ऋतुराज वसंत

Webdunia
- पूज्य पांडुरंग शास्त्री आठवले
WD
माघ महीने की शुक्ल पंचमी से वसंत ऋतु का आरंभ होता है। वसंत का उत्सव प्रकृति का उत्सव है। सतत सुंदर लगने वाली प्रकृति वसंत ऋतु में सोलह कलाओं से खिल उठती है। यौवन हमारे जीवन का वसंत है तो वसंत इस सृष्टि का यौवन है।

महर्षि वाल्मीकि ने रामायण में वसंत का अति सुंदर व मनोहारी चित्रण किया है। भगवान कृष्ण ने गीता में 'ऋतूनां कुसुमाकरः' कहकर ऋतुराज वसंत को अपनी विभूति माना है। कविवर जयदेव तो वसंत का वर्णन करते थकते ही नहीं।

सतत्‌ आकर्षक लगने वाला निसर्ग वसंत ऋतु में अधिक लुभावना लगता है। अपने अनोखे सौंदर्य से वह मानव को अपनी ओर आकृष्ट करता है। मानव को केवल उसकी ओर दृष्टिपात करने की फुरसत मिलनी चाहिए।

मानव को अपनी अस्वस्थ देह को स्वस्थ बनाने के लिए प्रकृति के सान्निध्य में जाना चाहिए। निसर्ग में एक ऐसा अजब जादू है कि मानव की सभी वेदनाओं को तत्काल भुला देता है। निसर्ग का सान्निध्य यदि निरंतर मिलता रहे तो मानव जीवन पर उसका बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ता है और उसका परिणाम चिरकाल तक रहता है।
  माघ महीने की शुक्ल पंचमी से वसंत ऋतु का आरंभ होता है। वसंत का उत्सव प्रकृति का उत्सव है। सतत सुंदर लगने वाली प्रकृति वसंत ऋतु में सोलह कलाओं से खिल उठती है। यौवन हमारे जीवन का वसंत है तो वसंत इस सृष्टि का यौवन है।      


निसर्ग में अहंकार का पूर्णतया अभाव होने से वह प्रभु के अधिक समीप है। इसी कारण निसर्ग के सान्निध्य में जाने पर हम भी प्रभु के अधिक समीप होने का अनुभव करते हैं।

निसर्ग सुख-दुःख के द्वंद्वों से परे है। वसंत हो या वर्षा, अलग-अलग रूप से प्रभु का हाथ सृष्टि पर फिरता रहता है और सम्पूर्ण निसर्ग प्रभु स्पर्श से खिल उठता है।

जीवन में भी यदि प्रभु का स्पर्श हो, प्रभु का हाथ फिरे तो सम्पूर्ण जीवन ही बदल जाए। जीवन में वसंत खिल उठेगा, जीवन के दुःख, दैन्य व दारिद्र क्षणभर में दूर हो जाएँगे। प्रभु स्पर्शी जीवन में निरंतर एक ही ऋतु होती है और वह है वसंत! प्रभुस्पर्शी जीवन में एक ही अवस्था कायम रहती है और वह है यौवन!

निसर्ग के सान्निध्य से मानव के तन में स्फूर्ति, मन में उल्लास, बुद्धि में प्रसन्नता और हृदय में चेतना प्रकट होती है। समग्र सृष्टि उसे सुमधुर लगती है। सृष्टि के अनुपम माधुर्य का पान करने में मानव को दो आँखें शायद कम प्रतीत होती होंगी और इसलिए उस माधुर्य का आकंठ पान करने के लिए मनुष्य विवाह कर दूसरी दो आँखें अपनी बनाता होगा।

सृष्टि की सुंदरता और यौवन की रसिकता का जहाँ सुमेल होता है, वहाँ निराशा, नीरसता, निष्क्रियता जैसी बातों का स्थान कहाँ होगा?

परंतु निसर्ग की सुंदरता व मानव की रसिकता में यदि प्रभु का स्वर न मिला हो तो वह सुंदरता व रसिकता विलास का कोमल पंथ बनाकर मानव को विनाश के गर्त में धकेल देती है। इसलिए वसंत के संगीत में गीता का स्वर मिलना चाहिए।

वसंत का उत्सव अमर आशावाद का प्रतीक होता है। वसंत का सच्चा पुजारी जीवन में कभी निराश नहीं होता। पतझड़ में जिस प्रकार वृक्ष के पत्ते गिर जाते हैं उसी प्रकार वह अपने जीवन में से निराशा को झटक देता है। निराशा से घिरे हुए जीवन में वसंत आशा का संदेश देता है। निराशा के वातावरण में आशा की किरण फूट पड़ती है।

बिना वर्षा के सृष्टि को पुनः नवपल्लवित करने का प्रभु का चमत्कार वसंत में साकार बनता हुआ दिखाई देता है। ईश सृष्टि के प्रति वसंत सृजन का यह विश्वास जिसके रक्त में मिल गया है ऐसे वसंत वीर का जीवन संगीत निरंतर आशा से परिप्लावित होता है।

भक्ति और शक्ति के सुंदर सहयोग के कारण उसकी जीवन दृष्टि भी विशिष्ट प्रकार की बनती है। उसका जीवन मानो गीता का जीवंत भाष्य हो ऐसे प्रतीत होता है। जीवन में आने वाले दुःखों की ओर से देखने की उसकी दृष्टि विधायक बनती है। वसंत अर्थात आशा व सिद्धि का सुंदर संयोग, कल्पना और वास्तविकता का सुभग समन्वय है।

सच्चे महापुरुष के जीवन में आशा को सिद्धि में पलटने वाली साधना का बहुत ही महत्व होता है। वह केवल कल्पनाओं में मग्न ऐसा स्वप्नशील नहीं होता और दैनंदिन वास्तविक जीवन से थोड़ा भी ऊपर न देखे, इतना जड़ भी नहीं होता है।

जीवन और वसंत को जिसने एकरूप कर दिया है, ऐसे मानव को हमारी संस्कृति संत कहकर पुकारती है। जो जीवन में वसंत लाए वही संत हैं।

यौवन व संयम, आशा और सिद्धि, कल्पना और वास्तव, जीवन और कवन, भक्ति और शक्ति, सर्जन और विसर्जन इन सबका समन्वय करने वाला और जीवन में सौंदर्य, संगीत और स्नेह का निर्माण करने वाला वसंत हमारे जीवन में साकार बने, तभी हमने वसंत के वैभव को जाना है, पाया है और पचाया है, ऐसा कहा जाएगा।
Show comments

कब से लग रहा है खरमास, क्या है इस मास का महत्व और जानिए अचूक उपाय

इस बार होलाष्टक कब से कब तक रहेगा, क्या करें और क्या नहीं?

कब है साल का पहला चंद्र ग्रहण? जानिए सूतककाल का समय

Holashtak 2025: होलाष्टक में रखें ये 8 सावधानियां

होली पर 8 दीपक जलाकर जीवन को महका और चमका देंगे, धन की समस्या होगी समाप्त

Aaj Ka Rashifal: आज किन राशियों को मिलेगी कार्य में सफलता, पढ़ें 07 मार्च का दैनिक राशिफल

07 मार्च 2025 : आपका जन्मदिन

07 मार्च 2025, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

औरंगजेब ने कितने और कौन कौन से हिंदू मंदिर तुड़वाए थे?

Holi Special Recipe: होली स्पेशल रसभरी गुजिया कैसे बनाएं, जानें सरल रेसिपी