फूहड़ चुटकुले कविता नहीं-नीरज

Webdunia
बुधवार, 7 मई 2008 (20:33 IST)
मंचीय कविता के गिरते स्तर से आहत हिंदी गेय कविता के प्रमुख स्तंभ गोपालदास नीरज का कहना है कि मंचीय गेय कविता का स्थान चुटकुलों ने ले लिया है और गीत के नाम पर व्यंग्य प्रस्तुत किए जा रहे हैं।

हरिवंशराय बच्चन की परंपरा के नीरज ने एक मुलाकात में बताया मंच पर गीतों को पढ़ने वालों का स्तर बद से बदतर होता जा रहा है। मंच पर गीतों के अच्छे प्रस्तोता पहले भी कम ही हुआ करते थे, लेकिन आजकल तो कविता का मंच निम्न स्तर के स्थानीय कवियों और मसखरों का जमावड़ा हो गया है। नतीजतन, अच्छे कवियों को सुनने के लिए श्रोताओं को लंबा इंतजार करना पड़ता है।

उन्होंने कहा ऐसा नहीं है कि अच्छे कवियों का अकाल पड़ गया है, लेकिन हर कवि मंचीय कवि नहीं हो सकता। पहले भी कई दिग्गज कवियों ने कभी मंच पर कविता का पाठ नहीं किया था। हर दौर में यह अंतर होता ही है।

पिछले दिनों दिल्ली आए नीरज ने बताया आजकल छोटे पर्दे पर परोसे जा रहे हास्य कार्यक्रमों को हास्य व्यंग्य का नाम देने के कारण लोगों ने चुटकुले और फूहड़ हास्य को ही मंचीय कविता मान लिया है। श्रोता मंचीय कविता के असली आनंद को भूल गए है।

हिंदी फिल्मी संगीत के स्वर्णिम दौर में कई कालजयी गीतों के रचनाकार नीरज ने बताया पहले तो फिल्मों के गीत लेखक भी मंचों पर कविता का पाठ किया करते थे, लेकिन आजकल स्थिति यह हो गई है कि मंच पर गीतों का पाठ करने वाले ही वास्तविक गीतों को भूल गए हैं।

श्रोताओं को भी इसके लिए दोषी मानते हुए उन्होंने कहा श्रोता व्यंग्य के नाम पर मंच पर अपनी जगह बना चुके फूहड़ हास्य और चुटकुलेनुमा हास्य को प्रोत्साहित करते हैं। कुछ श्रोताओं ने तो इसे ही मंचीय कविता मानकर मंचीय कविता की आलोचना शुरू कर दी है।

हालाँकि नवगीत और नवकविता ने मंच पर अपना स्थान बना जरूर लिया है, लेकिन वह गेय कविता का स्थान नहीं ले सकती जो सीधे श्रोताओं को कवि से जोड़ देती थी।

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