Dharma Sangrah

आंसुओं बह जाओ तो अच्छा रहे

- हरिहर झा

Webdunia
GN

बाढ़! पलकों पर रुकी कब तक रहोगी?
आंसुओं! बह जाओ तो अच्‍छा रहे

क्या पता इक मधुर-सी हंसी मिल गई तो
रोक लेगी पलक के कोर पर
यंत्रणा के यंत्र में घिरकर रहोगी
स्नायुओं के दूर पतले छोर पर

मौत के कीड़े जहां पर चुलबुलाते
निकल भागो जल्द तो अच्छा रहे
सुनामियों का ज्वार हो ललाट पर
गुरु-वृन्द को सुकून न आ जाए जब तक

फफोलों में दर्द का लावा पिलाती
हाकिमों को चैन न आ जाए जब तक
फेंक दो ये सब दवा लुभावनी
मीठी छुरी ललचाएं न अच्छा रहे।

दैत्य पीड़ा दे अगर हंसते रहे
क्या सिमटकर तुम कलपती ही रहोगी
शिष्ट मर्यादा तुम्हें रोकें बहुत
घुटन में रुककर तड़पती ही रहोगी!

तोड़ निकलो शरम के कुछ डोर यह
सुधि वस्त्र की उलझाए न अच्छा रहे।
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

Remedies for good sleep: क्या आप भी रातों को बदलते रहते हैं करवटें, जानिए अच्छी और गहरी नींद के उपाय

Chest lungs infection: फेफड़ों के संक्रमण से बचने के घरेलू उपाय

क्या मधुमक्खियों के जहर से होता है वेरीकोज का इलाज, कैसे करती है ये पद्धति काम

Fat loss: शरीर से एक्स्ट्रा फैट बर्न करने के लिए अपनाएं ये देसी ड्रिंक्स, कुछ ही दिनों में दिखने लगेगा असर

Heart attack symptoms: रात में किस समय सबसे ज्यादा होता है हार्ट अटैक का खतरा? जानिए कारण

सभी देखें

नवीनतम

कमसिन लड़कियों की भूख, ब्रिटेन के एक राजकुमार के पतन की कहानी

कवि दिनकर सोनवलकर की यादें

Kada Prasad Recipe: घर पर कैसे बनाएं सिख समुदाय का पवित्र कड़ा प्रसाद, पढ़ें स्वादिष्ट रेसिपी

T Point House Vastu Tips: टी’ पॉइंट वाला घर लेना शुभ या अशुभ, जानें बर्बाद होंगे या आबाद

Essay on Nanak Dev: सिख धमे के संस्थापक गुरु नानक देव पर रोचक निबंध हिन्दी में