है, जो पूरे अठारह दिन तक लगातार चलता रहता है। इस पर्व में महिलाएं बड़े सवेरे ही होली की राख को गाती-बजाती अपने घर लाती हैं। मिट्टी गलाकर उससे सोलह पिंडियां बनाती हैं, शिव और पार्वती बनाकर सोलह दिनों तक बराबर उनका पूजा करती हैं। कुमकुम, मेहंदी और काजल तीनों ही श्रृंगार की वस्तुएं तथा सुहाग की प्रतीक होती हैं। अत: इस व्रत में दीवार पर कुमकुम की सोलह बिंदिया, मेहंदी की सोलह बिंदिया और काजल की सोलह बिंदिया प्रतिदिन लगाती हैं। 
 
शिव-पार्वती को आदर्श दंपत्ति माना गया है। दोनों के बीच अटूट प्रेम है। शंकर जी के जीवन और मन में कभी दूसरी स्त्री का ध्यान नहीं आया। सभी विवाहित महिलाएं भी अपने जीवन में पति का अखंड प्रेम चाहती हैं। किसी और की साझेदारी की वे कल्पना तक करना पसंद नहीं करतीं। इन दिनों कुंआरी कन्याएं भी शंकर को पूजती हुई प्रार्थना करती हैं कि उन्हें मनचाहा वर प्राप्त हो। इन दिनों कन्याएं भी एक समूह में सजधज कर दूब और फूल लेकर गीत गाती हुई बाग-बगीचे में जाती हैं। 

ALSO READ: Gangaur Puja vrat katha : गणगौर पूजा गौरी तृतीया की कथा
 
घर-मोहल्लों से गीतों की आवाज से सारा वातावरण गूंज उठता है। कन्याएं कलश को सिर पर रखकर घर से निकलती हैं तथा किसी मनोहर स्थान पर उन कलशों को रखकर इर्द-गिर्द घूमर लेती हैं। मिट्टी की पिंडियों की पूजा कर दीवार पर गवरी के चित्र के नीचे सोलह कुंकुम और काजल की बिंदिया लगाकर हरी दूब से पूजती हैं। साथ ही इच्छा प्राप्ति के गीत गाती हैं।
 
चैत्र शुक्ल तृतीया यानी तीज के दिन गणगौर की प्रतिमा एक लकड़ी की चौकी पर रख दिया जाता है, उसे आभूषण और वस्त्र पहनाए जाते हैं। फिर उस प्रतिमा की शोभायात्रा निकाली जाती है। वर्तमान समय में भी इन परंपराओं को जीवंत रखने का भरपूर प्रयास किया जा रहा हैं। तीज पर महिलाएं गहनों-कपड़ों से सजी-धजी रहती हैं तथा नाच-गाने के साथ इस त्योहार को उमंग, उत्साह और पूरे जोश से मनाती है। यह व्रत सौभाग्य से जुड़ा होने के कारण इसे विवाहित महिलाएं और नवविवाहिताएं भी करती हैं। 
 
सौभाग्य सुंदरी व्रत की कथा : 
 
कथा के अनुसार एक बार महादेव पार्वती वन में गए चलते-चलते गहरे वन में पहुंच गए तो पार्वती जी ने कहा-भगवान, मुझे प्यास लगी है। महादेव ने कहा, देवी देखो उस तरफ पक्षी उड़ रहे हैं। वहां जरूर पानी होगा। 
 
पार्वती जी वहां गई। वहां एक नदी बह रही थी। पार्वती ने पानी की अंजुली भरी तो दुब का गुच्छा आया, और दूसरी बार अंजुली भरी तो टेसू के फूल, तीसरी बार अंजली भरने पर ढोकला नामक फल आया। इस बात से पार्वती जी के मन में कई तरह के विचार उठे पर उनकी समझ में कुछ नहीं आया। महादेव जी ने बताया कि, आज चैत्र माह की तीज है। सारी महिलाएं अपने सुहाग के लिए गौरी उत्सव करती हैं। गौरी जी को चढ़ाए हुए दूब, फूल और अन्य सामग्री नदी में बहकर आ रहे हैं। 
 
पार्वती जी ने महादेव जी से विनती की, कि हे स्वामी, दो दिन के लिए आप मेरे माता-पिता का नगर बनवा दें, जिससे सारी स्त्रियां यहीं आकर गणगौरी के व्रत उत्सव को करें, और मैं खुद ही उनको सुहाग बढ़ाने वाला आशार्वाद दूं।  
 
महादेव जी ने अपनी शक्ति से ऐसा ही किया। थोड़ी देर में स्त्रियों का झुंड आया तो पार्वती जी को चिंता हुई, और महादेव जी के पास जाकर कहने लगी। प्रभु, मैं तो पहले ही वरदान दे चुकी, अब आप दया करके इन स्त्रियों को अपनी तरफ से सौभाग्य का वरदान दें, पार्वती के कहने से महादेव जी ने उन्हें, सौभाग्य का वरदान दिया।  
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

ALSO READ: Gangaur Puja date time: गणगौर पूजा पर किस देवी की होती है पूजा, क्या करते हैं इस दिन

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

बसंत पंचमी पर माता सरस्वती के अलावा किसकी होती है पूजा? वैवाहिक जीवन में मिलता है लाभ

राजनीति में आसान नहीं है राहुल गांधी की राह, जानिए क्या कहते हैं सितारे?

Magh mah gupt navratri 2025: माघ माह की गुप्त नवरात्रि में करें 5 अचूक उपाय, जीवन के हर संकट हो जाएंगे दूर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शपथ ग्रहण कुंडली से जानें उनकी सरकार का भविष्य, चलेगी या जाएगी

माघ गुप्त नवरात्रि पर जानें महत्व, विधि और 10 खास बातें

सभी देखें

धर्म संसार

03 फरवरी 2025 : आपका जन्मदिन

03 फरवरी 2025, सोमवार के शुभ मुहूर्त

Weekly Horoscope: 03 से 09 फरवरी में किन राशियों का होगा भाग्योदय, पढ़ें पहले सप्ताह का साप्ताहिक राशिफल

Weekly Panchang 2025: नए सप्ताह के सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त, जानें साप्ताहिक कैलेंडर (03 से 09 फरवरी)

बसन्त पंचमी पर बेटी का हुआ है जन्म तो दीजिए उसे मां सरस्वती के नामों से प्रेरित ये सुंदर नाम

अगला लेख