भारतीय संस्कृति का प्रतीक मंगल कलश

Webdunia
ND

भारतीय संस्कृति में फूलों और जल से परिपूर्ण कलश की स्थापना पूजा अर्चना आदि सभी संस्कारों में की जाती है। पूजा पाठ में भी कलश किसी न किसी रूप में स्थापित किया जाता है। कलश के मुख पर ब्रह्मा, ग्रीवा में शंकर और मूल में विष्णु तथा मध्य में मातृगणों का वास होता है। ये सभी देवता कलश में प्रतिष्ठित होकर शुभ कार्य संपन्न कराते हैं।

हमारे प्राचीन साहित्य में कलश की बहुत सराहना की गई है। अथर्ववेद में घी और अमृतपूरित कलश का वर्णन है। वहीं ऋग्वेद में सोमपूरित कलश के बारे में बताया गया है।

मंगल का प्रतीक कलश अष्ट मांगलिकों में से एक होता है। जैन साहित्य में कलशाभिषेक का महत्वपूर्ण स्थान है। जो जल से सुशोभित है वही कलश है।

ND
कलश की उत्पत्ति के विषय में अनेक कथाएं प्रचलित हैं जिसमें से एक समुद्र मंथन से संबंधित है जिसमें कहा गया है कि समुद्र मंथन से निकले अमृत को पीने के लिए विश्वकर्मा ने कलश का निर्माण किया। मंदिरों में प्रायः कलश शिवलिंग के ऊपर स्थापित होता है जिसमें से निरंतर जल की बूंदें शिवलिंग पर पड़ती रहती है।

रामायण में बताया गया है कि श्रीराम का राज्याभिषेक कराने के लिए राजा दथरथ ने सौ सोने के कलशों की व्यवस्था की थी। राजा हर्ष भी अपने अभियान में स्वर्ण एवं रजत कलशों से स्नान करते थे। जीवन में जन्म से लेकर मृत्य तक कलश अनेक रूपों में उपयोग होता है।

भारतीय संस्कृति में कलश को विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सर्वोच्च स्थान दिया गया है। जीवन के हर क्षेत्र में धार्मिक कार्य का शुभारंभ मंगल कलश स्थापित करके ही किया जाता है। छोटे अनुष्ठानों से लेकर बड़े-बड़े धार्मिक कार्यों में कलश का उपयोग किया जाता है। इस प्रकार कलश भारतीय संस्कृति का वो प्रतीक है जिसमें समस्त मांगलिक भावनाएं निहित होती हैं।

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

इस मंदिर में है रहस्यमयी शिवलिंग, दिन में तीन बार बदलता है रंग, वैज्ञानिक भी नहीं जान पाए हैं रहस्य

कुंभ राशि में अस्त हो रहे हैं शनि, इन 5 राशि वाले जातकों की बढ़ेंगी मुश्किलें

क्या होगा अरविंद केजरीवाल का राजनैतिक भविष्य? क्या कहते हैं उनकी कुंडली के सितारे?

होली पर चंद्र ग्रहण से किन 3 राशियों पर होगा इसका नकारात्मक प्रभाव?

महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर भूलकर भी ना चढ़ाएं ये चीजें, रह जाएंगे भोलेनाथ की कृपा से वंचित

सभी देखें

धर्म संसार

Maha Kumbh: 55 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, UP सरकार का दावा

19 फरवरी 2025 : आपका जन्मदिन

19 फरवरी 2025, बुधवार के शुभ मुहूर्त

महाशिवरात्रि पर इस विधि से घर बैठे पाएं महाकुंभ स्नान का पुण्य

मंगल ग्रह बदलेंगे चाल, क्या होगा देश दुनिया का हाल? किन 5 राशि वालों की चमकेगी किस्मत