अक्षय तृतीया पर मिलता है अक्षय फल

Webdunia
ND
वैशाख शुक्ल तृतीया को अक्षय तृतीया कहते हैं। चूँकि इस दिन किया हुआ जप, तप, ज्ञान तथा दान अक्षय फल देने वाला होता है अतः इसे 'अक्षय तृतीया' कहते हैं। यदि यह व्रत सोमवार तथा रोहिणी नक्षत्र में आए तो महाफलदायक माना जाता है।

यदि तृतीया मध्याह्न से पहले शुरू होकर प्रदोषकाल तक रहे तो श्रेष्ठ मानी जाती है। इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका बड़ा ही श्रेष्ठ फल मिलता है। यह व्रत दानप्रधान है। इस दिन अधिकाधिक दान देने का बड़ा माहात्म्य है। इसी दिन से सतयुग का आरंभ होता है इसलिए इसे युगादि तृतीया भी कहते हैं।

अक्षय तृतीया व्रत कैसे करे ं
* व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में सोकर उठें।
* घर की सफाई व नित्य कर्म से निवृत्त होकर पवित्र या शुद्ध जल से स्नान करें।
* घर में ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें ।

निम्न मंत्र से संकल्प करें-

ममाखिलपापक्षयपूर्वक सकल शुभ फल प्राप्तये
भगवत्प्रीतिकामनया देवत्रयपूजनमहं करिष्ये ।

संकल्प करके भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएँ।
षोडशोपचार विधि से भगवान विष्णु का पूजन करें।
भगवान विष्णु को सुगंधित पुष्पमाला पहनाएँ।
नैवेद्य में जौ या गेहूँ का सत्तू, ककड़ी और चने की दाल अर्पण करें।
अगर हो सके तो विष्णु सहस्रनाम का जप करें।
अंत में तुलसी जल चढ़ाकर भक्तिपूर्वक आरती करनी चाहिए। इसके पश्चात उपवास रहें।

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

दुनिया में कितने मुस्लिम इस्लाम धर्म छोड़ रहे हैं?

ज्येष्ठ माह के 4 खास उपाय और उनके फायदे

नास्त्रेदमस ने हिंदू धर्म के बारे में क्या भविष्यवाणी की थी?

भारत ने 7 जून तक नहीं किया पाकिस्तान का पूरा इलाज तो बढ़ सकती है मुश्‍किलें

क्या जून में भारत पर हमला करेगा पाकिस्तान, क्या कहते हैं ग्रह नक्षत्र

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: 06 जून का राशिफल, आज किसे मिलेगी प्रत्येक कार्य में विजय, पढ़ें अपनी राशि के सितारे

06 जून 2025 : आपका जन्मदिन

06 जून 2025, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

गायत्री जयंती पर जानिए गायत्री मंत्र की शक्ति

5 जुलाई को लेकर क्यों जापान के लोगों में दहशत, क्या नए बाबा वेंगा की भविष्यवाणी से डर गई है जापानी सरकार