झाबुआ के आदिवासी अंचल का गाय गौरी उत्सव

जहाँ गाय के खुरों तले कुचले जाते हैं लोग

Webdunia
WDWD
इस रस्म को निभाते समय ये लोग निराहार तो रहते है ं, लेकिन महुआ का साथ नहीं छूटता। नशे की हालत में इस तरह की खतरनाक रस्म निभाने के कारण कई बार दुर्घटनाएँ भी हो जाती हैं। सन 2001 तक यहाँ कई शरारती तत्व गायों की पूँछ में पटाखे बाँधकर जला देते थे, जिसके कारण उत्तेजित जानवर बेकाबू होकर भागते थे और बड़ी दुर्घटनाएँ होती थीं। अब प्रशासन ने इस तरह की हरकतों पर लगाम कस ली है। गाय गौरी की रस्म के दौरान यहाँ बड़ी संख्या में पुलिस बल जमा रहता है, जो उपद्रवी तत्वों को शरारत करने से रोकता है।

इस प्रथा के संबंध में जब हमने गोवर्धन मंदिर के पुजारी दिलीप कुमार आचार्य से बात की तो उन्होंने हमें बताया कि गाय गौरी की रस्म निभाने वालों को किसी तरह की कोई तकलीफ नहीं होती। इस प्रथा के पीछे गाँववालों का विश्वास है कि जैसे वे अपनी माता के चरण छूते हैं वैसे ही साल में एक बार गोमाता के चरण भी छू लें।

पुजारी और गाँववासी कितने भी दावे क्यों न करें, लेकिन हमने देखा कि उत्सव के दौरान गाय के खुरों के नीचे लेटने वाले लोगों में से अधिकांश जख्मी हुए थे। कुछ के तो सिर भी फूट गए थे, लेकिन इतनी चोटों के बाद भी उनका उत्साह कम नहीं हुआ था। आपके हिसाब से यह प्रथा आस्था है या अंधविश्वास, हमें बताइएगा।

हनुमानजी ने चुकाया अपनी माता अंजनी का कर्ज, कथा जानकर हैरान रह जाएंगे

महाकुंभ में स्नान के साथ करें इन पवित्र मंत्रों का जाप, मिलेगा पुण्य का पूरा लाभ

किसके पास होता है किसी भी अखाड़े के महामंडलेश्वर को हटाने का अधिकार, जानिए अखाड़ों के नियम

gupt navratri: गुप्त नवरात्रि की 3 देवियों की पूजा से मिलेगा खास आशीर्वाद

नर्मदा जयंती कब है, जानिए माता की पूजा का शुभ मुहूर्त और नदी का महत्व

गुरुदेव श्रीश्री रविशंकर पहुंचे प्रयाग महाकुंभ, वसंत पंचमी पर लगाई त्रिवेणी संगम में डुबकी

04 फरवरी 2025 : आपका जन्मदिन

04 फरवरी 2025, मंगलवार के शुभ मुहूर्त

महाकुम्भ में अघोरी बाबा को मिली रशियन, अनोखी प्रेम कहानी को देख क्या कह रहे हैं लोग

Shukra Gochar 2025: शुक्र का मीन राशि में 123 दिन के लिए गोचर, जानिए 12 राशियों का राशिफल