आरटीआई इस्तेमाल करने वाले कर्मचारी खबरदार

Webdunia
शनिवार, 18 अगस्त 2007 (20:25 IST)
सूचना के अधिकार के तहत जानकारी माँगने वाले सरकारी कर्मचारियों को सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि यह भी हो सकता है कि बदले की नीयत से विभागीय अधिकारी उसे प्रताड़ित करने कोई कोर-कसर नहीं छोड़े।

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर के एक सरकारी कर्मचारी का मामला उपरोक्त टिप्पणी का प्रमाण है। सूचना अधूरी तथा समय पर नहीं देने वाले अधिकारी ने राज्य सूचना आयोग से दंडित होने के बाद अधीनस्थ संबंधित कर्मचारी को निलंबित कर दिया तथा अवकाश पर चले गए। उक्त अधिकारी इस माह सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

मामला पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग का है। इस विभाग के तहत जिला पुनर्वास केन्द्र में सहायक ग्रेड तीन के पद पर कार्यरत जीआर चन्द्रा भुक्तभोगी हैं। उसने पदोन्नति नहीं होने पर अपने प्रकरण से संबंधित अभिलेख की जानकारी के लिए गत वर्ष पंचायत विभाग के जन सूचना अधिकारी संयुक्त संचालक आरसी बंछोड़ को आवेदन किया।

आधी-अधूरी जानकारी मिलने पर कर्मचारी ने प्रथम अपीलीय अधिकारी जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के समक्ष अपील की। प्रथम अपीलीय अधिकारी के आदेश पश्चात भी जानकारी नहीं मिलने पर उसने छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग के समक्ष अपील की। अपील पर 26 जुलाई 2007 को फैसला सुनाया गया।

मुख्य सूचना आयुक्त ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपने फैसले में जन सूचना अधिकारी बंछोड़ को सूचना नहीं देने का दोषी मानते हुए दो हजार रुपए का दंड लगाया। साथ ही विभाग की ओर से आर्थिक एवं मानसिक क्षति के लिए अपीलार्थी, कर्मचारी को दो सौ पचास रुपए की क्षतिपूर्ति देने के आदेश दिए।

आयोग के निर्णय से आक्रोशित उक्त अधिकारी ने अपीलार्थी चन्द्रा को 10 अगस्त 2007 को निलंबित कर दिया। निलंबन के बाद अधिकारी अवकाश पर चले गए। वे 31 अगस्त 2007 को सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं। अब कर्मचारी को अपने निलंबन के विरुद्ध भी लड़ाई लड़नी होगी।

सेवानिवृत्त हो रहे उक्त अधिकारी के खिलाफ इसी कर्मचारी के मामले में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में अवमानना प्रकरण भी दर्ज है।

पदोन्नति के मामले में न्यायालय ने निर्धारित समयावधि दो माह में निराकरण के आदेश दिए थे। आदेश की अवहेलना पर उक्त कर्मचारी ने अदालत की अवमानना की याचिका दायर की। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने नौ मार्च 2007 को अवमानना मामले में नोटिस जारी कर जवाब माँगा है।

छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष पीआर यादव का कहना है कि निलंबन की कार्रवाई ने सूचना का अधिकार का प्रयोग करने वाले कर्मचारियों को आतंकित करने का प्रयास है। निलंबन के पूर्व स्पष्टीकरण एवं प्रारंभिक जाँच की औपचारिकता पूरी नहीं किया जाना बदले की भावना की कार्रवाई प्रमाणित करता है।

यादव ने बताया कि अधीनस्थ कर्मचारी पर निराधार आरोप लगाकर निलंबित किए जाने के विरूद्ध कर्मचारी आंदोलन का रास्ता अख्तियार करने जा रहे हैं। उनका यह भी कहना था कि उपरोक्त अधिकारी बंछोड़ के खिलाफ आर्थिक अनियमितताओं की जाँच चल रही है। जाँच शीघ्र पूरी होनी चाहिए, ताकि अदालत व आयोग की अवहेलना करने वाले भ्रष्ट अधिकारी को दंड मिल सके।

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