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गृहस्थी सजाएँ प्यार से

ताकि सुखमय बनी रहे गृहस्थी

Webdunia
- विलास जोशी

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रिश्तों की दुनिया रोजाना थोड़ी-थोड़ी बदल रही है। अब पति-पत्नी अपने-अपने करियर के प्रति भी सजग होने लगे हैं। ऐसे में आवश्यक हो जाता है कि वे दोनों ही एक-दूसरे की रुचियों और स्वभाव को समझें और उनके प्रति सहज रहें। "गृहस्थी की गाड़ी" तो तभी सही चलेगी जब इसके दोनों पहिए सही तरीके से घूमें।

इसमें एक-दूसरे के मानसिक संतुलन को बनाए रखने, आत्मसम्मान को आदर देने के साथ सुख-दुख की स्थितियों में साथ देना भी जरूरी है। ऐसे ही गृह संसार की बेल सजनी और बढ़नी चाहिए। गृहस्थी की बेल फले-फूले, इसके लिए जरूरी है कि-

* रोजाना एक डायरी में आपसी मतभेद के विषयों को नोट करें। डायरी को ऐसी जगह रखें कि आसानी से आते-जाते उस पर नजर पड़ती रहे। जैसे रसोईघर की दीवार पर। जब आप बार-बार मतभेदों की वजह पढ़ेंगे तो उस पर विचार करेंगे और आपको समस्या सुलझाने का हल भी मिल जाएगा।

  हमेशा ध्यान रखें कि हम सबमें कुछ न कुछ कमियाँ हैं। इसी मंत्र को याद रखकर अपने स्वभाव और आदतों में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करें। यह भी याद रहे कि आवश्यकता से अधिक स्वाभिमान भी कहीं न कहीं दूर से अहंकार का चोला पहना नजर आता है।      
* हर एक की अपनी सोच होती है। इस बात को ध्यान में रखकर अपने पति या पत्नी के विचार जान लें। और उन पर मनन भी करें।

* जरूरी नहीं कि हर बार किसी एक की सोच को ही तवज्जो दी जाए बल्कि आप दोनों मिलकर एक विचार के निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं।

* यदि परिवार के किसी सदस्य ने कोई निर्णय ले लिया हो तो पति-पत्नी उस पर विचार करने के बाद ही प्रतिक्रिया दें। उग्रता तथा शीघ्रता दोनों से हर मामले में दूरी बनाए रखें।

* संयुक्त परिवार की स्थिति में किसी मामले में अकारण ही अपनी राय न व्यक्त करें। शांति से हर बात को समझें और फिर राय दें, वह भी यदि पूछी जाए। हाँ मामला यदि ऐसा है कि आप उसके बारे में ज्यादा जानते या अनुभव रखते हैं तो बिना पूछे भी विनम्रता से अपनी राय रख दें।

* परिवार में स्नेह बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि एक-दूसरे के प्रति निष्ठा और विश्वास बनाए रखें। यह इस रिश्ते की नींव को मजबूत करता है।

* घर में यदि कोई काम अधूरा रह जाए तो शिकायत के लहजे में बात न करें बल्कि पहले उसके अधूरे रहने का कारण जानें फिर हो सके तो उसे मिल-जुलकर पूरा करने की कोशिश करें।

* हमेशा अपना काम स्वयं करने की आदत डालें। इसे किसी दूसरे पर न डालें, वरना विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। हाँ, आपसी सामंजस्य बनाकर एक-दूसरे के काम में हाथ बँटाने से भी संकोच न करें।

* "यह गृहस्थी हमारी है और घर संपूर्ण परिवार का है।"- इस बात को ध्यान में रखकर काम करें ताकि परिवार में प्यार का वातावरण बना रहे तथा प्रत्येक सदस्य आपसे जुड़ा रहे। चाहे छोटे हों या बड़े, परिवार के हर सदस्य को पूरा सम्मान दें।

* घर का प्रत्येक सदस्य अपनी महती भूमिका का निर्वाह करे ताकि किसी एक पर पूरा बोझ न पड़े। न भावनात्मक तौर पर न ही सामाजिक और शारीरिक तौर पर।

यह बात हमेशा ध्यान रखें कि हम सबमें कुछ न कुछ कमियाँ हैं। इसी मंत्र को याद रखकर अपने स्वभाव और आदतों में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करें। यह भी याद रहे कि आवश्यकता से अधिक स्वाभिमान भी कहीं न कहीं दूर से अहंकार का चोला पहना नजर आता है। इन सब बातों को स्वयं में ढालें फिर देखें कि कैसे आपकी गृहस्थी खुशहाल होती है।
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