भगवान नृसिंह की जयंती

नृसिंह अवतार की कथा

Webdunia
FILE

संपूर्ण विश्व को अभयदान देने वाले एवं हिरण्यकश्यप के कोप से प्रह्लाद को बचाने वाले भगवान नृसिंह की जयंती प्रतिवर्ष हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है।

इस अवसर पर नृसिंह मदिरों में भगवान नृसिंह को ब्रह्म मुहूर्त में गंगाजल, दूध, दही, घी से स्नान कराया जाता है तथा पूर्ण विधि-विधान से सुंगधित पुष्पों के साथ मंगल आरती कर उनका पूजन-अर्चन किया जाता है। तत्पश्चात उनसे जगत कल्याण के लिए प्रार्थना की जाती है। साथ ही प्रसाद वि‍तरण किया जाता है।

एक कथा के अनुसार असुरराज हिरण्यकश्यप ने अपने विष्णुभक्त पुत्र प्रह्लाद की हत्या के कई प्रयत्न किए, परंतु सभी व्यर्थ गए। परेशान होकर एक दिन उसने प्रह्लाद को दरबार में बुलाया और बोला- नीच, दुष्ट। तीनों लोकों के शासक मेरे नाम से थर-थर कांपते हैं और तू निर्भय होकर मेरा विरोध करता रहता है। बता मुझे, इसकी शक्ति तुझमें कहां से आती है?

FILE
इस प्रश्न पर प्रह्लाद ने निर्भयता से कहा - उसी से, जिससे आपको भी मिलती है। वहीं जो आपमें, मुझमें और हर कण-कण में बसा हुआ है। हिरण्यकश्यप बोला - अच्छा! तो क्या वह इस स्तंभ में भी वह है? प्रह्लाद ने जबाव दिया - निश्चय ही है। उसकी बात सुनकर असुरराज ने एक घूंसा स्तंभ पर मारा, तो उसमें विस्फोट हुआ और भगवान विष्णु नृसिंह अवतार में प्रकट हुए। देखने में उनका सिर सिंह का और धड़ मानव का था। उनका चेहरा क्रोध से तमतमा रहा था।

तभी आगे बढ़कर उन्होंने असुरराज को गोद में उठाया। भगवान विष्णु के सामने हिरण्यकश्यप अपने को असहाय अनुभव कर रहा था, उसी समय उसे वह वरदान याद आया जो प्रजापिता ब्रह्मा से मांगा था कि, भूमि, जल और आकाश कहीं भी मेरा वध न हो सके। मैं न दिन में मरूं न रात में। कोई देव, दैत्य, मानव या पशु मुझे न मार सके। भवन के बाहर या अंदर मेरी मृत्यु न हो सके। विश्व के समस्त शस्त्र मुझ पर व्यर्थ हों।

इसी वजह से स्वयं विष्णु नृसिंह रूप में अवतरित हुए और शाम के समय घर की देहली पर असुरराज को अपनी गोद में लेटाकर अपने नाखूनों से उसका संहार कर दिया। फिर भी जब उनका उग्र रूप एवं गुस्सा शांत नहीं हुआ, तब ब्रह्माजी ने लक्ष्मी को बुलाया ताकि वे उन्हें शांत कर सकें, लेकिन विष्‍णु का क्रोध देखकर वे भी वापस लौट गईं। तब ब्रह्माजी ने भक्त प्रह्लाद को उनके समक्ष भेजा और कहा कि इस स्थिति में केवल तुम ही उन्हें शांत कर सकते हो। तब प्रह्लाद ने भगवान नृसिंह की स्तुति की, तो उनका क्रोध जाता रहा। फिर वे प्रह्लाद को अपने गोद में बैठाकर स्नेह करने लगे।

ऐसे भगवान नृसिंह का जन्म सभी मंदिरों में उनके जयकारों के साथ धूमधाम से मनाया जाता है।

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

अमरनाथ गुफा में कैसे बनकर निश्‍चित समय में गायब हो जाता है शिवलिंग

वरुथिनी एकादशी 2025: जानें इस व्रत की 10 महत्वपूर्ण बातें...

पूर्णिमा वाला वट सावित्री व्रत कब रखा जाएगा, क्या रहेगा पूजा का शुभ मुहूर्त

चार धाम यात्रा में यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ में सबसे पहले कहां जाएं, जानिए यात्रा का रूट

कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 पर जाने के लिए कैसे कराएं रजिस्ट्रेशन?

सभी देखें

धर्म संसार

अक्षय तृतीया पर बन रहे हैं 3 शुभ योग, कर लें 5 उपाय, होगी धन की वर्षा

शनि के बाद बृहस्पति और राहु के राशि परिवर्तन से क्या होगा महायुद्ध?

क्या भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध होने वाला है, क्या कहते हैं ग्रह नक्षत्र

अमावस्या वाला वट सावित्री व्रत कब रखा जाएगा, क्या रहेगा पूजा का शुभ मुहूर्त

साईं बाबा के पॉजिटिव संदेश : सत्य साईं बाबा के 15 अमूल्य कथन हिन्दी में