सब कुछ बर्दाश्त कर सकती हूँ

Webdunia
रिश्ते को
जड़ से उखाड़कर
फेंक देना मुश्किल है
काट देना सहज है बहुत
जड़ें तो रहती है
आत्मा की जमीन में
और इसी में बचा रहता है
रिश्ते का खंडित अंश
जो व्यथित होकर
अपने अस्तित्व के लिए
चीखता है
पुकारता है कि
कोई इसे
पुनर्जीवित कर
खड़ा कर दे
और यकीन मानो कि
मैं सब कुछ बर्दाश्त कर सकती हूँ
तुमसे टूटे हुए रिश्ते के
खंडित टुकड़े की
मर्मांतक चीख को नहीं
क्या तुममें भी
कहीं कोई टुकड़ा
शेष बचा है....?

सिर्फ एक शब्द में प्यार ? से ज्यादा कुछ नहीं।
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

क्या होता है DNA टेस्ट, जिससे अहमदाबाद हादसे में होगी झुलसे शवों की पहचान, क्या आग लगने के बाद भी बचता है DNA?

क्या होता है फ्लाइट का DFDR? क्या इस बॉक्स में छुपा होता है हवाई हादसों का रहस्य

खाली पेट ये 6 फूड्स खाने से नेचुरली स्टेबल होगा आपका ब्लड शुगर लेवल

कैंसर से बचाते हैं ये 5 सबसे सस्ते फूड, रोज की डाइट में करें शामिल

विवाह करने के पहले कर लें ये 10 काम तो सुखी रहेगा वैवाहिक जीवन

सभी देखें

नवीनतम

याददाश्त बढ़ाने के लिए आज से ही छोड़ दें अपनी ये 8 आदतें, दिमाग पर डालती हैं बुरा असर

मन सच्चा, कर्म अच्छा और बाकी सब महादेव की इच्छा... पढ़ें शिव जी पर लेटेस्ट कोट्स

हादसों पर 10 मशहूर शेर

स्किन के लिए जादुई है ग्रीन टी की पत्तियां, जानिए इससे बनने वाले ये 3 खास फेस पैक्स के बारे में

फादर्स डे 2025: पिता कब हो जाते हैं दुखी, जानिए 5 खास कारण