काश! तुम मेरे लिए गाते

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ऋषिवंश

जिंदगी को पंख लग जाते
काश! तुम मेरे लिए गाते

मुस्करातीं झूमतीं कलियाँ
और जंगल फूल बरसाते।

इस तरह कुछ बहारें आतीं
बिना मौसम महकतीं रातें।

खुली आँखों देखते सपने
बंद आँखों की मुलाकातें।

तड़पते दिल को करार आता
मिलन के पल जाम टकराते।

धड़कनों में सुलगती हलचल
रतजगों की रसीली बातें।

हवा मदिरा पिये बल खाती
शराबी से ख्‍वाब लहराते।

दूध धोई चाँदनी में हम
देर तक रातों में बतियाते।

पिघलता आगोश में संदल
डूबत े ह म औ र उतराते ।
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